Bronze Medalist Rakesh Kumar: पेरिस पैरालंपिक की मिश्रित टीम कंपाउंड ओपन तीरंदाजी स्पर्धा में भारतीय तीरंदाज शीतल देवी और राकेश कुमार ने ब्रॉन्ज मेडल जीता है। उन्होंने इटली के मातेओ बोनासिना और एलेओनोरा सारती को 156.155 से हराकर मेडल जीता था। उन्हें पहले भारत के लिए तीरंदाजी में पदक हरविंदर सिंह ने जीता था। उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। राकेश कुमार के पदक जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे बात की। इस दौरान PM ने उन्हें एक बात को लेकर डांट भी लगाई।
PM मोदी ने लगाई डांट
राकेश कुमार के ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद PM मोदी ने उन्हें कॉल किया था और जीत की बधाई दी थी। इस दौरान PM मोदी ने राकेश को उनके वजन को लेकर डांटा भी। PM मोदी ने उन्हें कहा, ‘मुझे आप को डांटना है। आपने मुझसे प्रॉमिस किया था कि आप अपना वजन कम करेंगे, लेकिन आपने ऐसा नहीं किया।’ जिस पर राकेश कुमार ने कहा, ‘पैरालंपिक की ट्रेनिंग की वजह से वो अपने वजन को कम नहीं कर पाए थे, लेकिन अब वो अपने वजन को बहुत ज्यादा कम कर लेंगे।’
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‘कभी करना चाहते थे आत्महत्या’
राकेश कुमार जम्मू-कश्मीर के कटरा के रहने वाले हैं। उनका जन्म एक मिडिलक्लास फैमिली में हुआ था। उनके पिता बढ़ई हैं और वो उनकी मां गृहिणी हैं। 2010 में हुए एक्सीडेंट की वजह से उनके दोनों पैर खराब हो गए थे। इसके बाद से वो व्हीलचेयर पर हैं। इस एक्सीडेंट की वजह से उन्हें जीवन में कई कठिनाईयों का सामना करना पड़ा था। एक समय पर वो आत्महत्या करने के बारे में भी सोच रहे थे। इसके बाद उन्होंने खुद को संभाला और अपना ध्यान आर्चरी पर लगाया। अज वो देश के टॉप पैरा एथलीटों में से एक हैं।
A triumph of teamwork and tenacity!
Rakesh Kumar & Sheetal Devi, your Bronze Medal in the Para Archery Mixed Team Compound Open at #paralympics2024 speaks volumes about your hard work & dedication.
Your journey together has been inspiring, showing that with mutual support &… pic.twitter.com/EFut4er5jk— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) September 2, 2024
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राकेश की प्रतिभा को कोच कुलदीप यादव ने पहचाना था। उन्होंने 2017 में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में एक तीरंदाजी केंद्र स्थापित किया गया था। इसके बाद राकेश अपने करियर में आगे बढ़ते चले गए। उनके लिए ये सफर भी आसान नहीं था। उन्हें आर्थिक तंगी से भी जूझना पड़ा था। इस दौरान माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने उनकी सहायता की थी। जिसके बाद वो अपने करियर पर फोकस कर पाए।