HIV Aids Cases Reported in Bihar: बिहार के एक जिले में HIV एड्स का खतरा मंडरा रहा है। जिले में बीमारी तेजी से फैल रही है। जी हां, पश्चिमी चंपारण जिले में पिछले 30 साल में 3583 केस रिपोर्ट हो चुके हैं। हाल ही में एक अभियान के दौरान रिकॉर्ड चेक करने पर आंकड़े सामने आए। इन साढ़े 3 हजार मरीजों में 20 प्रेग्नेंट महिलाएं और करीब 30 बच्चे शामिल हैं, जिनमें से इलाज कितनों का चल रहा और इनमें से कितने जिंदा हैं? इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है। दरअसल मोदी सरकार और नीतीश कुमार सरकार के निर्देशों पर प्रदेश में HIV एड्स अवेयरनेस कैंपेस शुरू किया गया है। इसके लिए प्रदेश के 200 गांवों को सेलेक्ट करके बारी-बारी कैंप लगाकर लोगों को बीमारी के प्रति जागरूक किया जाएगा। इस दौरान होमवर्क करते हुए यहां चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए।
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एड्स पीड़ितों को मिली रही सरकारी आर्थिक मदद
बिहार स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अवेयरनेस कैंप में लोगों को जहां बीमारी के बारे में बताया जा रहा है, वहीं सहायता राशि के रूप में 1500 रुपये कैश और एड्स की दवाई भी फ्री दी जा रही है। एड्स पीड़ितों के बच्चों की देखभाल के एक हजार रुपये अलग से आर्थिक मदद दी जा रही है। कैंप में आने वाले लोगों से अपील की जा रही है कि अगर उन्हें एड्स के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। अगर एड्स होने का पता चलता है तो तुरंत एहतियात बरतते हुए इलाज शुरू कराएं। आस-पास के लोगों को भी बीमारी के बारे में बताए। सरकार की ओर से प्रदेशभर के गांवों में सरपंचों और पंचायत सदस्यों से अपील की गई है कि वे अपने गांव में लोगों को HIV एड्स फैलने के कारण और इससे बचने के उपायों के बारे में विस्तार से बताएं।
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स्वास्थ्य अधिकारी ने बताए एड्स से बचने के तरीके
GMCH बेतिया के लैब रिसर्चर जाहिर हुसैन ने बताया कि चंपारण जिले में 3583 HIV पॉजिटिव मरीज हैं। पुष्टि तो नहीं हुई है, लेकर दर्ज रिकॉर्ड के अनुसार 3437 मरीज जीवित हैं, लेकिन इलाज कितने करा रहे? यह जानकारी नहीं है। सरकार ने कैंपेन लॉन्च करके रोकथाम के उपाय करने के आदेश दिए हैं। वैसे एड्स से बचने का एकमात्र उपाय असुरक्षित यौन संबंधों से बचाव है। असुरक्षित यौन संबंध न बनाएं और HIV एड्स पीड़ित लोगों से तो भूलकर भी संबंध न बनाएं। किसी के द्वारा इस्तेमाल की गई सुई का इस्तेमाल करने से बचे। क्योंकि अगर समय रहते बीमारी का पता चल जाए तो बचाव संभव है, अन्यथा यह जानलेवा बीमारी है। एड्स पीड़ितों के साथ किसी तरह का भेदभाव न करें और अगर किसी को एड्स होने का पता चले तो उसे इलाज कराने के लिए प्रोत्साहित करें।
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