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यूक्रेन में मिला 2 हजार साल पहले इंसान की त्वचा से बनाया गया चमड़ा, रिसर्चर्स ने बताई चौंकाने वाली बात

शोधकर्ताओं ने इसे आश्चर्यजनक खोज बताते हुए कहा कि दो में मानव त्वचा के नमूनों की उपस्थिति है जो प्राचीन यूनानी इतिहासकार हेरोडोटस के दावे को सही साबित करती है।

Edited By : Shubham Singh | Updated: Dec 21, 2023 15:51
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यूक्रेन में 2,000 साल पहले खानाबदोश योद्धाओं द्वारा मानव त्वचा से बनाया गया चमड़ा मिला है। यहां खोजी गई कलाकृतियां प्राचीन सीथियनों की थीं जो मध्य एशिया से उत्पन्न हुए थे। वे युद्ध में क्रूरता और नए हथियारों का इस्तेमाल करने के लिए जाने जाते थे। प्राचीन यूनानियों ने दावा किया था कि सीथियन ने दुश्मन के दाहिने हाथ की त्वचा को हटा दिया था और इसका उपयोग चमड़ा बनाने के लिए किया था।

मेल ऑनलाइन की एक रिपोर्ट के मुताबिक डेनमार्क में कोपेनहेगन विश्वविद्यालय के रिसर्चर्स द्वारा की गई यह खोज साबित करती है कि पहले लिखा गया लेख गलत नहीं है। टीम को जानवरों की त्वचा के साथ मानव त्वचा का मिश्रण मिला। रिसर्चर्स की टीम ने दक्षिणी यूक्रेन में 14 अलग-अलग सीथियन स्थलों पर 18 कब्रों का पता लगाया, जिसमें 45 चमड़े के नमूने मिले। इसमें से ज्यादातर बकरी या भेड़ जैसे जानवरों की खालें थीं।

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टीम का मानना ​​है कि जिन जानवरों का शिकार किया गया था उनमें बाघ, शेर, नेवला, वूल्वरिन, ऊदबिलाव या लकड़बग्घा थे। विश्लेषण से पता चला कि दो नमूने मनुष्यों के थे, जो प्राचीन यूनानी ‘इतिहास के पिता’ हेरोडोटस द्वारा लिखे गए पाठ से मेल खाते थे, जिन्होंने सीथियन के बारे में 430 ईसा पूर्व के आसपास एक किताब लिखी थी।

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पाए गए चमड़े में मानव अवशेष

मानव त्वचा के नमूनों में से एक को बकरी, घोड़े और मवेशियों की त्वचा के साथ मिलाकर एक थैला बनाया गया, जिसमें कभी तीर रखे जाते थे। टीम को जानवरों की त्वचा के साथ मानव की त्वचा मिली, जिससे एक चिथड़े जैसा पदार्थ बनाया गया था। पाए गए चमड़े में मानव अवशेष मिले।

बताया हैरान करने वाली खोज

शोधकर्ताओं ने इसे आश्चर्यजनक खोज बताते हुए कहा कि दो में मानव त्वचा के नमूनों की उपस्थिति है जो पहली बार प्राचीन यूनानी इतिहासकार हेरोडोटस के दावे को सही साबित करती है कि सीथियन ने अपने मृत दुश्मनों की त्वचा का उपयोग चमड़े की वस्तुओं के निर्माण के लिए किया था।

कौन थे सीथियन

सीथियन या साका ईरानी खानाबदोश थे। वे 9वीं शताब्दी ईसा पूर्व से चौथी शताब्दी ईस्वी तक यूरेशियाई मैदानों के बड़े हिस्से में घूमते थे। ऐसा माना जाता है कि वे घुड़सवार थे और उन्हें युद्ध में महारत हासिल थी।

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Written By

Shubham Singh

First published on: Dec 21, 2023 03:24 PM

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