रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार की रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) योजना गांव और ग्रामीणों के जीवन में बदलाव लाने माध्यम साबित होने लगी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप गांवों के गौठानों में स्थापित रूरल इंडस्ट्रियल पार्क गांवों को अब उत्पादक केन्द्र का रूप देने लगे है। भाटापारा ब्लॉक के गुड़ेलिया गौठान के रूरल इंडस्ट्रियल पार्क में लोहे का खीला एवं चैन लिंक्ड फेंसिंग जाली तार बनाने की यूनिट शुरू हुए अभी 13 दिन ही बीते है कि इस यूनिट को संचालित करने वाली नारी शक्ति ग्राम संगठन को 25 लाख रूपए का सप्लाई का एडवांस आर्डर मिलना एक सुखद शुरूआत है। कभी दूसरे राज्यों में काम की तलाश में जाने वाली महिलाएं अब गौठान के रीपा में ही लोहे का खीला एवं चैन लिंक्ड फेंसिंग जाली तार निर्माण कर आर्थिक लाभ अर्जित करने लगी है। महिलाओं द्वारा तैयार किए जा रहे खीला और फेंसिंग जाली की गुणवत्ता अच्छी होने के कारण स्थानीय बाजार में इसकी डिमांड होने लगी है।
बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के विकासखंड भाटापारा के आदर्श ग्राम गुड़ेलिया में नारी शक्ति ग्राम संगठन की महिलाओं द्वारा लोहे का खीला एवं चैन लिंक्ड फेंसिंग जाली तार बनाने का कार्य 13 दिन पहले ही शुरू किया गया है। शासन की मदद से गुड़ेलिया के रीपा में स्थापित यूनिट से अभी तक कुल 2 क्विंटल खीला एवं चैन लिंक्ड फेंसिंग जाली तार के 25 रोल का निर्माण हो चुका है, जिसमें से 3 क्विंटल खीला सप्लाई का एडवांस आर्डर भाटापारा नगर के दुकानदार द्वारा दिया गया है। नारी शक्ति संगठन को आसपास के ग्राम पंचायतों द्वारा चारागाह एवं गौठान की फेंसिंग के लिए 600 रोल चैन लिंक्ड फेंसिंग जाली तार की सप्लाई एडवांस आर्डर मिल चुका है, जिसकी कीमत 25 लाख रूपए है। इससे समूह को साढ़े 3 लाख रूपये का शुद्ध लाभ होगा।
नारी ग्राम शक्ति संगठन की सदस्य कला धु्रव ने बताया कि उक्त यूनिट में प्रतिदिन मशीन से 12 से 15 जाली रोल तैयार कर लेते है। प्रत्येक जाली रोल की लम्बाई 50 फीट एवं वजन 53 किग्रा का होता है। फेंसिंग तार जाली 80 रूपए प्रतिकिलो की दर से विक्रय की जा रही है। राजकुमारी ध्रुव ने बताया कि हमारे इकाई में प्रतिदिन एक क्विंटल खीला तैयार किया जा रहा है, जिसका बाजार मूल्य 80 रूपए है और प्रतिकिलो 10 रूपए की बचत होती है। रीपा के संचालन से महिला समूह की सदस्य बेहद ही खुश है एवं अतिरिक्त आय प्राप्त कर अपनी जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ परिवार के आर्थिक गतिविधियों में भी अपना हाथ बंटा रही हैं। उन्हें काम की तलाश में अब बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती। उन्होंने बताया कि हमारे संगठन में गांव की कुल 20 महिला समूह की कुल 200 महिलाएं काम कर रही है। समूह की महिलाएं फ्लाईएश ब्रिक्स, पेवर ब्लॉक, मसाला, चप्पल, दोना-पत्तल सहित अन्य आयमूलक गतिविधियां से जुड़ी है।