CG Health Minister Big Decision On Hospitals Security: प्रदेश की छत्तीसगढ़ सरकार लगातार कई विकास के कार्यों में जुटी हुई है। इसी के तहत हर जगह सुरक्षा को लेकर भी मुस्तैद है। कोलकाता की घटना को देखते हुए छत्तीसगढ़ के अस्पतालों में सुरक्षा को लेकर अलर्ट किया गया है। इसके तहत सभी मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों में डॉक्टरों के साथ ही मरीजों की सुरक्षा का जिम्मा हथियारबंद पूर्व सैनिकों को दिया जाएगा। गुरुवार सुबह 7 बजे आंबेडकर अस्पताल के निरीक्षण के लिए पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने अस्पताल प्रबंधन को इसकी जानकारी देते हुए सुरक्षा चाक चौबंद-बनाने का आश्वासन दिया। इसके साथ ही हॉस्टल परिसर में सफाई के साथ अंधेरे वाले क्षेत्रों में लाइट लगाने के भी निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि अस्पतालों में ऐसे रिटायर्ड सोल्जर की सेवाएं ली जाएंगी, जिनके पास लाइसेंस वाले हथियार हों। वहीं, अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने के लिए डीजीपी से पत्राचार कर 8-10 पुलिस के जवानों की तैनाती किए जाने की मांग की गई है। जवान तीनों पालियों में अस्पताल परिसर में सुरक्षा व्यवस्था संभालेंगे।
वहीं, निरीक्षण के दौरान मंत्री ने अस्पताल परिसर में लगाए गए सीसीटीवी कैमरों की स्थिति का भी जायजा लिया और बंद पड़े सीसीटीवी कैमरों को तत्काल प्रभाव से शुरू करने के निर्देश दिए। पिछले दो दिनों से अस्पताल परिसर की सुरक्षा व्यवस्था की पड़ताल करते हुए बंद सीसीटीवी कैमरों के साथ ही गार्डों की अनुपस्थिति को लेकर खबरों का प्रकाशन किया, जिसके बाद मंत्री बिना किसी पूर्व सूचना के ही औचक निरीक्षण के लिए पहुंचे और सारी व्यवस्थाओं का जायजा लिया।
खाने की गुणवत्ता और सफाई की जांच हुई
मंत्री ने इमरजेंसी रूम के बाहर बैठे मरीजों से उनका हाल-चाल जाना और कैंटीन में साफ-सफाई का निरीक्षण करते हुए व्यवस्था बढ़ाने के लिए कहा। साथ ही हॉस्टल परिसर में सफाई के साथ अंधेरे वाले क्षेत्रों में लाइट लगाने के भी निर्देश दिए।
आज सुबह रायपुर के पंडरी जिला अस्पताल का निरीक्षण कर भर्ती मरीजों से उनका हालचाल जाना।
इस दौरान अस्पताल द्वारा दी जा रही स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी लेकर अन्य आवश्यक सुधारों के लिए सीएमएचओ को दिशा निर्देश दिया। pic.twitter.com/l4elNO9hVN
— ShyamBihari Jaiswal (@ShyamBihariBjp) August 22, 2024
खुलेंगी चौकियां
प्रदेश में कई ऐसे मेडिकल कालेज हैं, जहां संबद्ध अस्पतालों में चौकियां ही नहीं हैं। ऐसे में डीजीपी से पत्राचार/कॉरेस्पोंडेंस कर वहां पहले चौकियों का निर्माण करवाया जाएगा, इसके बाद वहां पुलिस के सिपाहियों को तैनात भी किया जाएगा।
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