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बिहार

बिहार में चुनाव से पहले चिराग के जीजा ने जातीय जनगणना पर उठाए सवाल, बोले- ‘अपना मकसद पूरा किया’

Bihar Politics: चिराग पासवान के जीजा अरुण भारती ने इस बार जातीय जनगणना को लेकर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि महागठबंधन सरकार में कराई गई जनगणना आधी-अधूरी थी। इसका उद्देश्य बहुजनों को हक दिलाना नहीं था। पढ़ें सौरभ कुमार की रिपोर्ट...

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Rakesh Choudhary Updated: Jun 25, 2025 11:04
Bihar Election 2025 Arun Bharti
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान और उनके जीजा अरुण भारती (Pic Credit- Social Media)

Bihar Election 2025: बिहार में चुनाव से पहले एनडीए में सब कुछ ठीक वाला दाव हवा-हवाई लग रहा है। इसकी मिसाल है केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के जीजा और सांसद अरुण भारती का वह पोस्ट जिसके जरिए उन्होंने नीतीश सरकार की जातीय जनगणना को कठघरे में खड़ा कर दिया है। हालांकि उनका निशाना तेजस्वी यादव पर था लेकिन उसकी जद में सीएम नीतीश कुमार भी आ गए।

अरुण भारती ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि ‘बिहार में महागठबंधन की सरकार में, आधे-अधूरे जातीय सर्वेक्षण सिर्फ अपने वोट बैंक की संख्या उजागर कर सत्ता की दावेदारी मजबूत करना था, ना कि बहुजन समाज को उसका हक और न्याय दिलवाना। तेजस्वी यादव ने बहुजनों को गिनती तक ही सीमित रखा। इसके उलट, चिराग पासवान ने केंद्रीय मंत्री रहते हुए केंद्र सरकार में निर्णायक भूमिका निभाई, और वास्तविक जातीय जनगणना को पारित करवाया — एक ऐसी जनगणना जो सिर्फ बहुजनों की संख्या नहीं, बल्कि उनकी शिक्षा, रोजगार, संपत्ति और अवसरों की पूरी सामाजिक-आर्थिक तस्वीर को दर्ज करेगी। यह आंकड़ा बहुजनों को संवैधानिक न्याय दिलाने का आधार बनेंगा’।

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भारती ने गिनाई ये खामियां

इस सर्वेक्षण ने सिर्फ जातियों की संख्या गिनी — यानी कौन-सी जाति कितनी है। सिर्फ अपने M-Y वोट बैंक की ताकत को दिखाना। लेकिन यह नहीं बताया गया कि कौन-सी जाति कितनी गरीब है, किसकी शिक्षा तक पहुंच है या नहीं। सरकारी सेवाओं में किसकी कितनी हिस्सेदारी है और जमीन व संसाधनों पर किसका कितना अधिकार है?

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यानी गिनती सबकी हुई, लेकिन नीति और नियति सिर्फ अपने M-Y वोटबैंक के इर्द-गिर्द बनाई गई। यह अपने वोट बैंक को सत्ता और प्रशासन में बनाए रखने का एक सोची समझी साजिश थी।

न्यायिक आयोग गठित करना था

यह पूरा आयोजन बहुजन समाज — खासकर दलित, महादलित और आदिवासी समुदाय — के साथ सीधा छल था। अगर वाकई में बहुजन समाज के हक में काम होता तो एक न्यायिक आयोग गठित होता, मगर महागठबंधन की सरकार ने नहीं किया। एक सामाजिक-आर्थिक रिपोर्ट तैयार की जाती, मगर महागठबंधन की सरकार ने नहीं किया। बहुजन समाज की सरकारी सेवाओं में हिस्सेदारी के आंकड़े सामने लाए जाए, मगर महागठबंधन की सरकार ने यह भी नहीं किया गया।

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First published on: Jun 25, 2025 10:54 AM

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