नई दिल्ली: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को 20 अगस्त को महासमुन्द में आयोजित कार्यक्रम में 9.65 करोड़ रूपए की राशि का अंतरण उनके बैंक खातों में करेंगे। ये राशि में गोबर विक्रेताओं को 4.40 करोड़ रूपए, गौठान समितियों को 3.09 करोड़ रूपए एवं स्व-सहायता समूहों की 2.16 करोड़ रूपए की लाभांश राशि शामिल हैं। गोधन न्याय योजना के तहत हितग्राहियों को 541 करोड़ 66 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है। 20 अगस्त को 9.65 करोड़ रूपए के भुगतान के बाद 551.31 करोड़ रूपए हो जाएगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गौठानों में एक अगस्त से 15 अगस्त तक क्रय किए गए 2.20 लाख क्विंटल गोबर के एवज में गोबर विक्रेताओं को 4.40 करोड़ रूपए का ऑनलाइन भुगतान करेंगे। गौठानों में अब तक 130.54 क्विंटल गोबर की खरीदी हो चुकी है, जिसकी एवज में पशुपालन किसानों को 256.68 करोड़ रूपए का भुगतान भी किया जा चुका है। 20 अगस्त को 4.40 करोड़ रूपए के भुगतान के बाद गोबर क्रय के एवज में भुगतान की कुल राशि 261.08 करोड़ रूपए हो जाएगी। गौठान समितियों एवं महिला स्व-सहायता समूहों को 20 अगस्त को भुगतान की जाने वाली 5.25 करोड़ रूपए की राशि के बाद इनको होने वाले कुल भुगतान का आंकड़ा 266.98 करोड़ रूपए से बढ़कर 272.23 करोड़ रूपए हो जाएगा।
गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी के मामले में गौठान समिति की भागीदारी लगातार बढ़ती जा रही है। राज्य में निर्मित एवं संचालित 10287 गौठानों में से 6167 गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं, जो स्वयं की राशि से गोबर विक्रेताओं से गोबर क्रय कर रहे है। स्वावलंबी गौठानों ने अब तक 73 करोड़ 9 लाख रूपए का गोबर स्वयं की राशि से क्रय किया है। 20 अगस्त को गोबर विक्रेताओं को भुगतान की जाने वाली राशि 4.40 करोड़ रूपए में स्वावलंबी गौठानों की भागीदारी 2.82 करोड़ रूपए हैं, जो कि कृषि विभाग द्वारा गोबर विक्रेताओं को भुगतान की जाने वाली 1.58 करोड़ रूपए की राशि का लगभग दोगुना है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में 20 जुलाई 2020 को हरेली पर्व के दिन गोधन न्याय योजना की शुरूआत हुई। दो रूपए किलो में गोबर खरीदी की यह योजना छत्तीसगढ़ सरकार की लोकप्रिय योजनाओं में शामिल है। पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के साथ-साथ गांव में रोजगार के नए अवसर सृजित करने वाली इस योजना को देश के कई राज्य अपनाने लगे हैं। गौठानों में पशुधन निःशुल्क चारा-पानी का प्रबंध होने से पशुपालन और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा मिला है। खुली चराई प्रथा पर काफी हद तक रोक लगी है। गोधन न्याय योजना के चलते राज्य में स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ जैविक खाद के उत्पादन और उपयोग से जैविक खेती को बढ़ावा मिला है।