BCCI Pension Criteria: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) दुनिया का सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड है और यही वजह है कि वो अपने क्रिकेटर्स का खूब ख्याल रखता है। सिर्फ मौजूदा क्रिकेटर्स ही नहीं, बीसीसीआई उन खिलाड़ियों का भी पूरी तरह ख्याल रखता है, जो इस खेल से संन्यास ले चुके हैं। मौजूदा समय में भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटरों को बीसीसीआई से पेंशन के रूप में एक अच्छी रकम मिलती है। इसके लिए उन्हें एक निश्चित संख्या में मैच खेलना जरूरी होता है, तभी वो इसके हकदार होते हैं। आइए एक नजर डालते हैं बीसीसीआई के पेंशन क्राइटेरिया पर और जानते हैं कि पूर्व खिलाड़ियों को कितनी पेंशन दी जाती है।
पेंशन के लिए पात्र होने के लिए मेंस क्रिकेटर को कम से कम 25 फर्स्ट क्लास मैच खेलने जरूरी हैं। अगर कोई क्रिकेटर 25 से 49 फर्स्ट क्लास मैच खेलता है तो उसे 30 हजार रुपये पेंशन मिलती है, जबकि 50 से 74 मैच खेलने वाले को 45 हजार रुपये मिलते हैं। इसके अलावा 75 या उससे ज्यादा मैच खेलने वाले पूर्व क्रिकेटरों को 52500 रुपये मिलते हैं।
In an interview, Vinod Kambli had revealed that he gets a pension of Rs 30 thousand per month, with which he is taking care of his family and household things
Seeing Vinod Kambli’s health, Kapil Dev and other members of India’s 1983 World Cup winning squad have agreed to help the… pic.twitter.com/erDMv0VNMJ— VINOD BISHNOI (@vinodbishnoi929) December 8, 2024
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महिला क्रिकेटरों को कितनी मिलती है पेंशन?
सिर्फ यही नहीं, बीसीसीआई 31 दिसंबर 1993 से पहले रिटायर होने वाले और 25 से ज्यादा टेस्ट मैच खेलने वाले सभी टेस्ट क्रिकेटरों को पहले 50 हजार देता था, लेकिन अब यह राशि बढ़ाकर 70 हजार कर दी गई है। बात करें महिला क्रिकेटरों की तो 10 या इससे ज्यादा टेस्ट खेलने वाली महिला क्रिकेटर ही पेंशन के लिए पात्र हैं। बीसीसीआई इन क्रिकेटर्स को अब 52,500 रुपये पेंशन के रूप में देता है, जबकि 5 से 9 टेस्ट खेलने वाली क्रिकेटरों को 15,000 रुपये मिलते हैं।
2004 में हुई पेंशन देने की शुरुआत
बता दें कि बीसीसीआई ने रिटायर्ड क्रिकेटरों को पेंशन देने की शुरुआत 2004 में शुरू की थी। उस समय बोर्ड की तरफ से 174 पूर्व खिलाड़ियों और अधिकारियों को 5000 रुपये की मासिक पेंशन देने का फैसला लिया गया था। इस पॉलिसी में 1 टेस्ट मैच खेलने वाले और 50 टेस्ट मैच खेलने वाले ख़िलाड़ी के बीच किसी तरह का भेदभाव नही किया गया था। लेकिन इसमें पेंशन के योग्य उन्हीं खिलाड़ियों को माना गया, जिन्होंने टेस्ट और वनडे दोनों प्रकार के मैच खेले थे। इस योजना में साल 2009 और 2015 में बदलाव किया जा चुका है।
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