भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और प्रथम पूज्य के रूप में जाना जाता है। इनका सभी देवी-देवताओं में एक विशेष स्थान रखते हैं। भगवान गणेश बुद्धि, ज्ञान के भंडार हैं। प्रभु को लंबोदर भी कहा जाता है। भगवान गणेश का शरीर विशालकाय है, लेकिन उनका वाहन चूहा है। भगवान गणेश का वाहन चूहा बनने की पीछे शास्त्रों में कुछ कथाएं प्रचलित हैं।
मुद्गल पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार, गजासुर नामक एक राक्षस ने कठोर तपस्या करके भगवान शिव से वरदान प्राप्त किया कि वह अजेय हो जाए। इस वरदान के बल पर गजासुर ने तीनों लोकों में उत्पात मचाना शुरू कर दिया। उसका अहंकार इतना बढ़ गया कि वह स्वयं को सर्वशक्तिमान मानने लगा। जब उसका अत्याचार असहनीय हो गया तब भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश को उसे परास्त करने का आदेश दिया।
इस पर गणेश जी ने गजासुर से युद्ध किया और उसे पराजित कर दिया। पराजित होने के बाद गजासुर ने गणेश जी की शरण मांगी और उनके प्रति अपनी भक्ति प्रकट की। गजासुर ने प्रायश्चित के रूप में स्वयं को एक छोटे से चूहे के रूप में परिवर्तित कर लिया और गणेश जी का वाहन बनने की इच्छा व्यक्त की। गणेश जी ने उसकी भक्ति को स्वीकार किया और उसे अपने वाहन के रूप में चुना। इस तरह, गजासुर मूषक बनकर गणेश जी की सेवा में समर्पित हो गया।
गणेश पुराण में है ‘क्रौंच की कथा’
गणेश पुराण के अनुसार क्रौंच नामक एक गंधर्व ने एक बार ऋषि वामदेव को अपमानित किया। क्रौंच ने ऋषि के आश्रम में अनुचित व्यवहार किया, जिसके कारण वामदेव ने उसे श्राप दिया कि वह एक विशाल चूहा बन जाए। यह चूहा इतना विशाल और शक्तिशाली था कि उसने पर्वतों, वनों और गांवों को नष्ट करना शुरू कर दिया। इसके साथ ही वह ऋषि पाराशर के आश्रम में आ गया। जहां उसने उत्पात मचाना शुरू कर दिया।
उसने ऋषि पाराशर की कुटिया में रखे सभी बर्तन तोड़ दिए और ग्रंथों को कुतर डाला। चूहे की इस हरकत से ऋषि काफी परेशान हो गए। उन्होंने उसके आतंक से मुक्ति के लिए भगवान गणेश से प्रार्थना की। जब भगवान गणेश उस चूहे के सामने आए तो वो पाताल लोक में भाग गया। भगवान गणेश ने उसे पकड़ने के लिए पाश फेंका। पाश चूहे का पीछा करते हुए पाताल में चला गया। पाश के प्रभाव से चूहा बेहोश हो गया।
जब उसको होश आया तो उसने भगवान गणेश को अपने सामने पाया। इस पर वह डर गया और अपने प्राणों की भीख मांगने लगा। भगवान गणेश ने उसे माफ कर दिया और वरदान मांगने को कहा। इस पर चूहे बने उस गंधर्व ने अहंकार दिखाते हुए भगवान गणेश से कहा कि मुझे आपसे कोई वरदान नहीं चाहिए, लेकिन अगर आपको मुझसे कोई वर मांगना हो तो उसकी याचना कर सकते हो।
इस पर भगवान गणेश मुस्कुराए और उसके अहंकार को तोड़ने के लिए बोले कि आप मेरे वाहन बन जाएं। इसको सुनकर चूहे का अहंकार नष्ट हो गया और उसने भगवान गणेश का वाहन बनना स्वीकार कर लिया।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्रों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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