Ways to Connect with Lord Shiva: हिंदू धर्म में भगवान शिव की पूजा का बहुत महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से भगवान शिव की आराधना करते हैं। उन्हें जीवन में कभी भी कोई परेशानी नहीं होती है। इसके अलावा उनके घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। इसी वजह से कुछ लोग नियमित रूप से भगवान शिव की उपासना करते हैं। वहीं कुछ शिव को महसूस करने का भी प्रयास करते हैं। उन्हें अनुभव करने की कोशिश करते हैं। अगर आप भी शिव को महसूस करना चाहते हैं तो आज हम आपको कुछ ऐसे तरीकों के बारे में बताएंगे, जिन्हें अपनाकर आप शिव को पा सकते हैं।
मोटिवेशनल स्पीकर सद्गुरु का नाम तो आपने सुना ही होगा। सद्गुरु एक आत्मज्ञानी गुरु है। जो अपनी कविता और लेखक के माध्यम से जीवन के अनसुने पहलू और आधात्यम से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में बात करते हैं। एक बार एक इंटरव्यू में सद्गुरु ने बताया था कि, ‘व्यक्ति अपने जीवन में थोड़ा सा बदलाव करके भगवान शिव को अनुभव कर सकता है।’ आज हम आपको बताएंगे कि आप कैसे साधना के माध्यम से शिव जी को महसूस कर सकते हैं।
ये भी पढ़ें- महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर चढ़ाएं ये 5 चीजें, वास्तु दोष से लेकर धन की समस्या से मिलेगा छुटकारा
शिव को महसूस करने के लिए क्या करना होगा?
मोटिवेशनल स्पीकर सद्गुरु के अनुसार भगवान शिव शव की तरह है, जिसमें सर्वोच्च ऊर्जा तो है लेकिन वो निष्क्रिय यानी सक्रिय नहीं है। अगर आपको शिव को महसूस करना है तो इसके लिए आपको शिव में विलीन होना होगा। इसके लिए सबसे पहले आपको अपना मन और दिमाग दोनों को स्थिर करना होगा। इससे आपको पॉजिटिव महसूस होगा। हालांकि इसमें कितना समय लगेगा इस बारे में कहना मुश्किल है। लेकिन इसे करना सम्भव है। अगर आप तीव्रता और एकाग्रता को अपना दोस्त बनाते हैं तो एक पल में स्थिर हो सकते हैं। पर अगर आपके पास स्थिरता नहीं है तो फिर आपको शिव को अनुभव करने में सालों का समय भी लग सकता है।
लालसा का करना होगा त्याग
सद्गुरु के अनुसार वास्तव में शिव को देखना और उनसे मिलना संभव नहीं है लेकिन उन्हें महसूस जरूर किया जा सकता है। उन्हें महसूस करने के लिए सबसे पहले आपको विनम्र बनना होगा। अपने व्यवहार में विनम्रता लानी होगी। इसके लिए मोह, क्रोध, घृणा और सभी तरह की लालसा का त्याग करना होगा।
वहीं आदियोगी को भी शिव कहा जाता है क्योंकि उन्होंने शिव को महसूस किया है, जिसके बाद वो शिव में ही समां गए थे। इसलिए अगर आपको भी शिव को पाना है तो उन्हें समझने की जगह महसूस करें। अगर आप शिव को समझने की कोशिश करेंगे तो आप कभी भी शिव को पा नहीं पाएंगे। इसलिए उन्हें ढूंढने की जगह उन्हें महसूस कर उनमें विलीन हो जाइए। अगर आप उसमें एक बार स्थिर हो गए तो ये आपको शिव तक जरूर लेकर जाएगा। इसलिए बिना कोई तर्क करें शिव को महसूस करें।
शिव को सदाशिव क्यों कहा जाता है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, शिव और शक्ति को भिन्न नहीं माना जाता है। कहा जाता है कि शिव से ही शक्ति का जन्म हुआ है। वहीं शिव को महादेव, शंकर और महाकाल आदि-आदि कई नामों से जाना जाता है। इसके अलावा शिव को सदाशिव भी कहा जाता है।
दरअसल एक बार हुआ ये था कि शिव कैलाश में लेटे हुए थे और वहां तब ही शक्ति आ गई और वो शिव की छाती पर नृत्य करने लगी। इसके बाद शिव की आंख खुली और वो गर्जन करते हुए जागे। इसी वजह से उन्हें रूद्र भी कहा जाता है। फिर जब वो थोड़े शांत हुए तो उन्हें हर कहा गया। इसके बाद वो वास्तव में स्थिरता की शाश्वत अवस्था में स्थापित हो गए थे, जिसके बाद उन्हें सदाशिव का नाम दिया गया। सदाशिव का मतलब होता है जो सदा शिव रहें। जिन्हें संसार का मोह और लालसा आदि छू भी न पाए। इसलिए अगर आपको शिव को महसूस करना है, तो पहले आपको सदाशिव बनना होगा।
ये भी पढ़ें- अपनी पत्नी के दीवाने होते हैं ये 4 अक्षर के नाम वाले पति, कोई ख्वाहिश नहीं छोड़ते अधूरी!