Rohit Sharma On Cheteshwar Pujara: भारतीय टीम के दिग्गज बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा लंबे समय से स्क्वॉड से बाहर चल रहे हैं। उनको लेकर हाल ही में टेस्ट से संन्यास लेने वाले दिग्गज कप्तान रोहित शर्मा ने बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि जूनियर क्रिकेट के दिनों में टीम मीटिंग का मुख्य टॉपिक होता था कि पुजारा को कैसे आउट किया जाए।
मेरे चेहरे का रंग बदल जाता था- रोहित
रोहित ने याद दिलाया कि पुजारा का विकेट उस समय उनकी टीम के लिए जीत या हार का अंतर होता था। यह उस साहसी बल्लेबाज के शुरुआती लक्षण थे, जिन्होंने 103 टेस्ट मैचों में 19 शतक और 35 फिफ्टी के साथ 43.60 की औसत से 7,195 रन बनाए हैं। रोहित शर्मा ने 5 जून को चेतेश्वर पुजारा की पत्नी पूजा की किताब ‘द डायरी ऑफ ए क्रिकेटर्स वाइफ’ के विमोचन के अवसर पर कहा, ‘मुझे बस इतना याद है कि जब मैं 14 साल का था और मैदान पर जाता था, तो शाम को जब वापस आता था, तो मेरे चेहरे का रंग बिल्कुल बदल जाता था। वह पूरे दिन बल्लेबाजी करता था और हम 2-3 दिन तक धूप में फील्डिंग करते थे। मुझे अभी भी याद है कि मेरी मां ने मुझसे कई बार पूछा था कि जब तुम घर से खेलने जाते हो, तो तुम अलग दिखते हो और जब तुम एक हफ्ते या 10 दिन बाद घर आते हो, तो तुम अलग दिखते हो। इसके जवाब में मैंने उन्हें बताया कि यह सब पुजारा की वजह से है।’
Rohit Sharma and Cheteshwar Pujara share shocking incident about not going out after 9 pm in West Indies.😳 pic.twitter.com/iMsXwGGJWe
— 𝐑𝐮𝐬𝐡𝐢𝐢𝐢⁴⁵ (@rushiii_12) June 7, 2025
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उनका क्रिकेट के लिए जुनून गजब का था- रोहित
रोहित ने आगे कहा, ‘मैं कहता था मां मैं क्या करूं। चेतेश्वर पुजारा नाम का एक बल्लेबाज है। वह तीन दिनों से बल्लेबाजी कर रहा है, इसलिए उसके बारे में हमारी पहली धारणा यही थी।’ रोहित ने अपने करियर की शुरुआत में दोनों घुटनों में चोट के बावजूद 100 से ज्यादा टेस्ट खेलने का क्रेडिट पुजारा को दिया। उन्होंने कहा, ‘यह बहुत बड़ी चोट थी और बहुत बुरी चोट थी। उनकी दोनों एसीएल (एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट) चली गई थीं। किसी भी क्रिकेटर के लिए चाहे वह एथलीट न हो या कोई मैच न खेल रहा हो, यह बहुत मुश्किल होता है जब वह अपनी दोनों एसीएल खो देता है। हम उनकी दौड़ने की तकनीक और इस तरह की अन्य चीजों को लेकर उनका मजाक उड़ाते थे, लेकिन इसके बाद वह भारत के लिए 100 से ज्यादा टेस्ट मैच खेलने में सफल रहा। क्रिकेट को खेलने के लिए उनमें बहुत समर्पण और जुनून था।’
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