Big Blow NDA alliance: बिहार विधानसभा चुनाव के लिए टिकट न मिलने पर 10 से ज्यादा वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने एनडीए को झटका देने का मन लिया है. भाजपा के कोटे की सभी 101 सीटों पर प्रत्याशी तय हो चुके हैं. कुल 17 विधायकों के टिकट काटे गए हैं, जिनमें से मिश्रीलाल यादव जैसे कुछ नेताओं ने तो पार्टी छोड़ने का ऐलान तक कर दिया है. अब कई सीटों पर स्थानीय नेताओं के बगावती तेवर और निर्दलीय दावेदारी ने बीजेपी के लिए सिरदर्द बढ़ा दिया है. दो दिन पहले तक भाजपा से टिकट मांग रहे नेता अब भाजपा उम्मीदवार को ही चुनौती देंगे.
किन 8 नेताओं ने उठाया बगावत का झंडा
- हेमंत चौबे: बक्सर (चैनपुर): जन सुराज पार्टी ने बीजेपी के दिवंगत नेता लालमुनि चौबे के बेटे हेमंत चौबे को टिकट दिया है. लालमुनि चौबे चार बार के सांसद रहे हैं, जिससे स्थानीय बीजेपी कार्यकर्ताओं की सहानुभूति जन सुराज की ओर झुक सकती है.
- पूर्व मेयर राखी गुप्ता: छपरा से बीजेपी ने छोटी कुमारी को टिकट दिया है. इससे नाराज पूर्व मेयर राखी गुप्ता ने निर्दलीय मैदान में उतरने की घोषणा कर दी है और नामांकन दाखिल कर दिया है.
- कुसुम देवी और वरिष्ठ नेता अनूप लाल श्रीवास्तव: गोपालगंज सदर सीट से विधायक कुसुम देवी का टिकट काटकर सुभाष सिंह को उतारा गया है. इससे नाराज कुसुम देवी और वरिष्ठ नेता अनूप लाल श्रीवास्तव ने बगावत का झंडा उठा लिया है.
- पूर्व सांसद और बीजेपी उपाध्यक्ष पुतुल कुमारी: बांका: पूर्व सांसद और बीजेपी उपाध्यक्ष पुतुल कुमारी ने पार्टी से नाराज होकर चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान किया. पार्टी ने उन्हें छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है. उनकी उम्मीदवारी से जेडीयू उम्मीदवार की राह कठिन हो सकती है.
- विधायक रामप्रवेश राय: बरौली: मौजूदा विधायक रामप्रवेश राय ने टिकट कटने के बाद खुलेआम विद्रोह का ऐलान कर दिया है.
- बीजेपी एमएलसी सच्चिदानंद राय: महाराजगंज: बीजेपी एमएलसी सच्चिदानंद राय ने पार्टी के खिलाफ बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा की है. उन्होंने कहा कि अनुशासनात्मक कार्रवाई की उन्हें कोई परवाह नहीं.
- लाल बाबू प्रसाद: मोतिहारी (ढाका): बीजेपी के पुराने नेता लाल बाबू प्रसाद को जन सुराज पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है, जिससे इस सीट पर भी बीजेपी के वोटों में बंटवारा तय माना जा रहा है.
- अश्विनी चौबे के पुत्र अर्जित शाश्वत चौबे और वरिष्ठ नेता प्रशांत विक्रम: भागलपुर से बीजेपी ने रोहित पांडे को उम्मीदवार बनाया है. इस बार अश्विनी चौबे के पुत्र अर्जित शाश्वत चौबे और वरिष्ठ नेता प्रशांत विक्रम ने टिकट न मिलने पर बगावती तेवर अपना लिए हैं. दोनों ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है.
भाजपा के 101 उम्मीदवारों की सूची | BJP 101 Candidates List
क्रम.संख्या. | विधानसभा क्षेत्र | भाजपा (BJP) उम्मीदवार का नाम |
1 | बेतिया | रेणु देवी |
2 | रक्सौल | प्रमोद कुमार सिन्हा |
3 | पिपरा | शंभाबू प्रसाद यादव |
4 | मधुबन | राणा रंधीर सिंह |
5 | मोतिहारी | प्रमोद कुमार |
6 | ढाका | पवन जायसवाल |
7 | रीगा | बैद्यनाथ प्रसाद |
8 | बथनाहा | अनिल कुमार राम |
9 | परिहार | गायत्री देवी |
10 | सीतामढ़ी | सुनील कुमार पिंटू |
11 | बेनीपट्टी | विनोद नारायण झा |
12 | खजौली | अरुण शंकर प्रसाद |
13 | विस्फी | हरिभूषण ठाकुर बचौल |
14 | राजनगर | सुजीत पासवान |
15 | झंझारपुर | नितीश मिश्रा |
16 | छातापुर | नीरज कुमार सिंह बब्लू |
17 | नरपतगंज | देवांती यादव |
18 | फोर्ब्सगंज | विद्यसागर केहरी |
19 | सिक्ती | विजय कुमार मंडल |
20 | किशनगंज | स्वीटी सिंह |
21 | बनमनखी | कृष्ण कुमार ऋषि |
22 | पूर्णिया | विजय कुमार खेमका |
23 | कटिहार | तारकिशोर प्रसाद |
24 | प्राणपुर | निशा सिंह |
25 | कोरहा | कविता देवी |
26 | सहरसा | आलोक रंजन झा |
27 | गौरा बौराम | सुजीत कुमार सिंह |
28 | दरभंगा | संजय सरावगी |
29 | केओटी | मुरारी मोहन झा |
30 | जाले | जीबेश कुमार मिश्रा |
31 | औराई | राम निशाद |
32 | कुरहनी | केदार प्रसाद गुप्ता |
33 | बरूराज | अरुण कुमार सिंह |
34 | साहेबगंज | राजू कुमार सिंह |
35 | बैकुंठपुर | मिथिलेश तिवारी |
36 | सिवान | मंगला पांडे |
37 | दरौंधा | कर्णजीत सिंह |
38 | गोरीयाकोठी | देवेश कांत सिंह |
39 | तरैया | जनक सिंह |
40 | अमनौर | कृष्ण कुमार मंटू |
41 | हाजीपुर | अवधेश सिंह |
42 | लालगंज | संजय कुमार सिंह |
43 | पातेपुर | लखेंद्र कुमार रौशन |
44 | मोईउद्दीननगर | राजेश कुमार सिंह |
45 | बछवाड़ा | सुरेंद्र मेहता |
46 | तेघड़ा | रजनीश कुमार |
47 | बेगूसराय | कुंदन कुमार |
48 | भागलपुर | रोहित पांडे |
49 | बांका | राम नारायण मंडल |
50 | कटोरिया | पूरण लाल टुडू |
51 | तारापुर | सम्राट चौधरी |
52 | मुंगेर | कुमार प्रणय |
53 | लखीसराय | विजय कुमार सिन्हा |
54 | बिहार शरीफ | सुनील कुमार |
55 | दीघा | संजीव चौरेसिया |
56 | बांकीपुर | नितिन नवीन |
57 | कुम्हरार | संजय गुप्ता |
58 | पटना साहिब | रतनैश कुशवाहा |
59 | दानापुर | रामरिकपाल यादव |
60 | बिक्रम | सिद्धार्थ सौरव |
61 | बड़हरा | राघवेन्द्र प्रताप सिंह |
62 | आरा | संजय सिंह “टाइगर” |
63 | तरारी | विशाल प्रशांत |
64 | अरवल | मनोज शर्मा |
65 | औरंगाबाद | त्रिविक्रम सिंह |
66 | गुरुआ | उपेंद्र डांगी |
67 | गया टाउन | प्रेम कुमार |
68 | वजीरगंज | वीरेंद्र सिंह |
69 | हिसुआ | अनिल सिंह |
70 | वारसलीगंज | अरुणा देवी |
71 | जमुई | श्रेयसी सिंह |
72 | अलीनगर | मैथिली ठाकुर |
73 | हायाघाट | रामचंद्र प्रसाद |
74 | मुजफ्फरपुर | रंजन कुमार |
75 | गोपालगंज | केदारनाथ सिंह |
76 | बानियापुर | केदारनाथ सिंह |
77 | छपरा | छोटी कुमारी |
78 | सोनपुर | विनय कुमार सिंह |
79 | रोसड़ा (अनुसूचित) | वीरेन्द्र कुमार |
80 | बाढ़ | शिवराम सिंह |
81 | अगिओं (अनुसूचित) | महेश पासवान |
82 | शाहपुर | राकेश ओझा |
83 | बक्सर | आनंद मिश्रा (IPS) |
84 | रामनगर (अनुसूचित) | नंद किशोर राम |
85 | नरकटियागंज | संजय पांडे |
86 | बगहा | राम सिंह |
87 | लौरिया | विनय बिहारी |
88 | नौतन | नारायण प्रसाद |
89 | चनपटिया | उमाकांत सिंह |
90 | हरसिद्धि (अनुसूचित) | कृष्णानंदन पासवान |
91 | कल्याणपुर | सचिंद्र प्रसाद सिंह |
92 | चिरैया | लालबाबू प्रसाद गुप्ता |
93 | कोचाधामन | बीना देवी |
94 | बैसी | विनोद यादव |
95 | राघोपुर | सतीश कुमार यादव |
96 | बिहपुर | कुमार शैलेंद्र |
97 | पीरपैंती (अनुसूचित) | मुरारी पासवान |
98 | रामगढ़ | अशोक कुमार सिंह |
99 | मोहानिया (अनुसूचित) | संगीता कुमारी |
100 | भभुआ | भरत बिंद |
101 | गोह | रणविजय सिंह |
इसलिए नेताओं में बढ़ा संतोष
पार्टी के दिग्गज नेता अश्विनी चौबे, गिरिराज सिंह और आर.के. सिंह जैसे कई नेताओं की नाराजगी सतह पर दिख चुकी है. टिकट वितरण से पहले बनी बीजेपी की कोर कमेटी से केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल को बाहर किया जाना भी अंदरूनी खींचतान को और हवा दे गया. दिल्ली में हुई कोर ग्रुप की बैठक में दोनों नेताओं को आमंत्रित नहीं किया गया, जबकि बिहार के मंत्री नितिन नवीन को शामिल किया गया. इससे स्थानीय नेताओं में असंतोष और बढ़ गया.
नाराज़ नेताओं को मैनेज करने पहुंचे शाह
इन तमाम बगावतों के बीच आज गृहमंत्री अमित शाह तीन दिनों के दौरे पर पटना पहुंच रहे हैं. शाह के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती होगी — पहला, पार्टी के नाराज़ नेताओं को मैनेज करना और दूसरा, एनडीए सहयोगियों यानी जेडीयू, एलजेपी (रामविलास) और हम के साथ तालमेल बनाकर “फ्रेंडली फाइट” की नौबत से बचना. कुल मिलाकर, टिकट वितरण के बाद बीजेपी को अब बाहरी मुकाबले से ज़्यादा अपने अंदरूनी मोर्चे को संभालने की चुनौती है.