---विज्ञापन---

बिहार

NDA में सीट बंटवारे पर बिहार में फिर फंसा पेच! चिराग पासवान कैसे बढ़ा सकते हैं मुश्किलें?

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर सिर-फुटव्वल मचना तय है। इसकी वजह चिराग पासवान का अधिक सीटों पर दावा करना है। जोकि बीजेपी और जेडीयू दोनों के लिए परेशानी का कारण हो सकता है। ऐसे में आइये जानते हैं चिराग कैसे बीजेपी और जेडीयू के लिए परेशानी खड़ी करेंगे?

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Rakesh Choudhary Updated: Jun 2, 2025 12:03
Bihar Election 2025 NDA Seat Sharing
पीएम मोदी, सीएम नीतीश कुमार और चिराग पासवान (Pic Credit- ANI)

बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित है। इससे पहले दोनों गठबंधन बैठकों के जरिए चुनाव की रणनीति बना रहे हैं। एक और जेडीयू और बीजेपी शंखनाद रैलियां करवाकर चुनाव से पहले माहौल अपने पक्ष में करने की कोशिश में जुटी है। तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस जातीय सम्मेलन कर ओबीसी और ईबीसी पर दांव खेल रही है। इस बीच छोटे क्षेत्रीय क्षत्रप अपनी नई मांगों से मुख्य पार्टियों की परेशानी बढ़ा सकते हैं। सूत्रों की मानें तो केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान एक बार फिर लोकसभा के फॉर्मूले पर सीट बंटवारे करना चाह रहे हैं।

बिहार चुनाव में उतरेंगे चिराग

चिराग पासवान के बहनोई अरुण भारती इन दिनों बिहार की राजनीति में पूरी तरह एक्टिव है। कुछ दिन पहले तक ये बात सामने आ रही थी कि चिराग पासवान बिहार विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं। रविवार, 1 जून को अरुण भारती ने ऐलान कर दिया कि चिराग पासवान आरक्षित नहीं सामान्य सीट से चुनाव मैदान में उतरेंगे यानी अब ये तो क्लियर हो गया है कि चिराग बिहार के सियासी रण में दो-दो हाथ करने उतरेंगे।

---विज्ञापन---

सूत्रों की मानें तो एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर एक बार फिर 2020 वाली स्थिति हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो यह एनडीए के एक झटके जैसा होगा। 2020 के चुनाव में चिराग ने एनडीए से 30 सीटों की डिमांड की थी, जिसे बीजेपी ने ठुकरा दिया था। इसके बाद चिराग ने 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारे और जेडीयू को बड़ा नुकसान पहुंचाया, नतीजा जेडीयू बिहार में पहली बार 43 सीटों पर सिमट गई। वैसी ही कहानी कुछ इस बार भी हो सकती है।

बिहार में 2020 वाली स्थिति में एनडीए

2020 के चुनाव में बीजेपी को 121 और जेडीयू को 122 सीटें मिली थी। बीजेपी ने अपने कोटे से 11 सीटें वीआईपी को दी थी। जबकि जेडीयू ने 7 सीटें जीतनराम मांझी को दी थी। अब वीआईपी एनडीए में नहीं है। उनकी जगह पर उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में आ गए हैं। ऐसे में बीजेपी वीआईपी कोटे की 11 सीटें उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान के बीच बांटने पर विचार कर रही है। वहीं जेडीयू भी समझौता करने के पक्ष में नहीं है वह 122 सीटों पर अड़ा हुआ है। वह अपने कोटे से एक सीट कम करने को तैयार नही है। ऐसे में बीजेपी के लिए यह नई मुश्किल है।

---विज्ञापन---

इस फॉर्मूले से चिराग को मना सकती है बीजेपी

उधर बीजेपी किसी भी कीमत पर नीतीश कुमार को नाराज नहीं करना चाहती है। बीजेपी अच्छे से जानती है कि बिना नीतीश के बिहार में उनको उतनी सीटें नहीं मिलने वाली। ऐसे में पार्टी न नीतीश को नाराज करना चाहती है और न ही चिराग पासवान को। ऐसे में बीजेपी चिराग को खुश करने के लिए उम्मीदवारों की बदल सकती है। यानी चुनाव चिन्ह चिराग का ही होगा लेकिन उम्मीदवार बीजेपी का होगा। अब देखना यह है कि चिराग इस पर कितना सहमत होते हैं। इस सिंबल और प्रत्याशी वाला फॉर्मूला बिहार में पहले भी अपनाया जा चुका है। जोकि चुनाव के बाद सौदेबाजी करने वाली पार्टी पर हमेशा ही भारी पड़ता है।

ये भी पढ़ेंः Bihar Election 2025: कांग्रेस का चुनावी दांव, अति पिछड़ों को साधने के लिए नई रणनीति

जानें कैसा है लोजपा का इतिहास

लोजपा का इतिहास बीजेपी और एनडीए के मुश्किलें बढ़ाने वाला है। पार्टी केंद्र में गठबंधन धर्म निभाती है लेकिन यह जरूरी नहीं कि वह प्रदेश में भी गठबंधन धर्म निभाए। 2004 में लोजपा यूपीए के साथ थी लेकिन 2005 का विधानसभा चुनाव अलग लड़ा। इसी तरह 2019 में वह एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़ी लेकिन 2020 में प्रदेश में अलग से चुनाव लड़ी। ऐसे में देखना यह है कि सिंबल और प्रत्याशी वाला फॉर्मूला इस बार कितना कारगर रहता है।

ये भी पढ़ेंः चिराग पासवान को लेकर बहनोई अरुण भारती का बड़ा ऐलान, लड़ेंगे विधानसभा चुनाव, सीट को लेकर बताई चॉइस

First published on: Jun 02, 2025 11:51 AM

संबंधित खबरें