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दिल्ली का नीली छतरी मंदिर, पांडवों ने यहीं किया था अश्वमेध यज्ञ, जानें क्यों लगाते हैं 5 लड्डुओं का भोग

Temples of India: दिल्ली का प्रसिद्ध नीली छतरी मंदिर न केवल ऐतिहासिक है, बल्कि शिवभक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। यहां 5 लड्डुओं का भोग लगाने की विशेष परंपरा है। आइए जानते हैं, इस पांडवकालीन मंदिर मंदिर से जुड़ी 7 रोचक और महत्वपूर्ण बातें।

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Jun 1, 2024 13:34
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Temples of India: महाभारत काल में दिल्ली और आसपास का क्षेत्र हस्तिनापुर के नाम से विख्यात था। यहां इस काल के अनेक अवशेष बिखरे पड़े हैं, जो हमें उस काल की संस्कृति और वैभव की झलक देते हैं। दिल्ली का प्रसिद्ध नीली छतरी मंदिर भी इसी काल से संबंधित माना जाता है। आइए जानते हैं, इस ऐतिहासिक मंदिर से जुड़ी 7 रोचक और महत्वपूर्ण बातें।

1. युधिष्ठिर ने बनवाया था मंदिर

नीली छतरी मंदिर केवल दिल्ली का ही नहीं बल्कि भारत का एक प्राचीन मंदिर, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर दिल्ली में बहारदुर शाही गेट के नजदीक यमुना बाजार क्षेत्र में निगमबोध घाट के पास बना है। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण स्वयं युधिष्ठिर ने करवाया था।

2. यहीं हुआ था अश्वमेध यज्ञ

महाभारत युद्ध समाप्त होने बाद जब युधिष्ठिर राजा बने, तो उन्होंने चक्रवर्ती सम्राट बनने के लिए यहीं पर अश्वमेध यज्ञ किया था। इस यज्ञ के लिए ही उन्होंने शिवलिंग स्थापित कर यहां एक विशाल हवन कुंड बनवाया था।

3. इसलिए कहते हैं नीली छतरी मंदिर

कहते हैं, इस मंदिर के शिखर पर नीलम रत्न जड़ा हुआ था, जब इस पर चांद की रोशनी पड़ती थी, तो उससे निकली भव्य नीली आभा मन को मोह लेती थी। इसलिए लोग इस मंदिर को नीली छतरी मंदिर कहने लगे और भगवान शिव का नाम भी ‘नीली छतरी वाले’ पड़ गया।

4. लड्डुओं का विशेष भोग

इस मंदिर में भगवान शिव को लड्डुओं का विशेष भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि देवाधिदेव महादेव को जो श्रद्धालु सच्चे मन और पूरी निष्ठा से 5 लड्डुओं का भोग लगाते है, उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है।

5. भांग का गोला और धतूरा चढ़ाने की विशेष परंपरा

लगभग 5,500 साल प्राचीन इस शिव मंदिर में भक्तगण मनोकामनापूर्ति के लिए बाबा भोलेनाथ को विशेष रूप से भांग का गोला और धतूरा चढ़ाते हैं और रुद्राभिषेक करवाते हैं।

6. सावन में विशेष अभिषेक 

हर सोमवार को इस मंदिर में श्रद्धालुओं की विशेष भीड़ जुटती है। साथ ही श्रावण मास में श्रद्धालु हरिद्वार से कांवर में गंगाजल लेकर यहां आते है और सोमवार को भगवान शिव का अभिषेक करते हैं।

7. यहां की महाशिवरात्रि है खास

महाशिवरात्रि पर्व के दिन भगवान नीली छतरी वाले का चार प्रहर की विशेष पूजा होती है और चार प्रकार की वस्तुओं—दूध, घी, शहद और गन्ने के रस—से विशेष अभिषेक किया जाता है, जो इसे और शिव मंदिरों से अलग बनाती है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Jun 01, 2024 01:34 PM

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