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दिल्ली

अडाणी एंटरप्राइजेज को बड़ी राहत, दिल्ली कोर्ट ने अपमानजनक सामग्री प्रकाशित करने पर लगाई रोक

Adani Enterprises Limited: अडाणी एंटरप्राइजेज को दिल्ली कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कंपनी के खिलाफ अपमानजनक कंटेंट, पोस्ट, वीडियो प्रसारित करने पर रोक लगा दी है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Khushbu Goyal Updated: Sep 7, 2025 11:10
Adani Enterprises Limited
Adani Enterprises Limited

Adani Enterprises Defamation Case: अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) को बड़ी राहत देते हुए दिल्ली की एक अदालत ने कुछ पत्रकारों और अन्य लोगों को कंपनी के खिलाफ असत्यापित अपमानजनक सामग्री प्रकाशित करने से रोक दिया है। अदालत ने एक अंतरिम आदेश जारी करके पत्रकारों और विदेश से जुड़े गैर-सरकारी संगठनों को लेखों और सोशल मीडिया पोस्ट से कंपनी के खिलाफ कथित अपमानजनक सामग्री हटाने का भी निर्देश दिया।

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पोस्ट को बताया अपमानजनक

वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश अनुज कुमार सिंह वादी (AEL) द्वारा दायर मुकदमे की सुनवाई कर रहे थे, जिसमें आरोप लगाया गया था कि paranjoy.in, adaniwatch.org और adanifiles.com.au पर अपमानजनक प्रकाशन, संबंधित पोस्ट और वीडियो बिजनेस ग्रुप की प्रतिष्ठा को धूमिल करने और उसके संचालन को बाधित करने के लिए डिजाइन किए गए थे। इस मामले में प्रतिवादी परंजॉय गुहा ठाकुरता, रवि नायर, अबीर दासगुप्ता, अयास्कंत दास, आयुष जोशी, बॉब ब्राउन फाउंडेशन, ड्रीमस्केप नेटवर्क इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड, गेटअप लिमिटेड, डोमेन डायरेक्टर्स प्राइवेट लिमिटेड (इंस्ट्रा के रूप में व्यापार) और जॉन डो हैं।

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वादी के पक्ष में है पूरा मामला

अदालत ने कहा कि पहली नजर में ही मामला वादी के पक्ष में है। यहां तक कि सुविधा का संतुलन भी वादी के पक्ष में है, क्योंकि लगातार फॉरवर्डिंग/प्रकाशन/री-ट्वीट और ट्रोलिंग से जनता में उसकी छवि और धूमिल होगी और मीडिया ट्रायल हो सकता है। इसके बाद अदालत ने प्रतिवादियों को अगली सुनवाई तक वादी के बारे में असत्यापित, निराधार और प्रत्यक्ष रूप से मानहानिकारक रिपोर्ट प्रकाशित, वितरित या प्रसारित करने से रोक दिया, जिससे कथित तौर पर उसकी प्रतिष्ठा धूमिल हो रही हो।

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कंटेंट को हटाने का आदेश

अदालत ने कहा कि लेख और पोस्ट गलत, असत्यापित और मानहानिकारक हैं, इसलिए प्रतिवादी संख्या 1 से 10 को भी निर्देश दिया जाता है कि वे अपने-अपने लेखों/सोशल मीडिया पोस्ट/ट्वीट्स से ऐसी मानहानिकारक सामग्री हटा दें और यदि ऐसा करना संभव न हो तो आदेश की तिथि से 5 दिनों के भीतर उन्हें हटा दें। निषेधाज्ञा के तहत प्रतिवादियों को AEL के बारे में आगे कोई भी असत्यापित या निराधार बयान देने से भी रोक दिया गया है। कंपनी को हटाने के लिए अतिरिक्त लिंक सूचित करने की अनुमति दी है।

यदि वे ऐसा करने में विफल रहते हैं तो अदालत ने गूगल, यूट्यूब, एक्स आदि जैसे मध्यस्थों को 36 घंटों के भीतर कथित मानहानिकारक सामग्री को हटाने या उस तक पहुंच अक्षम करने का निर्देश दिया। अदालत ने कार्यवाही 9 अक्टूबर के लिए स्थगित कर दी।

First published on: Sep 07, 2025 10:58 AM

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