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बिहार

RJD को लगा उसी के नेता का श्राप? टिकट कटने पर फाड़े थे कपड़े, रोते-बिलखते कहा था- 25 सीटों पर सिमट जाएगी पार्टी

Rashtriya Janata Dal: टिकट के बदले पैसे लेने के मामले पर भी मदन शाह ने पूरी सफाई दी. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि उनसे सीधे तौर पर कोई पैसे की मांग नहीं की गई और अगर होती भी तो वह कभी नहीं देते.

Author Written By: Akarsh Shukla Author Published By : Akarsh Shukla Updated: Nov 16, 2025 18:56

Bihar Election: बिहार में विधानसभा चुनाव नतीजे सामने आने के बाद रविवार को आचार संहिता भी हटा ली गई, अब नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह को लेकर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. 243 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में एक तरफ जहां एनडीए ने 202 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत हासिल किया वहीं, ‘इंडिया’ गठबंधन को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा. तेजस्वी यादव अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे लेकिन उनकी पार्टी आरजेडी महज 25 सीटों पर सिमिट गई. चुनाव नतीजे सामने आने के बाद अब राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता मदन शाह सुर्खियों में आग गए हैं.

RJD को लगा इस नेता का श्राप?


पिछले महीने जब मदन शाह को पार्टी से टिकट नहीं मिला था, तब उन्होंने अपनी नाराजगी बेहद भावुक तरीके से जताई थी, उन्होंने जमीन पर गिरकर रोना शुरू कर दिया था और अपने ही कपड़े फाड़ दिए थे, उस वक्त उन्होंने कहा था कि RJD 25 सीटों तक सिमट जाएगी. चुनाव नतीजे सामने आने के बाद हुई भी कुछ वैसा और आरजेडी को सिर्फ 25 सीटें ही मिल सकीं. इसे देखते हुए अब कई लोगों का कहना है कि आरजेडी को उसी के नेता का श्राप लगा है.

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लालू से नहीं ली गई कोई सलाह


मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मदन शाह ने बताया कि टिकट न मिलने का जो दर्द था, उसने उन्हें पूरी तरह टूटने पर मजबूर कर दिया, उन्होंने लालू यादव से मिलने की बहुत कोशिश की, लेकिन बात नहीं बन पाई, उनकी माने तो इस बार टिकट बंटवारे के दौरान भी लालू से कोई सलाह नहीं ली गई, जो पार्टी की इस हार की बड़ी वजह बन गई. मदन शाह ने संजय यादव का नाम लिए बिना कहा कि पार्टी में कुछ ‘चाणक्य’ कह देते हैं, जो पार्टी को खासा नुकसान पहुंचा रहे हैं, उनका मानना है कि जब तक ऐसे लोगों को बाहर नहीं निकाला जाएगा, सुधार और जीत का सपना अधूरा रहेगा.

क्या टिकट के बदले लिए गए पैसे?


टिकट के बदले पैसे लेने के मामले पर भी मदन शाह ने पूरी सफाई दी. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि उनसे सीधे तौर पर कोई पैसे की मांग नहीं की गई और अगर होती भी तो वह कभी नहीं देते. उन्होंने यह भी बताया कि जिन लोगों को टिकट मिला, उनमें से कई पार्टी के मूल सदस्य तक नहीं थे, जबकि वे खुद 1990 से पार्टी से जुड़े हैं. लालू यादव और तेजस्वी यादव से प्राप्त आश्वासन के बाद भी जब उनका नाम टिकट सूची में नहीं था, तो उनके जज्बात भारी टूट-फूट में बदल गए, पटना के लालू के आवास के बाहर उन्होंने जमीन पर लोटते हुए अपनी पीड़ा जताई, लेकिन किसी से मिलने की अनुमति नहीं मिली.

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First published on: Nov 16, 2025 06:56 PM

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