Mumbai Rape News: पूरे देश आज रक्षाबंधन का त्योहार मना रहा है। इन दिन हर भाई अपनी बहन को संकट के समय रक्षा करने का वचन देता है। वहीं मुंबई में 30 साल के युवक को 2015 में अपनी बहन के साथ बलात्कार कर उसे गभवर्ती करने के मामले में पाॅक्सो अदालत ने मंगलवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। जांच में सामने आया कि 2015 में उनकी बहन नाबालिग थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट में बचाव पक्ष ने कहा कि पीड़िता के ओसिफिकेशन टेस्ट पर भरोसा नहीं है, लेकिन कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार सबसे प्रमाणिक टेस्ट है।
यह है मामला
पीड़िता ने बताया कि 2015 में उनके पिता की मृत्यु के बाद भाई-बहन अपनी चाचाी के परिवार के साथ रह रहे थे। नाबालिग ने बताया कि जब उसकी चाची और चाचा काम पर गए थे तो आरोपी ने उसके साथ बलात्कार किया। इतना ही नहीं उसने घटना के बारे में किसी जिक्र नहीं करने की बात कहीं। पीड़िता ने बताया कि आरोपी जो कि उसका भाई है जब वह सो रही थी उसने उसे गले लगाया और निर्वस्त्र कर दिया। फिर उसके साथ जबरदस्ती यौन संबंध बनाए। न्यायाधीश ने कहा कि पीड़िता के दिए बयानों की पुष्टि चिकित्सकीय साक्ष्यों से होती है।
मासिक धर्म नहीं होने पर हुआ खुलासा
मामले का खुलासा नबंबर 2015 में हुआ जब चाची को पता चला कि उसकी भतीजी का मासिक धर्म नहीं हो रहा है। उस समय तक वह 20 सप्ताह की गर्भवती थी। इसके बाद नाबालिग ने एक बच्ची को जन्म दिया जिसे गोद लेने के लिए छोड़ दिया गया। उसके बाद में बच्चे का डीएनए टेस्ट कराया गया जिसमें यह सामने आया कि आरोपी भाई और नाबालिग बहन ही बच्चे के माता-पिता है।
बहन की सहमति से बनाए थे संबंध- आरोपी
वहीं मामले में आरोपी ने कोर्ट को बताया कि उसकी अपनी बहन के साथ शारीरिक संबंध सहमति से बनाए थे। लेकिन न्यायाधीश ने कहा कि पाॅक्सो अधिनियम के अनुसार नाबालिग के साथ किए गए यौन कृत्य अपराध की श्रेणी में आते हैं। विशेष जज ने नरमी बरतने से इंकार करते हुए आरोपी को आजीवन कारावास और 25 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई गई।