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Rangbhari Ekadashi 2025: 9 मार्च या 10 मार्च, कब है रंगभरी एकादशी? जानें पूजा विधि और मनोवांछित फल पाने के उपाय

Rangbhari Ekadashi 2025: फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रंगभरी एकादशी है जिसे आमलका एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन से बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में होली पर्व की शुरुआत हो जाती है। आइए जानते हैं रंगभरी एकादशी पर कौन से उपाय करने फलदायी हो सकते हैं?

Author Edited By : Simran Singh Updated: Mar 5, 2025 12:53
Rangbhari Ekadashi 2025 date method of worship and ways to get the desired results
रंगभरी एकादशी

Rangbhari Ekadashi 2025: फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को काशी वाराणसी में रंगभरी एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी को आमलका एकादशी भी कहा जाता है। इस दिन बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी में महादेव का विशेष श्रृंगार होता है। ब्रज में होली का पर्व बसंत पंचमी से शुरू हो जाता है और वाराणसी में होली की शुरुआत रंगभरी एकादशी से होती है। धर्म की अच्छी खासी जानकारी रखने वाली नम्रता पुरोहित ने रंगभरी एकादशी की तारीख, शुभ समय, महत्व और उपाय के बारे में बताया है। आइए रंगभरी एकादशी के बारे में विस्तार से जानते हैं।

9 या 10 मार्च, कब है रंगभरी एकादशी?

एकादशी तिथि की शुरुआत 9 मार्च 2025 वार रविवार को सुबह 7:45 पर होगी। इस तिथि की समाप्ति 10 मार्च को सुबह 7:44 पर होगी। एकादशी तिथि का उपवास 10 मार्च 2025 वार सोमवार को रखा जाएगा। एकादशी तिथि का पारण 11 मार्च सुबह 6:50 से सुबह 8:13 के बीच में किया जाएगा।

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रंगभरी एकादशी की पूजा विधि

रंगभरी एकादशी एकमात्र ऐसी एकादशी है जिस पर हरि और हर दोनों की ही पूजा की जाती है। इसके साथ ही माता पार्वती की पूजा का विधान है। इस बार ये तिथि सोमवार को पड़ रही है और ये दिन देवादिदेव महादेव को समर्पित होता है। ऐसे में एक विशेष संयोग बन रहा है। आपको एकादशी तिथि के दिन प्रात काल स्नान आदि से निवृत होकर व्रत पूजा का संकल्प ले अपने घर से कलश भरकर शिव मंदिर में जाएं और जल अर्पण करें। इस दिन अबीर, गुलाल, चंदन, बेलपत्र और संभव हो तो भस्म शिवलिंग पर अर्पित करें।

काशी वाराणसी में रंगभरी एकादशी का महत्व

मान्यता है कि शिवरात्रि पर विवाह के बाद भगवान शिव माता पार्वती के साथ पहली बार इसी दिन काशी नगरी में पधारे थे। इस दिन शिव जी के गण उन पर रंग, अबीर, गुलाल उड़ाते हैं और खुशियां मनाते हैं। चूंकि माता पार्वती भोलेनाथ के साथ शिव की नगरी काशी में पहली बार विवाह के बाद पधारी थीं और काशी शिव जी की प्रिय नगरी कहलाई जाती है। रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ को वर यानी दूल्हे की तरह सजाया जाता है माता पार्वती का उनके साथ गौना करवाया जाता है।

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इसके साथ ही रंग भरी एकादशी का एक विशेष महत्व यह भी है कि द्वापर युग में कृष्ण के मांगने पर भीम और मोरबी के पौत्र और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ने अपने शीश का दान दिया था,बर्बरीक को आज खाटू श्याम जी के रूप में पूजा जाता है ‘हारे का सहारा बाबा श्री श्याम हमारा,’ शीश का दानी,तीन बाण धारी के नाम से भी जाना जाता है।

रंगभरी एकादशी पर मनोवांछित फल पाने के उपाय

  1. कर्ज मुक्ति के लिए आंवले के पेड़ की पूजा करें।
  2. धन संबंधित मनोकामना पूर्ण करना चाहते हैं तो भगवान शिव पर सफेद चंदन का लेप लगाएं।
  3. सुखी वैवाहिक जीवन के लिए भोलेनाथ और मां पार्वती पर लाल गुलाल-अबीर और रंग अर्पित कर प्रार्थना करें।
  4. पति की लंबी आयु के लिए रंगभरी एकादशी के दिन शिवालय में जाकर दिन पत्नी कच्चे दूध से शिवलिंग का अभिषेक करें। शंकर जी को बेलपत्र चढ़ाए और अखंड सौभाग्यवती का वरदान  मांगे।।

ये भी पढ़ें- Amalaki Ekadashi 2025: श्रीहरि विष्णु की कृपा से 12 राशियों के दुख-दर्द होंगे दूर! करें ये उपाय

श्री हरि विष्णु की पूजा

एकादशी के दिन श्री हरि विष्णु की पूजा में तुलसी दल अर्पित करें। याद रखें एकादशी है इसलिए तुलसी माता भगवान विष्णु के लिए उपवास रखती है। उस दिन तुलसी में जल ना चढ़ाएं लेकिन दीपक जरूर जलाएं। तुलसी का पत्ता भी एक दिन पहले ही तोड़ कर रखें।

आंवला एकादशी को क्या न करें?

  1. चावल खाना वर्जित होता है।
  2. तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए।
  3. शिवलिंग पर कुमकुम, हल्दी या तुलसी दल अर्पित न करें।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। 

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Edited By

Simran Singh

First published on: Mar 05, 2025 12:53 PM

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