1983 World Cup 2023: क्रिकेट खेलने वाले हर खिलाड़ी का सपना होता है कि वह विश्वकप में अपनी टीम की ओर से खेले और उसे जीत दिलाए। लेकिन कुछ खिलाड़ी ऐसे होते हैं जो टीम का हिस्सा तो बनते हैं लेकिन किसी ना किसी कारण से मैदान पर उतरकर खेलने का मौका उन्हें नहीं मिल पाता, फिर चाहे टीम संयोजन की बात हो या खिलाड़ी की चोट। भारत की 1983 की विश्वविजेता टीम में भी एक ऐसा ही धाकड़ प्लेयर था जिसे पूरे टूर्नामेंट में मैच खेलने का मौका ही नहीं मिला।
कौन है वो खिलाड़ी?
दरअसल हम जिस खिलाड़ी की बात कर रहे हैं वो 1983 विश्वविजेता टीम में शामिल लेफ्ट ऑर्म पेसर सुनील वाल्सन हैं। पेसर को 12 दिन पहले ही टीम में शामिल किया गया था लेकिन टीम के संयोजन के चलते उन्हें प्लेइंग 11 में जगह ही नहीं मिली। दिलचस्प बात ये है कि इस खिलाड़ी का कभी इंटरनेशनल डेब्यू ही नहीं हो पाया। क्योंकि विश्वकप के बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया और आगे एक भी मौका नहीं मिला। इस प्रकार उनका अंतर्राष्ट्रीय करियर यहीं पर समाप्त हो गया।
वाल्सन का फर्स्ट क्लास करियर
आंध्र प्रदेश के सिकंदराबाद में पैदा हुए सुनील वाल्सन इससे पहले दिल्ली और रेलवे की तरफ से घरेलू क्रिकेट खेले थे। वाल्सन ने 75 फर्स्ट क्लास मैच खेले और 212 विकेट लिए। वहीं, 22 लिस्ट-ए मैच में इस तेज गेंदबाज ने 23 विकेट झटके थे। इस प्रदर्शन की बदौलत उन्हें विश्वकप के लिए चयन किया गया था। हालांकि किस्मत में कुछ ओर ही लिखा था।
1983 विश्वकप के लिए भारतीय टीम
सुनील गावस्कर, क्रिस श्रीकांत, मोहिंदर अमरनाथ, यशपाल शर्मा, संदीप पाटिल, कपिल देव (कप्तान), कीर्ति आजाद, रोजर बिन्नी, मदन लाल, सैयद किरमानी (विकेटकीपर), बलविंदर संधू, सुनील वाल्सन, दिलीप वेंगसरकार।