IND vs SA: सेनुरन मुथुसामी ने पाकिस्तान के खिलाफ नाबाद 89 रन बनाकर अपनी टीम जीत दिलाई थी. उसके बाद वो भारत के खिलाफ बल्लेबाजी करने उतरे. जहां पर उन्होंने 109 रनों की शानदार पारी खेली. इस पारी के बाद उनकी मां ने बड़ा खुलासा किया. मुथुसामी को उनकी मां फ्रीडम बेबी भी बोलती है. इसके पीछे की कहानी बहुत ज्यादा फिल्मी है. दक्षिण अफ्रीका के स्टार सेनुरन मुथुसामी के भारत से कनेक्शन को लेकर भी उनकी मां वानी मूडली ने बड़ा बयान दिया है.
सेनुरन मुथुसामी को क्यों कहते हैं फ्रीडम बेबी?
स्टार ऑलराउंडर सेनुरन मुथुसामी का जन्म 1994 में हुआ था. इसी साल अफ्रीका में रंगभेद का अंत हुआ था. जिसके कारण ही उनकी मां उन्हें फ्रीडम बेबी भी कहती हैं. अपने बेटे की सफलता को लेकर उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से बात की है. शानदार शतक को लेकर मुथुसामी की मां वानी मूडली ने कहा, ‘मैंने कल उन्हें स्टंप्स तक बल्लेबाजी करते देखा और जब मैं घाना से उड़ान भर रही थी. तब भारतीय समयानुसार लगभग 2.30 बजे थे. मैं लाउंज में उनसे टीवी चैनल बदलने के लिए बेताब थी. मैं घर पहुंचने के लिए सड़कों पर बेतहाशा दौड़ रही थी. खुशकिस्मती से, मैं उनके शतक के ठीक समय पर पहुँच गई.’
मुथुसामी की मां उनकी पारी के दौरान घर पर नहीं थी. हालांकि शतक के ठीक समय वो घर में पहुंच गई. घर में पहुंचते ही वानी मूडली को उनके फोन पर मुथुसामी की अफ्रीकी जर्सी में फोटो दिखाई दी. जिसमें ‘गुवाहाटी स्टेडियम में पहला शतक’ लिखा था.
भारत के साथ है मुथुसामी के परिवार का कनेक्शन
दक्षिण अफ्रीका के स्टार बल्लेबाज सेनुरन मुथुसामी के भारत के साथ कनेक्शन को लेकर उनकी मां वानी मूडली ने कहा, ‘हमारे पूर्वज 1900 के दशक की शुरुआत में तमिलनाडु के वेल्लोर से गिरमिटिया मजदूर के रूप में यहां आए थे. मेरे दादाजी मूलतः अफ्रीका आने वाले जहाजों में से एक पर एक अवैध यात्री थे. मेरा जन्म उस दौर में हुआ था जब रंगभेद का बोलबाला था, और हम अलग-थलग बस्तियों में पले-बढ़े थे. मैं विश्वविद्यालय जाने का खर्च नहीं उठा सकती थी और अपनी पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए मुझे पूर्णकालिक नौकरी करनी पड़ी. उस समय एक युवा कार्यकर्ता के रूप में मुझे रंगभेद विरोधी संघर्ष का हिस्सा बनने का अवसर मिला.’
मुथुसामी के क्रिकेट करियर की शुरुआत को लेकर उनकी मां ने कहा, ‘मेरे बेटे के जमाने में चीजें बदल गईं. वह एक बहुसांस्कृतिक समुदाय में पैदा हुआ था और उसके दादा और पिता ने ही उसमें क्रिकेट के बीज बोए थे. जब से वह खड़े होने लायक हुए, तब से ही वह पूरी तरह से तैयार रहते थे और अपने पिता के साथ थ्रोडाउन करते थे. यह सिलसिला उनके पिता के निधन तक जारी रहा. मुझे उन्हें थ्रोडाउन देते रहने के लिए खुद को क्रिकेट के ज्ञान से लैस करना पड़ा.’










