नई दिल्ली: टीम इंडिया ने बांग्लादेश के खिलाफ टेस्ट सीरीज जीतकर वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप की स्टेंडिंग्स में छलांग लगा दी है। भारतीय टीम अब दूसरे स्थान पर है। अब टीम इंडिया की नजर 9 फरवरी से ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ होने वाली टेस्ट सीरीज पर होगी। हालांकि बांग्लादेश में सबकी नजर एक गेंदबाज पर टिक गईं। वह थे 12 साल बाद वापसी करने वाले जयदेव उनादकट। जब कार्यवाहक कप्तान केएल राहुल ने बांग्लादेश के खिलाफ दूसरे टेस्ट के टॉस में बताया कि एकादश में कुलदीप यादव की जगह जयदेव उनादकट को लिया गया है तो सब चौंक गए, लेकिन उनादकट ने तीन विकेट चटकाकर अपनी प्रतिभा साबित कर दी।
मैं इसे अपने स्ट्रगल में लेता हूं
12 साल बाद टेस्ट क्रिकेट में वापसी करते हुए उनादकट अपने हर स्पैल में खतरनाक दिखे, लेकिन क्या उन पर कुलदीप यादव की जगह लेने का दबाव था? इस सवाल के जवाब में उनादकट ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा, “बिल्कुल नहीं।” उन्होंने कहा, “जब आप चीजों की उम्मीद नहीं करते हैं और वे होती हैं, तो मैं इसे अपने स्ट्रगल में लेता हूं। मैं सिर्फ योगदान देना चाहता था। अगर विकेट नहीं लेते हैं तो दूसरे छोर से दबाव बनाएं। मेरी यही सोच थी।”
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मैं पिच के अनुकूल था
उनादकट ने आगे कहा- “मुझे अपना मौका मिला क्योंकि प्रबंधन ने महसूस किया कि मैं पिच के अनुकूल था। परिस्थितियां राजकोट के समान थीं, विकेट से बहुत अधिक गति नहीं मिल रही थी। ऐसे में आपको यही सोच रखनी होती है कि जो कुछ भी हो सकता है उसे हासिल करना होगा। मैं जानता था अगर मैं अपनी ताकत पर टिका रहा तो मेरे रास्ते में कुछ न कुछ आएगा और इस तरह मुझे वह अतिरिक्त उछाल मिला।”
घरेलू क्रिकेट को दिया श्रेय
उनादकट ने एक दशक से अधिक समय के बाद अपनी वापसी का श्रेय घरेलू क्रिकेट को दिया। उन्होंने कहा- “घरेलू क्रिकेट ने मुझे इस तरह से बहुत मदद की है। जब आप विकेट नहीं प्राप्त कर रहे हों तब भी एक गेंदबाज के रूप में आपकी हमेशा भूमिका होती है। आप दबाव बना सकते हैं और बल्लेबाज को संदेह में डाल सकते हैं। अन्य गेंदबाज इसका फायदा उठा सकते हैं।”
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हमेशा विश्वास था कि एक और मौका मिलेगा
उनादकट ने आगे कहा- “मुझे हमेशा विश्वास था कि मुझे एक और मौका मिलेगा। हालांकि पिछले तीन चार साल में भारतीय तेज गेंदबाज अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे। मैं उन्हें ईमानदार देखकर प्रेरित हो रहा था।” उनादकट ने कहा- अपने खेल पर ध्यान दें और किसी और चीज से विचलित न हों। इससे मुझे भविष्य देखने में मदद मिली है। सौराष्ट्र की कप्तानी करते हुए मैं न केवल अपने प्रदर्शन की परवाह कर रहा हूं बल्कि दूसरों और टीम के लक्ष्यों की भी परवाह कर रहा हूं। पहले टेस्ट में 22 महीने बाद टेस्ट क्रिकेट में वापसी करने वाले कुलदीप ने 8 विकेट चटकाए थे।
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