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Mandala Puja 2025: मंडला पूजा क्या है, किस देवता को समर्पित है, कब, कहां और क्यों होता है? जानें विस्तार से

Mandala Puja 2025: केरल का प्रसिद्ध मंडला पूजा भगवान अय्यप्पा को समर्पित एक पवित्र अनुष्ठान है. आइए जानते हैं, यह पूजा कब और कहां होती है? इसका धार्मिक महत्व क्या है? मंडला पूजा 2025 से जुड़ी पूरी जानकारी के साथ यह भी जानिए कि भगवान अयप्पा कौन हैं?

Author Written By: Shyamnandan Author Published By : Shyamnandan Updated: Nov 13, 2025 13:40
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Mandala Puja 2025: केरल का प्रसिद्ध मंडला पूजा भगवान अय्यप्पा को समर्पित एक बहुत ही पवित्र पूजा है. इस दिन भगवान अय्यप्पा के भक्त अपनी 41 दिनों की तपस्या पूरी करते हैं. यह तपस्या मलयालम पंचांग के वृश्चिकम मासम के पहले दिन से शुरू होती है और धनु मासम के 11वें या 12वें दिन खत्म होती है. आइए विस्तार से जानते हैं, मंडला पूजा क्या है, किस देवता को समर्पित है, कब, कहां और क्यों होता है?

मंडला पूजा क्या है?

मंडला पूजा केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला अय्यप्पा मंदिर में की जाती है. इस पूजा का उद्देश्य शरीर और मन को पवित्र बनाना है. भक्त इन 41 दिनों में भगवान अय्यप्पा के प्रति भक्ति, संयम और साधना करते हैं. वे ‘स्वामीये शरणम् अय्यप्पा’ का जाप करते हैं और अपने अंदर अनुशासन, विनम्रता और भक्ति का भाव लाते हैं. माना जाता है कि जो भक्त सच्चे मन से यह व्रत और पूजा करता है, उसे भगवान अय्यप्पा की कृपा मिलती है और जीवन में सुख, शांति और आत्मिक शक्ति प्राप्त होती है.

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मंडला पूजा कब होती है?

मंडला पूजा मलयालम पंचांग के धनु मासम के 11वें या 12 वें दिन होता है. वहीं, उत्तर भारत के पंचांग के अनुसार यह पूजा कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष त्रयोदशी तिथि को होती है. द्रिक पंचांग के अनुसार, साल 2025 में यह शुभ दिन 17 नवंबर को पड़ेगा. इस पूजा से पहले भक्त 41 दिन का व्रत रखते हैं. इस दौरान वे बहुत अनुशासित जीवन जीते हैं. व्रत के नियमों में ब्रह्मचर्य का पालन, सात्विक भोजन, सफेद या काले कपड़े पहनना और रोजाना भगवान अय्यप्पा की पूजा शामिल है. इन 41 दिनों के बाद धनु मास के 11वें या 12वें दिन मंडला पूजा मनाई जाती है, जो भक्तों के लिए सबसे खास दिन होता है.

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मंडला पूजा कहां होती है?

मंडला पूजा केरल के विश्व प्रसिद्ध सबरीमाला अय्यप्पा मंदिर में की जाती है. यह मंदिर पहाड़ों और जंगलों के बीच स्थित है. हर साल लाखों भक्त यहां पैदल यात्रा करके पहुंचते हैं. मंडला पूजा और मकर विलक्कु उत्सव, दोनों सबरीमाला के सबसे प्रसिद्ध त्योहार हैं. इस दौरान मंदिर कई दिनों तक खुला रहता है और देश-विदेश से लोग भगवान अय्यप्पा के दर्शन के लिए आते हैं.

कौन हैं भगवान अयप्पा?

भगवान अय्यप्पा भगवान शिव और विष्णु के मोहिनी रूप के पुत्र माने जाते हैं. वे धर्मशास्ता और मणिकंदन भी कहलाते हैं. वे धर्म, संयम और शक्ति के प्रतीक हैं. उनका प्रमुख मंदिर केरल के सबरीमाला में स्थित है, जहां लाखों भक्त हर वर्ष कठिन तपस्या और यात्रा करके दर्शन करने जाते हैं. उन्हें ‘स्वामीये शरणम् अय्यप्पा’ कहकर पूजा जाता है. वे शैव और वैष्णव परंपराओं के बीच की कड़ी माने जाते हैं, जो सभी को एकता, भक्ति और सद्भाव का संदेश देते हैं.

सबरीमाला मंदिर का महत्व

न केवल केरल बल्कि पूरे दक्षिण भारत में सबरीमाला मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा का प्रतीक है. यहां पहुंचने के लिए भक्त कठिन रास्तों से होकर गुजरते हैं, जो धैर्य और श्रद्धा की परीक्षा होती है. यह मंदिर भगवान अय्यप्पा को समर्पित है, जिन्हें धर्म और संयम के प्रतीक देवता माना जाता है. हर साल मंडला पूजा और मकर विलक्कु उत्सव के समय यहां का वातावरण भक्ति और ऊर्जा से भर जाता है. इसीलिए सबरीमाला मंदिर दुनिया भर में प्रसिद्ध है.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Nov 13, 2025 01:39 PM

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