धार्मिक मान्यता के अनुसार, वट सावित्री व्रत का पारण शाम में वट वृक्ष की पूजा करने के बाद बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर पानी या कोई मीठी चीज खाकर करना चाहिए।
Vat Savitri Vrat 2025: आज 26 मई 2025, दिन सोमवार को सुहागिन महिलाओं का वट सावित्री का व्रत है। देश के कई हिस्सों में वट सावित्री व्रत को बरसाइन की पूजा के नाम से भी जाना जाता है। आज निर्जला व्रत रखने के साथ-साथ महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए वट पेड़ यानी बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। मान्यता है कि जो सुहागन महिलाएं ये व्रत रखती हैं, उन्हें यमराज के साथ-साथ त्रिदेवों की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही उनके प्रेम जीवन में मधुरता, खुशहाली और प्यार बढ़ता है। इसके अलावा घर में सदा खुशी का माहौल रहता है।
आज वट सावित्री व्रत के सेलिब्रेशन से जुड़े पल-पल के लाइव और ताजा अपडेट्स के लिए बने रहें News24 के साथ…
धार्मिक मान्यता के अनुसार, वट सावित्री व्रत का पारण शाम में करना शुभ रहता है। आज यानी 26 मई 2025 को शाम 7 बजे के बाद व्रती महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करने के बाद व्रत का पारण कर सकती हैं।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज और बिहार के गया के बाद अब यूपी के उन्नाव से महिलाओं की वट वृक्ष की पूजा करते हुए वीडियो और तस्वीरें सामने आ रही हैं। आज उन्नाव में भी बड़ी संख्या में महिलाओं ने सोलह श्रृंगार करके वट पेड़ की पूजा की। साथ ही वृक्ष की परिक्रमा करते हुए उस पर कच्चा सूत बांधा।
➡️्नाव में वट सावित्री पूजन के अवसर पर महिलाओं ने बरगद के पेड़ की पूजा कर पर्यावरण के संरक्षण का संदेश दिया। pic.twitter.com/s4Bgb2ueAx
— AIR News Lucknow (@airnews_lucknow) May 26, 2025
बिहार के गया में भी पति की दीर्घायु के लिए सुहागिन महिलाओं ने सोलह श्रृंगार करके वट वृक्ष की विधिवत पूजा-अर्चना की।
बिहार: गया में वट सावित्री पूजा की शुरुआत सुबह से हुई, जिसमें सुहागिन महिलाएं अपने पतियों की दीर्घायु के लिए पूजा कर रही हैं। महिलाएं सोलह सिंगार करके वट वृक्ष की विधिवत पूजा अर्चना कर रही हैं। एक महिला सोनाली सिंह ने बताया कि यह उनका पहला अनुभव है और वे इस दिन का बेसब्री से… pic.twitter.com/K6E5RqRw30
— IANS Hindi (@IANSKhabar) May 26, 2025
पौराणिक कथा के अनुसार, मद्रदेश के राजा अश्वपति की पुत्री सावित्री थी, जो सत्यवान से विवाह करना चाहती थी। हालांकि विवाह से पहले नारद मुनि ने सावित्री को बताया था कि द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान केवल एक साल और जीवित रहेंगे। लेकिन इसके बाद भी सावित्री ने सत्यवान से शादी की। तय समय पर जब यमराज सत्यवान के प्राण लेने आए तो सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे बैठकर कड़ी तपस्या की। सावित्री की भक्ति से यमराज प्रसन्न हुए और उनसे वरदान मांगने को कहा। सावित्री ने यमराज से 100 पुत्रों का वरदान मांगा, जिसके लिए सत्यवान का जीवित रहना जरूरी था।
अंततः यमराज ने सत्यवान के प्राण लौटा दिए। इसी के बाद से वट सावित्री व्रत की परंपरा का जन्म हुआ। मान्यता है कि आज भी महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं और वट वृक्ष की पूजा व परिक्रमा करती हैं तो उनके पति का जीवन लंबा, स्वस्थ और सफल रहता है।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज के अलग-अलग हिस्सों में महिलाओं ने शुभ मुहूर्त में वट वृक्ष के नीचे बैठकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की, जिनकी तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं।
#watch | Uttar Pradesh: Women take part in rituals, as they perform Vat Savitri puja today. Visuals from Prayagraj pic.twitter.com/JM9n2PuFRA— ANI (@ANI) May 26, 2025