Operation Lantern In Bihar (अमिताभ ओझा की रिपोर्ट): क्या बिहार में सच में ‘खेला’ होगा… क्या बीजेपी के ‘ऑपरेशन लोटस’ को ‘ऑपरेशन लालटेन’ से डर लग गया। यह एक ऐसा सवाल है, जो हर किसी के मन में उठ रहा है। इस ‘खेला’ का डर ऐसा है कि कांग्रेस ने अपने 19 में से 16 विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट कर दिया। बीजेपी और जेडीयू भी अपने विधायकों पर नजर रखने के लिए उन्हें फ्लोर टेस्ट के पहले एक साथ रहने का निर्देश जारी कर रहे हैं, वहीं आरजेडी के नेता ‘खेला’ की बात पर कायम हैं।
12 फरवरी को विश्वास मत हासिल करेगी नीतीश सरकार
बिहार में नीतीश कुमार की नई सरकार को 12 फ़रवरी को विश्वास मत हासिल करना है, लेकिन इसके पहले बिहार की राजनीति में ‘खेला’ का खौफ सिर चढ़कर बोल रहा है। बात सबसे पहले आरजेडी की करते हैं… बिहार में सत्ता से हटने के बाद तेजश्वी यादव ने कहा था कि ‘खेला तो अब शुरु हुआ है’ और यहीं से बिहार की पॉलिटिक्स में ‘खेला’ शब्द की एंट्री हो गई। तेजश्वी यादव के बाद आरजेडी के तमाम नेता ‘खेला’ की बात दोहराने लगे।
बिहार के विकास के लिए हम साल- 2005 से ही काम कर रहे हैं और आगे भी बिहार के हित के लिए काम करते रहेंगे: माननीय मुख्यमंत्री श्री @NitishKumar जी।#JDU #NitishKumar #Bihar pic.twitter.com/M8RayuQvoX
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जीतन राम मांझी पर नहीं गली दाल
दरअसल, आरजेडी और उसके गठबंधन के सदस्यों को मिलाकर 114 सदस्य हैं। यह 122 के बहुमत के आंकड़े से 8 कम है। दावा किया जा रहा है कि आरजेडी की नजर जेडीयू और बीजेपी के विधायकों पर है। दांव तो जीतन राम मांझी पर भी लगाया गया…. उन्हें सीएम पद तक का ऑफर दिया गया.. लेकिन मांझी पर दाल नहीं गली। वैसे यदि मांझी की पार्टी के सभी चार विधायकों का साथ मिल भी जाता तो चार विधायकों की और जरुरत होती इसलिए ‘ऑपरेशन लालटेन’ का रुख मांझी से हटकर कहीं और है। आरजेडी विधायक भाई वीरेंद्र कहते हैं- ‘खेला’ का खुलासा अभी नहीं करेंगे.. आगे-आगे देखिये, होता है क्या…
मंत्री ने किया ऑपरेशन लालटेन का खुलासा
ऑपरेशन लालटेन को लेकर बड़ा खुलासा आज नीतीश कुमार के करीबी और बिहार सरकार में मंत्री श्रवण कुमार ने किया। श्रवण कुमार ने कहा कि उनके विधायकों को लालू प्रसाद यादव का प्रलोभन आ रहा है। आरजेडी के ठेकेदार उनसे संपर्क कर रहे हैं। बहरहाल, जेडीयू ने अपने सभी विधायकों को फ्लोर टेस्ट के एक दिन पहले 11 फरवरी को पटना में बुलाया है। उस दिन बैठक रखी गई है। जेडीयू ने अपने बड़े नेताओं को विधायकों के साथ लगाया है। अलग-अलग विधायकों के लिए अलग-अलग टीम बनाई गई है, क्योंकि ऑपरेशन लालटेन का सबसे बड़ा निशाना जेडीयू ही है। सोशल मीडिया में ऐसी लगातार खबरे भी चल रही हैं कि 12 विधायक आरजेडी के संपर्क में हैं। हालांकि, जेडीयू के नेता लगातार इसका खंडन कर रहे हैं।
इधर रहे या उधर, मगर जिधर रहे डगर-डगर आदतन वही करम करते गए। https://t.co/CUgnb4cCuC
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ऑपरेशन लालटेन का बीजेपी को सता रहा डर
बीजेपी शुरुआत में तो निश्चिंत थी, लेकिन अब लगता है कि उसे भी डर लग रहा है। बुधवार की रात प्रदेश अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी ने विधायकों को भोज पर बुलाया। हालांकि, उसमे कई विधायक नहीं पहुंचे थे, जिससे चिंता बढ़ी। गुरुवार को बीजेपी की तरफ से सभी विधायकों और विधान पार्षदों को 10 और 11 फरवरी को बोधगया आने को कहा गया है। पार्टी की तरफ से बताया गया है कि बोधगया में दो दिन का प्रशिक्षण शिविर है।
कांग्रेस को सता रहा ऑपरेशन लोटस का डर
उधर, ऑपरेशन लोटस का डर कांग्रेस को भी सता रहा है। इसी के तहत कांग्रेस ने अपने विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट कर दिया है। हालांकि कांग्रेस के 19 में से 16 विधायक ही पहुंचे हैं। तीन विधायक अभी भी नहीं गए हैं। उन लोगों ने निजी कारण बताए हैं।
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विधानसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफा नहीं देंगे अवध बिहारी चौधरी
नीतीश सरकार के लिए सबसे बड़ी परेशानी विधानसभा अध्यक्ष को लेकर है। वर्तमान में आरजेडी के अवध बिहारी चौधरी विधानसभा अध्यक्ष है। उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। अवध बिहारी चौधरी ने इस्तीफा के सवाल पर साफ कहा कि वो इस्तीफा नहीं देंगे. नियमत: अविश्वास का नोटिस देने के 14 दिनों तक वे पद पर रह सकते है। ऐसे में अब वैधानिक संकट भी खड़ा हो गया है।
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