Justice Ranjana Prakash Desai: केंद्र सरकार ने कर्मचारियों को खुश कर दिया है. जी हां, केंद्र सरकार द्वारा बीते दिन (मंगलवार) को 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में सभी जरूरी मुद्दों और 8वें वेतन आयोग के गठन की नियम व शर्तों को मंजूरी दे दी है. केंद्र के इस फैसले के बाद अब केंद्र कर्मचारियों की सैलरी में इजाफा होगा. अब ये जानना लोगों के लिए भी बेहद दिलचस्प होगा कि आखिर इस आयोग में कौन-कौन शामिल होगा और इसकी रिपोर्ट कब तक सामने आएगी.
कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए केंद्रीय सूचना एंव प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि 8वें वेतन आयोग (8th pay commission) गठित करने के फैसले से 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और करीब 69 लाख पेंशनभोगियों को फायदा होगा. कर्मचारी और पेंशनभोगी महीनों से नए वेतन आयोग गठित होने का इंतजार कर रहे थे, अब सरकार ने उन्हें खुशखबरी दे दी है.
आयोग में कौन-कौन हैं शामिल?
8वें वेतन आयोग में सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई को आठवें वेतन आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है. वहीं आआईएम बेंगलुरु के प्रोफेसर पुलक घोष को नए आयोग का मेंबर बनाया गया है जो पार्ट टाइम मेंबर होंगे. तीसरे सदस्य पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस विभाग के सचिव पंकज जैन हैं.
कौन हैं जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई?
जस्टिस रंजना देसाई भारतीय न्यायिक प्रणाली की एक प्रतिष्ठित और वरिष्ठ जज रह चुकी हैं. जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई का जन्म 30 अक्टूबर 1949 को हुआ था. उन्होंने 1970 में एल्फिंस्टन कॉलेज से बैचलर ऑफ आर्ट्स और 1973 में गवर्नमेंट लॉ कॉलेज, बॉम्बे से बैचलर ऑफ लॉ की डिग्री हासिल की. उन्होंने 30 जुलाई 1973 को वकालत शुरू की.
उन्होंने जस्टिस प्रताप के जूनियर के तौर पर काम किया, जब वे बार में थे, जहां उन्हें कई सिविल और क्रिमिनल मामलों में पेश होने का मौका मिला. उन्होंने अपने पिता एस.जी. सामंत के साथ भी काम किया, जो एक जाने-माने क्रिमिनल वकील थे. उन्हें 1979 में सरकारी वकील नियुक्त किया गया.
उन्हें 1986 में प्रिवेंटिव डिटेंशन मामलों के लिए स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर नियुक्त किया गया. उन्हें 1 नवंबर 1995 को बॉम्बे हाई कोर्ट के अपीलेट साइड में सरकारी वकील के पद पर नियुक्त किया गया. उन्हें 15 अप्रैल 1996 को बॉम्बे हाई कोर्ट का जज बनाया गया. उन्हें 13.09.2011 को भारत के सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया और देसाई 29.10.2014 को अपने पद से रिटायर हुईं थीं.
रिटायरमेंट के बाद रहीं कई बड़े पदों पर
- रंजना प्रकाश देसाई रिटायरमेंट के बाद भी कई बड़े पदों पर रह चुकी हैं. मिली जानकारी के अनुसार, 2014 से 2017 तक वो अपीलेट ट्रिब्यूनल फॉर इलेक्ट्रिसिटी की चेयरपर्सन रहीं, जहां बिजली से जुड़े झगड़ों का फैसला करती थीं.
- साल 2018-19 में इनकम टैक्स की एडवांस रूलिंग अथॉरिटी की हेड बनीं. 2019 में लोकपाल चुनने वाली सर्च कमिटी की चेयरपर्सन रहीं और चेयरमैन-मेंबर्स के नाम सुझाए.
- साल 2020 में डिलिमिटेशन कमीशन की चेयरपर्सन बनीं, जो लोकसभा-विधानसभा सीटें बांटने का काम करती है.
- असम के एनआरसी (Assam NRC) तैयार करने वाली कमेटी में भी सदस्य रहीं. 2022 में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (Press Council of India-(PCI)) की पहली महिला चेयरपर्सन बनीं, जहां प्रेस की आजादी और सही रिपोर्टिंग पर नजर रखती हैं.
- उसी साल (2022) उत्तराखंड यूसीसी कमेटी (Uttarakhand UCC) की हेड रहीं, जिन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट बनाया और 2024 में कानून बन गया.
- अभी गुजरात यूसीसी कमेटी (Gujarat UCC) की चेयरपर्सन हैं. 2022 से चल रही ये कमेटी शादी, तलाक, विरासत जैसे मुद्दों पर एक समान कानून लाने की रिपोर्ट तैयार कर रही है. तीन साल में धार्मिक नेता, महिला संगठन, कानूनी जानकारों से राय ली. रिपोर्ट जल्द सरकार को सौंपी जाएगी.
कब लागू हो सकती है रिपोर्ट?
8वें वेतन आयोग को अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए 18 महीने का समय दिया गया है. आयोग अपनी सिफारिशें सरकार को पेश करेगा, जिस पर विचार के बाद मंजूरी की मुहर लगाई जाएगी. नए वेतन आयोग की सिफारिशों के अगले साल 1 जनवरी 2026 से लागू होने की उम्मीद है.
आयोग अपनी रिपोर्ट में किन बातों का रखेगा ध्यान?
सरकार द्वारा मिली जानकारी में ये बताया गया है कि जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाला 8वां वेतन आयोग अपनी सिफारिशें देते हुए कई महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखेगा-
- रंजना देसाई की अध्यक्षता में आयोग देश की आर्थिक स्थितियां और राजकोषीय विवेक (fiscal prudence) को भी ध्यान में रखेगा और फिर सरकार के सामने अपनी रिपोर्ट पेश करेगा.
- आयोग ये भी सुनिश्चित करेगा कि विकास और जनकल्याणकारी उपायों के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद रहें.
- गैर-अंशदायी पेंशन योजनाओं की अघोषित या अनफंडेड लागत को भी ध्यान में रखा जाएगा.
- आयोग की सिफारिशों का राज्य सरकारों के वित्त पर क्या प्रभाव होगा, इसका ख्याल भी रखा जाएगा.
- आमतौर पर राज्य सरकारें कुछ संशोधनों के साथ आयोग की सिफारिशों को अपनाती हैं.
- केंद्र सरकार के अधीन सार्वजनिक कंपनियों और निजी कंपनियों के कर्मचारियों को मिलने वाली सैलरी, सुविधाएं और वर्किंग कंडीशन का भी ध्यान रखा जाएगा.
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