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मां सिद्धिदात्री देवी की आरती | Maa Siddhidatri Devi Ki Aarti Lyrics in Hindi- 9th Navratri पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, प्रिय भोग, मंत्र व शुभ रंग

Shardiya Navratri 2025 9th Day Maa Siddhidatri Puja: 1 अक्टूबर 2025 को शारदीय नवरात्रि का 9वां दिन है, जिसे नवमी और महा नवमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. साथ ही घर में कन्या पूजन करना शुभ रहता है. चलिए अब जानते हैं देवी सिद्धिदात्री के स्वरूप, पूजा के शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, मंत्र, आरती, प्रिय रंग और भोग आदि के बारे में.

Author Written By: Nidhi Jain Author Published By : Nidhi Jain Updated: Sep 30, 2025 14:00
Maa Siddhidatri
Credit- News24 Graphics

Shardiya Navratri 2025 9th Day Maa Siddhidatri Puja: शारदीय नवरात्रि के अंतिम दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. साल 2025 में 1 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का नौवां दिन है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो लोग सच्चे मन से देवी सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं, उन्हें विभिन्न प्रकार की सिद्धियों की प्राप्ति होती है. हालांकि, इस दिन को नवमी और महा नवमी के नाम से भी जाना जाता है. कुछ लोग नवमी तिथि पर कन्या पूजन भी करते हैं. कन्या पूजन के दौरान 7 से 11 कन्याओं को घर बुलाया जाता है और उन्हें खाना खिलाया जाता है.

इस दौरान कन्याओं के साथ एक बालक का होना भी जरूर होती है, जिसे ‘लांगूर’ कहा जाता है. लांगूर को बटुक भैरव का रूप माना जाता है, जिनकी पूजा करने के बाद ही व्रत का पूर्ण फल मिलता है. आइए अब जानते हैं देवी सिद्धिदात्री का प्रिय भोग, रंग, फूल, मंत्र, शुभ मुहूर्त, विधि और आरती आदि के बारे में.

देवी सिद्धिदात्री का स्वरूप

देवी सिद्धिदात्री की सवारी सिंह है, लेकिन वो कमल के फूल पर विराजमान हैं. इसके अलावा माता की चार भुजाएं हैं. उनके एक दाहिने हाथ में गदा है, जबकि दूसरे हाथ में चक्र है. वहीं, बाएं तरफ के एक हाथ में कमल का फूल है, जबकि दूसरे में शंख सुशोभित है. बता दें कि देवी सिद्धिदात्री केतु द्वारा शासित हैं, जो कि एक पापी ग्रह है.

देवी सिद्धिदात्री की पूजा का शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त- सुबह में 04:55 से 05:43
  • अभिजित मुहूर्त- नहीं है
  • विजय मुहूर्त- दोपहर में 02:28 से 03:16
  • सायाह्न सन्ध्या- शाम में 06:27 से 07:39

देवी सिद्धिदात्री की प्रिय चीजें

  • पुष्प- रात की रानी
  • रंग- सफेद
  • भोग- हलवा, पूरी और चना

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देवी सिद्धिदात्री के मंत्र

ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥

देवी सिद्धिदात्री की प्रार्थना

सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

देवी सिद्धिदात्री की स्तुति

या देवी सर्वभूतेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

देवी सिद्धिदात्री का कवच

ॐकारः पातु शीर्षो माँ, ऐं बीजम् माँ हृदयो।

हीं बीजम् सदापातु नभो गृहो च पादयो॥

ललाट कर्णो श्रीं बीजम् पातु क्लीं बीजम् माँ नेत्रम् घ्राणो।

कपोल चिबुको हसौ पातु जगत्प्रसूत्यै माँ सर्ववदनो॥

देवी सिद्धिदात्री की आरती

जय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता। तु भक्तों की रक्षक तू दासों की माता॥

तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि। तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि॥

कठिन काम सिद्ध करती हो तुम। जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम॥

तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है। तू जगदम्बें दाती तू सर्व सिद्धि है॥

रविवार को तेरा सुमिरन करे जो। तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो॥

तू सब काज उसके करती है पूरे। कभी काम उसके रहे ना अधूरे॥

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया। रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया॥

सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली। जो है तेरे दर का ही अम्बें सवाली॥

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा। महा नन्दा मन्दिर में है वास तेरा॥

मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता। भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता॥

देवी सिद्धिदात्री की पूजा विधि

  • सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करने के पश्चात स्वच्छ गहरे हरे रंग के वस्त्र धारण करें.
  • गंगाजल छिड़कर पूजा स्थल को शुद्ध करें.
  • मां दुर्गा की प्रतिमा के पास देवी सिद्धिदात्री की मूर्ति या फोटो स्थापित करें.
  • हाथ जोड़कर या हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें.
  • माता रानी को फूल, फल, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य और मिठाई अर्पित करें.
  • घी का एक दीपक जलाएं और माता महागौरी के मंत्र का जाप करें.
  • व्रत की कथा पढ़ें और आरती करके पूजा का समापन करें.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.

First published on: Sep 30, 2025 01:58 PM

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