नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को चुनौतियों को मात दे जीने का संदेश देने वाली आर्मी ऑफिसर्स की वीर पत्नियों को सम्मानित किया। मौका था आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन (AWWA) के अस्मिता-2 के आयोजन का। यहां वीर नारियों को सम्मानित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि इन महिलाओं से बहुत कुछ सीखने को मिलता है। अगर नारीशक्ति दिल से चाहे तो वह किसी भी नामुमकिन को मुमकिन बना सकती है।
- सेना कर्मियों की पत्नी, बच्चों और आश्रितों के कल्याण के लिए काम कर रही आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन ने किया ‘अस्मिता’ शीर्षक से दूसरा सम्मान समारोह
- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अलावा कई बड़ी हस्तियों ने बढ़ाई नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में आयोजित विशेष समारोह की शोभा
गौरतलब है कि सेना कर्मियों की पत्नी, बच्चों और आश्रितों के कल्याण के लिए 23 अगस्त 1966 को दिल्ली प्रशासन के रजिस्ट्रार ऑफ सोसाइटीज के साथ एक कल्याण सोसायटी के रूप में आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन (AWWA) का गठन किया गया था। स्थापना के बाद से AWWA के दायरे में खासी बढ़ोतरी हुई है। यह आज देश के सबसे बड़े गैर सरकारी संगठनों में से एक के रूप में काम करता है। संगठन की तरफ से 14 अक्टूबर 2022 को ‘अस्मिता’ शीर्षक से का पहला सम्मान समारोह आयोजित किया गया था। इसके बाद 11 फरवरी 2023 को कोलकाता में ‘अस्मिता पुरबा’ का आयोजन किया गया। दोनों कार्यक्रम बेहद सफल रहे। कई सैनिक पत्नियों को अपने लक्ष्य हासिल करने के लिए मार्गदर्शन और प्रेरणा प्रदान की। इसके बाद AWWA को ‘अस्मिता सीजन 2’ के आयोजित की प्रेरणा मिली।
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आज नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में आयोजित इस विशेष समारोह में वीर नारियों ने उपस्थित हो शोभा बढ़ाई। इस कार्यक्रम में माननीय राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं, वहीं उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ और विदेश संस्कृति राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी भी बतौर विशेष अतिथि उपस्थित रहीं। मेजबानी AWWA की अध्यक्ष अर्चना पांडेय ने की। इनके अलावा इस कार्यक्रम में डॉ. संजना नायर (लेखिका, सोशल एक्टिविस्ट साइकिक चार्मर, संस्थापक-सफ्रोनेया होलिस्टिक) और आशा कुशवाहा भी शामिल थी।
सैल्यू करना चाहिए इन वीर नारियों को
इस मंच पर की शान रही जया प्रभा महतो और डॉक्टर संजना नायर की जिंदगी की प्रेरणादायक कहानी खासी चर्चा में रही। खास बात यह भी है कि दोनों वीर नारियों की कहानी अलग-अलग हैं, फिर भी दोनों में एक बात कॉमन है और वो है एक सैनिक की पत्नी होना। 23 साल की उम्र में जया के पति देश के लिए लड़ते हुए शहीद हो जाते हैं। पीछे छोड़ जाते हैं पांच साल और ढाई साल के दो बेटे। आज वह जेसीआरटी में पढ़ा रही हैं। वहीं संजना नायर को बचपन में गैंग रेप जैसी हैवानियत से गुजरना पड़ा, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। नई जिंदगी की शुरुआत की। संजना के पिता फौज में रहे तो अब पति भी फौजी हैं। आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन ऐसी तमाम महिलाओं की आगे बढ़कर मदद करती है।
इन वीर नारियों को सम्मानित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपर्दी मुर्मू ने कहा, इन महिलाओं ने बता दिया कि महिलाएं कितनी हिम्मती होती हैंञनारी शक्ति में कितनी ताकत होती है। ऐसी वीरांगनाओं की हजारों कहानियां है, जिनकी बहादुरी पर हर किसी को गर्व करना चाहिए। इनके संघर्ष और चुनौतियों सबके लिए एक सबक है।