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क्या है लकड़ी का उपग्रह और ये कैसे अंतरिक्ष के कचरे की समस्या से निजात दिलाएगा?

डॉ. आशीष कुमार। पृथ्वी की तरह अंतरिक्ष (space) में भी कचरा समस्या पैदा कर रहा है। इस अंतरिक्षीय कचरे (space waste) के कारण अंतरिक्ष यानों और उपग्रहों को हमेशा खतरा बना रहता है। यह अंतरिक्षीय कचरा और कुछ नहीं बल्कि उपग्रहों, रॉकेट, अंतरिक्ष यानों का मलबा ही होता है, जो पृथ्वी के चारों ओर अनियमित […]

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Mar 5, 2024 15:07
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wooden satellite

डॉ. आशीष कुमार। पृथ्वी की तरह अंतरिक्ष (space) में भी कचरा समस्या पैदा कर रहा है। इस अंतरिक्षीय कचरे (space waste) के कारण अंतरिक्ष यानों और उपग्रहों को हमेशा खतरा बना रहता है। यह अंतरिक्षीय कचरा और कुछ नहीं बल्कि उपग्रहों, रॉकेट, अंतरिक्ष यानों का मलबा ही होता है, जो पृथ्वी के चारों ओर अनियमित कक्षा में चक्कर लगाता रहता है। जापान की अंतरिक्ष एजेंसी ‘जाक्सा’ (JAXA) ने इस अतंरिक्षीय कचरे से निजात दिलाने की ठानी है, इसके लिए उसने लकड़ी का अनूठा प्रयोग किया है।

जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा द्वारा बनाए लकड़ी के ये उपग्रह ( wooden satellite) पृथ्वी के वातारण में लौटने पर जलकर राख हो जाएंगे। साथ ही, मलब पृथ्वी पर नहीं गिरेगा। यदि छोटे टुकडे रह जाते है तो वे समय के साथ खत्म हो जाएंगे, इसके मलबे से अंतरिक्ष में कचरा इकट्ठा नहीं होगा।

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लकड़ी के उपग्रहों पर परीक्षण

जापान के अगले साल यानी 2024 तक लकड़ी से बने उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने की योजना बनायी है। जापान के क्योटो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक पिछले कई सालों से लकड़ी से बने उपग्रहों पर परीक्षण कर रहे थे। हाल में ही, क्योटो विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने ‘आइएसएस’ यानी ‘इंटरनेशनल स्पेशन स्टेशन’ पर सैटेलाइट में प्रयुक्त होने वाली लकड़ी पर परीक्षण किए हैं।

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‘मैगनोलिया’ की लकड़ी पर बने उपग्रह

वैज्ञानिकों ने सैटेलाइटों के निर्माण के लिए ‘मैगनोलिया’ की लकड़ी को चुनकर परीक्षण किए हैं। इसकी ‘हूनोकी’ प्रजाति पर वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष में परीक्षण संपन्न किए हैं। इन परीक्षणों में लकड़ी की मजबूती और स्थायित्व की जांच की गई है। अंतरिक्ष में किए गए इस परीक्षण के नतीजे उत्साहजनक मिले हैं। लकड़ी के नमूने पर ब्रह्मांडीय किरणों, तापमान परिवर्तन, खतरनाक सौर किरणों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। जापान के अंतरिक्ष यात्री कोइची वाकाटा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर किए गए परीक्षणकर्ताओं में शामिल थे। अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा ने लकड़ी के सैटेलाइट का मॉडल भी तैयार किया है, जिसका नाम ‘लिग्नोसैट’ रखा है। जाक्सा इस लिग्नोसैट सैटेलाइट को 2024 में पृथ्वी की कक्षा छोड़ने की योजना बना रहा है।

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जापान का सराहनीय प्रयास

आंकड़ों के मुताबिक, लगभग 8 हजार कृत्रिम उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में चक्कर लगा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी देशों व प्राइवेट कंपनियों में अपने सैटेलाइट अंतरिक्ष में छोड़ने की होड़ मची हुई है। अंतरिक्ष में घूम रहे ये उपग्रह पिछले कुछ दशकों में ही छोड़े गए हैं, यदि इसी प्रकार कृत्रिम उपग्रहों को छोड़ा जाता रहा, उनके मलबे की चिंता नहीं की तो आने वाले समय में स्थिति और भी भयावह हो जाएगी। ऐसे में जापान द्वारा किया जा रहा प्रायोगिक प्रयास सराहनीय है।

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News24 हिंदी

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rahul solanki

First published on: Jun 05, 2023 04:42 PM

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