Paris Paralympics 2024 में भारतीय एथलीट दीप्ति जीवनजी ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में मेडल जीतने वाली दूसरी भारतीय महिला खिलाड़ी बन गई हैं। उन्होंने महिलाओं की 400 मीटर की दौड़ में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया है। इससे पहले ये कारनामा प्रीति पाल ने किया था, जिन्होंने इसी पैरालंपिक में भारत के लिए ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में पहला पदक जीता था। दीप्ति जवनजी ने इस इवेंट में 55.82 सेकेंड में अपनी दौड़ पूरी करके ब्रॉन्ज मेडल जीता है। जबकि, इस इवेंट में युक्रेन की रेसको ने 55.16 सेकेंड में अपनी दौड़ पूरी करके गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया है। वहीं, तुर्की की आयसेल ओंडर ने 55.23 सेकेंड में दौड़ पूरी करके इस इवेंट का सिल्वर पदक अपने नाम किया है।
🇮🇳🥉 𝗗𝗲𝗲𝗽𝘁𝗵𝗶 𝘀𝗰𝗿𝗶𝗽𝘁𝘀 𝗛𝗘𝗥 𝐡̶𝐢̶𝐬̶ 𝘀𝘁𝗼𝗿𝘆! A terrific achievement for Deepthi Jeevanji as she becomes the first Indian para athlete to win a Paralympic medal in the women’s 400m T20 event.
---विज्ञापन---👏 Many congratulations to her on the Bronze medal.
👉 𝗙𝗼𝗹𝗹𝗼𝘄… pic.twitter.com/sQsfK96yyA
---विज्ञापन---— Sportwalk Media (@sportwalkmedia) September 3, 2024
कौन हैं दीप्ति जीवनजी
दीप्ति जीवनजी तेलंगाना के वारंगल जिले की रहने वाली हैं। वो काफी गरीब परिवार से आती हैं। उनके पिता दिहाड़ी मजदूर थे। दीप्ति का परिवार इतना गरीब था कि उनके पास अपनी बेटी को वारंगल से हैदराबाद भेजने के लिए बस का किराया देने तक के पैसे नहीं थे। दीप्ति की मानसिक स्थिति सही नहीं होने से उन्हें मोहल्ले के लोग ताने भी मारा करते थे। अब यही ताना मारने वाले लोग दीप्ति के घर बधाई के लिए पहुंच रहे हैं।
दीप्ति के कोच रमेश के अनुसार, दीप्ति ने संघर्ष का सामना करते हुए ये मुकाम हासिल किया है। उनके माता-पिता को भी खूब ताने सुनने पड़े हैं कि उनकी बेटी मानसिक रूप से कमजोर है, इसलिए इसकी शादी नहीं हो सकती। एक स्कूल के टूर्नामेंट में उन्होंने दीप्ति की दौड़ को देखा था, तब ही उन्होंने दीप्ति को प्रशिक्षित करने का फैसला लिया था।
बचपन में गांव वालों ने चिढ़ाया
दीप्ति की मां जीवनजी धनलक्ष्मी ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बताया था कि दीप्ति जीवनजी सूर्य ग्रहण के दौरान पैदा हुईं थीं। जन्म के समय उनका सिर बहुत छोटा था, साथ ही होंठ और नाक भी थोड़े असामान्य थे। इसे देखकर गांव के बच्चे और रिश्तेदार दीप्ति जीवनजी को ‘पागल’ और ‘बंदर’ कहकर चिढ़ाते थे और उन्हें अनाथालय भेजने के लिए कहते थे। दीप्ति को जब लोग चिढ़ाते थे, तो वो घर आकर रोया करती थीं। बचपन में ही पिता की मृत्यु हो जाने के बाद घर का खर्च चलाने के लिए खेत बेचना पड़ा था। लेकिन अब सब कुछ बदल चुका है।
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बना चुकी हैं वर्ल्ड रिकॉर्ड
पेरिस पैरालंपिक में भारत के लिए मेडल जीतने वाली दीप्ति जीवनजी वर्ल्ड रिकॉर्ड भी अपने नाम कर चुकी हैं। दीप्ति जीवनजी ने जापान के कोबे में पैरा एथलेटिक वर्ल्ड चैंपियनशिप-2024 में 400 मीटर टी20 श्रेणी में 55.06 सेकंड का समय लेकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था। इसके साथ ही एशियाई पैरा गेम्स-2023 में उन्होंने अमेरिकी एथलीट ब्रेना क्लार्क का रिकॉर्ड (55.12 सेकेंड) तोड़ा था। वहीं, एशियाई गेम्स-2022 में उन्होंने नया एशियाई पैरा रिकॉर्ड अपने नाम करते हुए गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। दीप्ति ने उस वक्त 56.69 सेकंड का समय निकाला था।
What a phenomenal Bronze medal by Deepthi Jeevanji in the Women’s 400M T20 at #Paralympics2024!
With every stride, you showcased the unstoppable energy and spirit that define true champions.
Many Congratulations!#Cheer4Bharat pic.twitter.com/QvJDEbCxuM
— Raksha Khadse (@khadseraksha) September 3, 2024
इनाम के पैसों से खरीदी जमीन
दीप्ति जीवनजी की आर्थिक हालत इतनी खराब थी कि उन्हें अपने प्रशिक्षण के लिए जमीन तक बेचनी पड़ गई थी। लेकिन, जब पैरा एशियाई गेम्स में उन्हें गोल्ड मेडल के साथ 30 लाख रुपये का इनाम मिला तो उन्होंने इससे जमीन खरीदी। दीप्ति को जब-जब मेडल या पुरस्कार राशि मिलती है, वह उससे जमीन ही खरीदती हैं। इस जमीन पर उनका परिवार खेती करता है। दीप्ति जीवनजी के करियर को आगे बढ़ाने में राष्ट्रीय बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद की भी भूमिका रही है।
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