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बिहार चुनाव में मुस्लिम बनेंगे किंगमेकर? ओवैसी इन सीटों पर ही क्यों उतार रहे उम्मीदवार, जानें क्या है प्लान

Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार फिर असदुद्दीन ओवैसी गेमचेंजर साबित हो सकते हैं और मुस्लिम वोटर्स नई सरकार के गठन में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. AIMIM इस बार 100 सीटों पर उम्मीदवार उताकर थर्ड फ्रंट बन रही है, जो मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगा सकती है.

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Khushbu Goyal Updated: Oct 12, 2025 09:08
Asaduddin Owaisi | Muslim Voters | Bihar Election 2025
AIMIM इस बार बिहार के चुनावी रण में थर्ड फ्रंट बन सकती है.

Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में क्या मुस्लिम एक बार फिर गेमचेंजर बनेंगे और किंगमेकर की भूमिका निभाएंगे? यह सवाल इसलिए उठा रहा है, क्योंकि इस बार बिहार के चुनावी रण में NDA, INDIA ब्लॉक के अलावा थर्ड फ्रंट भी देखने को मिल सकता है. जी हां, 2020 के विधानसभा चुनाव की तरह गेम बिगाड़ने के लिए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) थर्ड फ्रंट बनने की तैयारी में है, इसके लिए पार्टी चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने ऐलान किया है कि पार्टी 100 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी और कुछ सीटों के नाम भी बता दिए गए हैं.

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ओवैसी ने जताई थी RJD से गठबंधन की इच्छा

बता दें कि असदुद्दीन ओवैसी ने इंडिया ब्लॉक में शामिल होने की इच्छा जताई थी. इसके लिए AIMIM प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमान ने लालू प्रसाद यादव का एक लेटर लिखा था और कहा कि साल 2025 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी इंडिया ब्लॉक के गठबंधन करके चुनाव लड़ना चाहती है, इससे मुस्लिम बहुल सीटों का फायदा RJD को मिल सकता है, लेकिन RJD ने ओवैसी के ऑफर पर कोई रिएक्शन नहीं दिया, इसलिए अब ओवैसी ने अकेले चुनावी रण में उतरने और 100 मुस्लिम बहुल सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान करके खुली चुनौती दे दी है.

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RJD का गेम बिगड़ा सकते हैं मुस्लिम वोटर्स

बता दें कि बिहार में 17 प्रतिशत मुस्लिम वोटर्स हैं, जो करीब 50 सीटों पर निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. ऐसे में इस बार AIMIM किंगमेगर बन सकती हैं और अगर इस बार भी पार्टी वोट बैंक में सेंध मारती है तो इसका नुकसान राष्ट्रीय जनता दल (RJD) को उठाना पड़ सकता है, जैसे साल 2020 के विधानसभा चुनाव में हुआ था. क्योंकि साल 2020 के चुनाव में AIMIM ने सीमांचल की 5 सीटें जीती थीं, हालांकि RJD को भी मुस्लिम वोट मिले थे, लेकिन AIMIM की सेंधमारी ने RJD का सरकार बनाने का सपना तोड़कर चकनाचूर कर दिया था.

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कब से चुनावी रण में हैं ओवैसी की AIMIM

बता दें कि AIMIM के साथ असदुद्दीन ओवैसी ने साल 2015 में बिहार के चुनावी रण में एंट्री की थी और सीमांचल में 6 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन हार मिली. 2020 के विधानसभा चुनाव में AIMIM ने 20 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे और सीमांचल की 5 सीटें अमौर, बहादुरगंज, बायसी, कोचाधामन, जोकीहाट जीती थीं. साल 2022 में AIMIM के 4 विधायक RJD में शामिल हो गए तो पार्टी को बड़ा झटका लगा, लेकिन इस बार ओवैसी 100 सीटों पर प्रत्याशी उतारकार दोनों गठबंधनों को टक्कर देने के मूड में हैं और वे गेम पलट भी सकते हैं.

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बिहार के इलाकों में ज्यादा हैं मुस्लिम वोटर्स

बता दें कि बिहार में सीमांचल, मगध और कोसी इलाकों में मुस्लिम आबादी ज्यादा है. सीमांचल में कुल 24 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें मुस्लिम आबादी करीब 47 प्रतिशत है और ज्यादातर पिछड़ी जाति की है. ओवैसी ने 2020 के चुनाव में सीमांचल की 14 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 5 जीते थे और बाकी 6 सीटें मिथिलांचल की थी, जहां हार मिली थी. सीमांचल के भी 4 जिलों किशनगंज, अररिया , कटिहार और पूर्णिया में मुस्लिम वोटर निर्णायक साबित होते हैं, इसलिए इस बार भी ओवैसी इन चारों जिलों में अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर चुके हैं.

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बिहार में कुछ ऐसे बसती है मुस्लिम आबादी

किशनगंज में करीब 70%, अररिया में करीब 42 और कटिहार में करीब 38% मुस्लिम आबादी है. बिहार की कुल 17 प्रतिशत मुस्लिम आबादी में भी 73 प्रतिशम मुस्लिम अल्पसंख्यक यानी पसमांदा समाज के हैं. 27% आबादी अपर कास्ट वाले मुस्लिमों की है. का है. बिहार में कुल 112 जातियां अति पिछड़ा समुदाय की हैं, जिनमें से 27 जातियां अल्पसंख्यकों की हैं. ऐसे में सीमांचल इलाका और करीब 50 सीटों दोनों महागठबंधनों का खेल बिगाड़ सकती हैं और अगर इन सीटों पर AIMIM जीती तो दोनों में से किसी को सरकार बनाने के लिए AIMIM से गठबंधन करना पड़ सकता है.

First published on: Oct 12, 2025 08:54 AM

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