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छत्तीसगढ़

Chhattisgarh: बस्तर में गूंज रही है विकास की आवाज, ‘नियद नेल्ला नार’ से बदली दशा और दिशा

छत्तीसगढ़ में नियद नेल्लानार योजना से आज बस्तर जिले में अब बदलाव आ रहा है। इसके चलते कई गांवों में हर तरह की सेवाएं मिल रही हैं। आम लोगों को अब सरकारी सुविधाओं के लिए धक्के खाने नहीं पड़ते हैं। इस योजना से ग्रामीणों में एक नई उम्मीद जग रही है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Deepti Sharma Updated: Jul 26, 2025 11:28

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मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य लगातार तरक्की कर रहा है। राज्य सरकार आम लोगों को हर तरह से सशक्त बना रही है। इसके लिए राज्य क अंदर कई तरह योजनाएं सरकार चलाती है। इसी में नियद नेल्लानार योजना आती है, जिससे आज बस्तर की दिशा और दशा बदल रही है। छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल के वे सुदूरवर्ती गांव, जो सालों तक विकास की मुख्यधारा से कटे रहे, आज नई उम्मीदों और उजालों की ओर अग्रसर हैं। जहां कभी बिजली, सड़क, स्कूल, मेडिकल सेवाएं और कम्युनिकेशन जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव था।

वहीं अब ये गांव प्रगति के रास्ते पर तेजी से बढ़ रहे हैं। इस बदलाव की नींव मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के दूरदर्शी नेतृत्व में 15 फरवरी 2024 को ‘नियद नेल्लानार- आपका आदर्श ग्राम योजना’ के रूप में रखी गई। यह योजना उन क्षेत्रों तक शासन की संवेदनशील और सक्रिय पहुंच सुनिश्चित करने का क्रांतिकारी प्रयास है, जहां अब तक केवल सन्नाटा था।

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नक्सल प्रभावित जिलों में सुरक्षा शिविर स्थापित

मुख्यमंत्री साय का साफ मानना है कि केवल सुरक्षा शिविर स्थापित कर देना काफी नहीं, जब तक वहा शासन की संवेदनशील मौजूदगी और समग्र विकास की किरण नहीं पहुचे। इसी सोच के साथ बस्तर के 5 नक्सल प्रभावित जिलों- सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा और कांकेर में 54 नए सुरक्षा शिविर स्थापित किए गए। इन शिविरों के 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाले 327 गावों को चिन्हित कर यह फैसला लिया गया कि इन सभी को शत-प्रतिशत योजनाओं से जोड़ते हुए एक नया विकास मॉडल पेश किया जाएगा।

गांवों में प्राइमरी स्कूल को मंजूरी

इस पहल के साथ ही गावों में बदलाव की हवा बहने लगी है। शिक्षा के क्षेत्र में सरकार ने 31 नए प्राइमरी स्कूलों की मंजूरी दी, जिनमें से 13 स्कूलों में कक्षाए शुरू हो चुकी हैं। 185 आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थापना को मंजूरी दी गई, जिनमें से 107 पहले ही शुरू हो चुके हैं, जिससे बच्चों को पोषण और प्रारंभिक शिक्षा की सुविधा मिलने लगी है। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में 20 उप-स्वास्थ्य केंद्र मंजूर किए गए, जिनमें से 16 स्वास्थ्य केंद्र शुरू हो चुके हैं। ये वही गाव हैं जहा पहले एक सामान्य दवा के लिए भी लोगों को मीलों जंगल पार करना पड़ता था

संचार और संपर्क साधनों को पहली प्राथमिकता

मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व में संचार और संपर्क साधनों को विशेष प्राथमिकता दी गई है। पहले जहां मोबाइल सिग्नल का नामोनिशान नहीं था। वहां अब 119 मोबाइल टावरों की योजना बनी और 43 टावर कार्यशील हो चुके हैं। 144 हाई मास्ट लाइट्स की मंजूरी दी गई, जिनमें से 92 गांवों में अब रात के अंधेरे में उजियारा फैलने लगा है। सड़क और पुल निर्माण के लिए 173 योजनाएं बनाई गईं, जिनमें से 116 को मंजूरी मिल चुकी है और 26 काम पूरे हो चुके हैं। यह विकास केवल अधोसंरचना तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक भावनात्मक जुड़ाव और पहचान का सशक्त जरिए बन चुका है। आर्थिक और सामाजिक सशक्तीकरण के क्षेत्र में भी प्रगति हुई है।

70,954 लोगों के आधार कार्ड बने

अब तक 70,954 लोगों के आधार कार्ड बनाए जा चुके हैं, 46,172 वृद्धजनों को एज सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं और 11,133 लोगों का वोटर रजिस्ट्रेशन हुआ है, जिससे वे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदार बन पाए हैं। 46,172 लोगों को आयुष्मान कार्ड जारी कर मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 12,232 मकानों का लक्ष्य तय किया गया है, जिनमें से 5,984 परिवारों को मंजूरी मिल चुकी है। किसान सम्मान निधि योजना के तहत 4,677 किसानों को सहायता राशि प्रदान की गई है। स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत 6,460 घरों में व्यक्तिगत शौचालय बनाए गए हैं। रसोई को धुए से मुक्त करने के मकसद से 18,983 महिलाओं को उज्ज्वला और गौ-गैस योजना के तहत गैस कनेक्शन दिए गए हैं। 30 गावों में डीटीएच कनेक्शन भी दिए गए हैं, जिससे ये गाव अब सूचना और मनोरंजन के मुख्य प्रवाह से जुड़ चुके हैं।

शासन और जनता के बीच नया रिश्ता

यह परिवर्तन मात्र योजनाओं का संकलन नहीं है, बल्कि शासन और जनता के बीच एक नए भरोसे का रिश्ता है, जिसकी बुनियाद सहभागिता और पारदर्शिता पर टिकी है। सालों तक शासन से कटे रहे लोग अब खुद विकास की निगरानी में सहभागी बन रहे हैं। अब ग्रामीण खुद आंगनबाड़ी की उपस्थिति, राशन दुकान की गुणवत्ता और सरकारी योजनाओं के अमल की निगरानी कर रहे हैं। यह वही बस्तर है, जो भय से विश्वास और उपेक्षा से भागीदारी की ओर बढ़ चला है।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की इस दूरदर्शिता ने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि सुशासन केवल घोषणाओं से नहीं, बल्कि जमीनी अमल से आता है। ‘नियद नेल्लानार’ केवल एक योजना नहीं, बल्कि यह बस्तर के पुनर्जागरण की यात्रा है और एक ऐसी यात्रा जिसमें बंदूक की जगह अब किताबें हैं, अंधेरे की जगह उजियारा है और असहमति की जगह अब सहभागी लोकतंत्र की भावना है।

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First published on: Jul 26, 2025 11:28 AM

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