बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले कांग्रेस अपने सियासी समीकरण दुरुस्त करने में जुटी है। कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को बिहार के सियासी रण में उतारकर बड़ी चाल चल दी है। इसके बाद हाईकमान ने अध्यक्ष पद से अखिलेश प्रसाद सिंह की छुट्टी कर दलित समाज से ताल्लुक रखने वाले राजेश राम को बागडोर सौंप दी हैं। अब बिहार में कांग्रेस की पदयात्रा और प्रदेश स्तर पर हुए इस बदलाव से गठबंधन की सहयोगी आरजेडी बड़ी असहज है। बिहार कांग्रेस में इस बदलाव का श्रेय कृष्णा अल्लावरू को दिया जा रहा है। वे राहुल गांधी के भरोसेमंद माने जाते हैं। अब बिहार में कांग्रेस इस बार कृष्णा और कन्हैया की जोड़ी पर निर्भर है।
कांग्रेस के फैसलों से लालू यादव असहज
बिहार में लंबे समय से कांग्रेस सत्ता से बाहर है। ऐसे में उसका जनाधार पूरी तरह खिसक गया है। कांग्रेस के कई बड़े नेता पार्टी छोड़कर चले गए। ऐसे में पिछले 30 सालों से पार्टी आरजेडी के भरोसे बिहार में राजनीति करती रही। दिल्ली और महाराष्ट्र में हार के बाद कांग्रेस ने अपने पुराने कोर वोट बैंक साधने की कोशिशें तेज कर दी हैं। पार्टी एक के बाद एक बड़े फैसले ले रही हैं। कांग्रेस के इन फैसलों से लालू यादव इन दिनों असहज चल रहे हैं। सूत्रों की मानें तो आरजेडी कृष्णा और कन्हैया की जोड़ी से ज्यादा खुश नहीं है। लालू यादव बिहार में नहीं चाहते हैं कि कांग्रेस प्रदेश की राजनीति में उसके बड़े भाई की भूमिका में आए। ऐसे में आइये जानते हैं लालू यादव कांग्रेस में हो रहे इस बदलाव से क्यों चिंतित है?
बिहार में 16 प्रतिशत महादलित
बता दें कि बिहार में 6 प्रतिशत आबादी पासवान वोटर्स की है वहीं 10 प्रतिशत आबादी गैर पासवान दलित वोटर्स की है। महादलित प्रदेश में एनडीए को सपोर्ट करता आया है। इसकी बड़ी वजह जेडीयू और एलजेपी है। पासवान वोटर्स एलजेपी के गठन से ही रामविलास पासवान के समर्थक रहे हैं। अब उनकी विरासत उनके बेटे चिराग आगे बढ़ा रहे हैं। वहीं बाकी 10% दलित वोटर्स जेडीयू को वोट करते रहे हैं।
ये भी पढ़ेंः ‘टाइगर अभी जिंदा है…’, ईडी की पूछताछ पर आरजेडी का पोस्टर, बीजेपी पर साधा निशाना
चवन्नी-अठन्नी की तलाश में कांग्रेस
बिहार में कांग्रेस के सियासी उभार से लालू यादव चिंतित हैं इसको लेकर वरिष्ठ पत्रकार अकु श्रीवास्तव ने कहा कि बिहार में कांग्रेस की तैयारी से निश्चित रूप से लालू यादव चिंतित है। उन्हें तेजस्वी यादव के राजनीतिक अस्तित्व की चिंता है। कांग्रेस चाहती है कि किसी भी तरह से स्थिति बदले। कांग्रेस अब जिस मुद्रा में है वह चाहती है कि उसकी स्थिति मजबूत बने। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि जब हमारे पास चवन्नी अठन्नी होगी तभी तो लोग हमें पैसे वाला समझेंगे। ऐसे में कांग्रेस उस चवन्नी-अठन्नी की तलाश में हैं।
कांग्रेस ने राजेश राम को नया अध्यक्ष बनाया है। ताकि दलित वोटर्स पर पकड़ मजबूत की जा सके। बिहार में दलित कभी भी आरजेडी को वोट नहीं करता है। ऐसे में दलित वोटर्स को साधने के लिए उन्होंने सियासी रूप से यह फैसला लिया है। अकु श्रीवास्तव ने कहा कि कांग्रेस के इस फैसले से एनडीए को भी चिंतित होना चाहिए क्योंकि पासवान वोटर्स उसका बड़ा वोटबैंक हैं।
ये भी पढ़ेंः जमीन बेचे जाने के बाद ही रेलवे की नौकरी कैसे मिली? ED ने लालू प्रसाद यादव से पूछे ये 12 सवाल