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जनता मेहरबान या बदलाव की आंधी…, बिहार में रिकॉर्ड वोटिंग के क्या हैं मायने? पहले चरण के बाद मिल रहे ऐसे संकेत

Bihar Assembly Election: राजनीतिक गलियारों में पहले चरण की बंपर वोटिंग के बाद कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं. ऐसे सवाल उठने लगे हैं कि क्या जनता इस बार बदलाव चाहती है, या नीतीश सरकार को एक बार फिर से समर्थन मिलने वाला है?

Author Written By: Akarsh Shukla Author Published By : Akarsh Shukla Updated: Nov 7, 2025 08:10

Bihar Assembly Election: बिहार में गुरुवार को विधानसभा चुनाव को लेकर हुए पहले चरण की वोटिंग में 18 जिलों की जनता ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. पहले चरण में रिकॉर्ड 64.69 फीसदी मतदान हुआ, जो पिछले विधानसभा चुनाव 2020 से भी 8 प्रतिशत अधिक है. उस समम पहले चरण में 56.1% ही मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. बिहार के इतिहास में यह पहली बार है, जब विधसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में इतनी बंपर वोटिंग हुई है, 6 नवंबर को 121 सीटों पर हुए मतदान में 2.42 करोड़ वोटर्स ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया, जो पछली बार के चुनाव से भी 36 लाख अधिक है. इस बार के चुनाव में बिहार की जनता का उत्साह देखते ही बनता है.

जनता मेहरबान या बदलाव की आंधी?


उधर, राजनीतिक गलियारों में पहले चरण की बंपर वोटिंग के बाद कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं. ऐसे सवाल उठने लगे हैं कि क्या जनता इस बार बदलाव चाहती है, या नीतीश सरकार को एक बार फिर से समर्थन मिलने वाला है? भारत के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो जब-जब जनता भारी संख्या में घरों से निकलर पोलिंग बूथ पहुंची है तो बदलाव के मूड से ही अपना वोट डाला है, हालांकि ऐसा हर बार नहीं होता. कई बार तो भारी मतदान के बाद भी वर्तमान सरकार को जनता ने अपना समर्थन दिया और सरकार को वापसी दिलाई. तो अभी ये स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है कि बिहार में जनता किस मूड से अपना वोट डाल रही है, इसका जवाब तो 14 नवंबर को चुनाव नतीजों के बाद ही पता चलेगा.

चुनावी इतिहास से मिल रहे ऐसे संकेत


हालांकि, अगर अन्य राज्यों को कुछ पुराने मतदान आंकड़ों पर नजर डालें तो आने दिलचस्प आंकड़े देखने को मिलते हैं. इन आंकड़ों में साफ देखा जा सकता है कि कई ऐसे राज्य हैं, जहां पिछली बार से ज्यादा वोटिंग हुई और सरकार ने वापसी की.

  1. मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव 2023 में 77 प्रतिशत वोटिंग हुई थी, जो पिछले चुनाव से भी 2.08 फीसदी ज्यादा थी. चुनाव नजीतों में बीजेपी को बहुमत मिला और सरकार की वापसी हुई.
  2. साल 2014 को ओडिशा विधानसभा चुनाव के दौरान भी ऐसा ही कुछ हुआ था. पिछली बार से 8.35 प्रतिशत अधिक वोटिंग के साथ ओडिशा में 73.65 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया. नतीजे भी सत्ताधारी पार्टी बीजेडी के पक्ष में आए और सरकार ने वापसी की.
  3. गुजरात में भी कुछ ऐसा ही पैटर्न देखने को मिला जब, 2012 के विधानसभा चुनाव में 11.53 फीसदी अधिक मतदान हुए, लेकिन इसके बाद भी प्रदेश में बीजेपी सरकार ने वापसी की. तब वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात से मुख्यमंत्री थे.
  4. बिहार के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो विधानसभा चुनाव 2010 में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला था. उस समय भी पिछली बार के चुनाव से 6.82 प्रतिशत अधिक वोट पड़े थे और चुनाव नतीजे सामने आने के बाद JDU गठबंधन सरकार ने वापसी की.

वहीं, कई बार ऐसे भी संकेत देखने को मिले जब प्रदेश की जनता ने बंपर संख्या में अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया.

दो साल पहले ही हुए राजस्थान के विधानसभा चुनाव में 0.39 फीसदी अधिक वोटर्स के साथ कुल 74.45 मदताओं ने वोट डाला और सत्ता परिवर्तन कर तत्कालीन कांग्रेस सरकार को बाहर का रास्ता दिखा दिया.

ऐसा ही नतीजा तमिलनाडु विधानसभा चुनाव 2011 में देखने को मिला जब 7.19 फीसदी अधिक मतदान के बाद भी तत्कालीन DMK गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा और AIADMK गठबंधन ने सरकार बनाई.

First published on: Nov 07, 2025 08:10 AM

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