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बिहार

चुनाव में लालू यादव को चुनौती देंगे हेमंत सोरेन! जानें बिहार में JMM कितनी बड़ी ताकत?

Bihar Politics: बिहार में जेएमएम ने इंडिया गठबंधन में शामिल होने को लेकर हुंकार भर ली है। हालांकि आरजेडी की ओर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या जेएमएम वाकई बिहार में ताकतवर है कि उसे गठबंधन में सीटें मिले?

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Rakesh Choudhary Updated: Jul 4, 2025 08:44
Bihar Election 2025 Hemant Soren
झारखंड सीएम हेमंत सोरेन और लालू यादव (Pic Credit-Social Media X)

Bihar Election 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान संसद के मानसून सत्र के बाद हो सकता है। इससे पहले इंडिया ब्लॉक में शामिल होने को लेकर पार्टियों में घमासान मचा हुआ है। झारखंड में इंडिया का नेतृत्व कर रही जेएमएम के मुखिया और सीएम हेमंत सोरेन इन दिनों लालू यादव से नाराज चल रहे हैं। जेएएम बिहार चुनाव में आरजेडी की ओर से बुलावा नहीं दिए जाने के कारण लालू यादव यादव से नाराज चल रहे हैं। हालांकि जेएमएम ने साफ कर दिया कि वे इस बार बिहार में मेहमान नहीं भागीदार बनकर उतरेंगे। जेएमएम ने बिहार में सम्मानजनक सीटों की मांग कर डाली है। जिससे आरजेडी और कांग्रेस के खेमे में खलबली है।

सोरेन क्यों नाराज हैं?

बिहार में आरजेडी की अगुवाई वाला इंडिया गठबंधन जल्द ही सीट शेयरिंग पर फाइनल मीटिंग करने वाला है। अब तक इसको लेकर चार बैठक हो चुकी है। कल आरजेडी का राष्ट्रीय अधिवेशन है। इसके बाद सीट शेयरिंग की बातचीत फाइनल हो सकती है। उधर जेएमएम ने दो टूक शब्दों में कह दिया है कि उनका बिहार में जनाधार है। अगर हमें सम्मान नहीं मिला तो हमारे पास संगठन भी है और लोकप्रिय नेता भी हैं।

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2020 के चुनाव में जेएमएम ने अकेले ही चुनाव लड़ा था। जानकारी के अनुसार जेएमएम अकेले 5 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में जेएमएम ने इंडिया गठबंधन को सपोर्ट किया था। ऐसे में आइये जानते हैं सीएम हेमंत सोरेन आरजेडी से क्यों नाराज हैं?

पिछली बार हुआ था नुकसान

2024 झारखंड विधानसभा चुनाव के समय आरजेडी ने सम्मानजनक सीटों की मांग की थी। इसके बाद जेएमएम ने आरजेडी को लड़ने लायक सीटें दी थी। ऐसे में अब गठबंधन धर्म निभाने की बारी आरजेडी की है। लेकिन इंडिया गठबंधन की एक भी बैठक में नहीं बुलाए जाने के बाद से ही हेमंत सोरेन नाराज चल रहे हैं। ऐसे में उन्होंने मीडिया के जरिए अपनी बात रखी है। अब देखना यह है कि क्या लालू यादव जेएमएम को उचित सम्मान देंगे। क्योंकि पिछले चुनाव में जेएमएम ने अकेले ही लड़ा था।

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जेएमएम का बिहार में जनाधार है या नहीं ये भी एक बड़ा सवाल है। 2020 के चुनाव में 5 सीटों पर लड़ी जेएमएम को 23 हजार से अधिक वोट मिले थे। जबकि इंडिया और एनडीए के बीच सिर्फ 11 हजार वोटों का अंतर था। यानी हार और जीत का फैसला 11 हजार वोट से हुआ। ऐसे में अगर चुनाव इस बार भी ऐसे ही टक्कर का रहा तो आरजेडी और इंडिया के लिए बड़ी चुनौती है।

सीटों का संभावित फॉर्मूला

जानकारों की मानें तो लालू यादव और तेजस्वी इस बार अलग कॉन्फिडेंस में हैं। ऐसे में वे जेएमएम को सीटें दें ऐसा संभव नहीं है। इसके अलावा एक और वजह सीट बंटवारे का पेंच फंसना भी है। बिहार में वामदल माले एक बड़ी ताकत है। इस बार उसने 40 सीटों की डिमांड की है। ऐसे में तेजस्वी के लिए इस बार का सीट बंटवारा काफी सिरदर्दी वाला हो सकता है। सूत्रों की मानें तो इस बार आरजेडी 138, कांग्रेस 54, वामदल 30 और वीआईपी को 18 सीटें मिल सकती हैं। ऐसे में जेएमएम के सीट बंटवारे में जगह देना आरजेडी के लिए मुश्किल है। वहीं पशुपति की पार्टी भी महागठबंधन का हिस्सा हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प है कि इस बार जेएमएम चुनाव में अकेले उतरती है या गठबंधन के साथ।

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First published on: Jul 04, 2025 08:44 AM

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