लैंड फॉर जॉब मामले में बिहार के पूर्व सीएम लालू यादव पर केस चलाने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी है। मामला रेलवे में नौकरी के बदले जमीन से जुड़ा है। राष्ट्रपति ने भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 218 के तहत मंजूरी दी है। मामले में ईडी ने सीबीआई की ओर से दायर याचिका पर दर्ज की गई प्राथमिकी के आधार पर पीएमएलए के तहत अपनी जांच शुरू कर दी है। ऐसे में सवाल यह है कि ईडी को केस चलाने के लिए राष्ट्रपति की इजाजत क्यों लेनी पड़ी?
जानें क्या कहता है कानून?
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 218 में न्यायाधीशों और लोकसेवकों पर उनके आधिकारिक कर्तव्यों के दौरान किए गए अपराधों के लिए मुकदमा चलाने के लिए एक प्रोटोकॉल तय होता है। यह नियम इसलिए बनाया गया ताकि लोकसेवकों को दुर्भावनापूर्ण मुकदमों से बचाया जा सकें। ऐसे में ये जरूरी नहीं है कि कोई भी कोर्ट सरकारी प्राधिकरण की पूर्व मंजूरी के बिना संज्ञान नहीं ले सकती। वहीं सांसद विधायक के मामले में उचित प्राधिकारी राष्ट्रपति हैं इसलिए उनसे अनुमति मांगी गई। जब यह स्कैम हुआ, उस समय लालू यादव रेल मंत्री थे, इसलिए इस मामले में राष्ट्रपति की परमिशन मांगी गई।
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ईडी ने लालू समेत 14 को बनाया आरोपी
ईडी ने इस मामले में विशेष अदालत के सामने अमित कात्याल और लालू यादव के परिवार के सदस्यों राबड़ी देवी, मीसा भारती, तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, हेमा यादव और कंपनियों पर केस दर्ज किया है। ईडी ने यह मामला पीएमएलए 2002 के प्रावधानों के तहत 8 जनवरी 2024 को दायर की। ईडी ने कहा कि रेलवे ने इस भर्ती के लिए कोई विज्ञापन जारी नहीं किया था।
पटना में लालू यादव के नाम पर 1 लाख 5 हजार 292 फीट जमीन लालू परिवार के नाम ट्रांसफर की गई। मामले में सीबीआई ने लालू यादव के अलावा उनकी पत्नी राबड़ी देवी और 14 अन्य को आरोपी बनाया है।
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