Bihar elections: बिहार में चुनावों के नतीजो के बाद लालू परिवार में चल रही कलह के बीच आरजेडी के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने भी अपना दर्द सोशल मीडिया पर साझा किया है. शिवानंद तिवारी ने सोशल मीडिया पर लिखते हुए कहा कि बिहार आंदोलन के दौरान लालू यादव और मैं फुलवारी शरीफ जेल के एक ही कमरे में बंद थे. लालू यादव उस आंदोलन का बड़ा चेहरा थे. लेकिन उनकी आकांक्षा बहुत छोटी थी.
कभी कभी-ऊपर वाला शायद सुन लेता है
उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखते हुए कहा कि ‘रात में भोजन के बाद सोने के लिए जब हम अपनी अपनी चौकी पर लेटे थे तब लालू यादव ने अपने भविष्य के सपने को मुझसे साझा किया था. लालू ने मुझसे कहा कि ‘बाबा, मैं राम लखन सिंह यादव जैसा नेता बनना चाहता हूं’. लगता है कि कभी कभी-ऊपर वाला शायद सुन लेता है. आज दिखाई दे रहा है कि उनकी वह इच्छा पूरी हो गई है. संपूर्ण परिवार ने जोर लगाया. उनकी पार्टी के मात्र पच्चीस विधायक ही जीते. इस दौरान उन्होंने लिखा कि ‘मन में यह सवाल उठ सकता है कि मैं तो स्वयं उस पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष था. उसके बाद ऐसी बात मैं क्यों कह रहा हूं! मैं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष था. यह अतीत की बात हो गई.

कार्यकारिणी में भी जगह नहीं दी
तेजस्वी ने मुझे न सिर्फ़ उपाध्यक्ष से हटाया बल्कि कार्यकारिणी में भी जगह नहीं दी. ऐसा क्यों? क्योंकि मैं कह रहा था कि मतदाता सूची का सघन पुनर्निरीक्षण लोकतंत्र के विरूद्ध साजिश है. इसके खिलाफ राहुल गांधी के साथ सड़क पर उतरो. संघर्ष करो. पुलिस की मार खाओ. जेल जाओ. लेकिन वह तो सपनों की दुनिया में मुख्यमंत्री का शपथ ले रहा था. उसको झकझोर कर उसके सपनों में मैं विघ्न डाल रहा था. लालू यादव धृतराष्ट्र की तरह बेटे के लिए राज सिंहासन को गर्म कर रहे थे. अब मैं मुक्त हो चुका हूं. फुरसत पा चुका हूं. अब कहानियां सुनाता रहूंगा.
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