Ram Birth Story: अयोध्या के महान राजा दशरथ वीर, धर्मपरायण और आदर्श शासक थे. परंतु उनका जीवन एक गहरी चिंता से घिरा था. उन्हें संतानों का सुख प्राप्त नहीं था. राजकुल के वंश को आगे बढ़ाने की चिंता उन्हें दिन-रात व्याकुल करती रहती थी. दरबार के कार्यों के बीच भी एक अधूरी इच्छा उनका मन बार-बार मथती थी. राजा ने अपने राजगुरु महर्षि वशिष्ठ से मार्गदर्शन मांगा. वशिष्ठ ने दशरथ की व्यथा सुनकर उन्हें श्रृंगी ऋषि द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ करने की सलाह दी. यह यज्ञ अत्यंत शक्तिशाली माना जाता था, जो संतानों की प्राप्ति के लिए किया जाता था. राजा दशरथ ने श्रद्धा और विधि-विधान से यज्ञ की तैयारी शुरू करवाई. अयोध्या में उत्सव जैसा वातावरण बन गया.
पुत्रेष्टि यज्ञ और अग्निदेव का दिव्य प्रसाद
यज्ञ पूर्ण होने पर अग्निदेव स्वयं प्रकट हुए. उनके हाथ में एक सुवर्ण पात्र में दिव्य खीर (अमृत) था. उन्होंने राजा दशरथ से कहा कि इसे अपनी रानियों को वितरित करें, ताकि उन्हें तेजस्वी संतानों की प्राप्ति हो सके. यह दृश्य इतना अलौकिक था कि सभी मंत्रमुग्ध रह गए.
दिव्य खीर का वितरण
राजा ने प्रसाद तीनों रानियों में बांटा. सबसे बड़ा हिस्सा रानी कौशल्या को दिया गया. रानी सुमित्रा को दो हिस्से मिले. रानी कैकेयी को एक हिस्सा प्राप्त हुआ. प्रसाद ग्रहण करने के पश्चात तीनों रानियों ने गर्भधारण किया. यह केवल एक यज्ञ का फल नहीं था, बल्कि स्वयं ईश्वर की योजना थी.
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चैत्र माह की नवमी तिथि और ग्रहयोग
समय बीता. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि आई. इस दिन का योग अत्यंत दिव्य था. सूर्य, मंगल, शनि, बृहस्पति और शुक्र अपने उच्च स्थानों में विराजमान थे. कर्क लग्न उदित हो रहा था. यह योग किसी महान आत्मा के अवतरण का संकेत दे रहा था.
भगवान राम का प्राकट्य
इसी शुभ घड़ी में रानी कौशल्या ने एक तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया. यह कोई साधारण बालक नहीं था, बल्कि स्वयं भगवान विष्णु का सातवां अवतार- ‘श्री राम’. आकाश में दिव्य प्रकाश फैल गया. अयोध्या नगरी आनंद से झूम उठी. हर घर में दीप जलाए गए. ऐसा लगा जैसे स्वयं प्रकृति राम के जन्म का स्वागत कर रही हो.
भरत, लक्ष्मण और शत्रुघ्न का जन्म
कौशल्या के बाद रानी कैकेयी ने भरत को जन्म दिया. रानी सुमित्रा ने दो दिव्य पुत्र, लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया. चारों राजकुमारों का बचपन प्रेम, भाईचारे और नैतिक मूल्यों से भरा रहा. राम की कोमलता, गंभीरता और धर्मप्रियता बचपन से ही साफ दिखने लगी थी.
राम जन्म की आध्यात्मिक महत्ता
राम सिर्फ एक राजकुमार नहीं थे, वे ‘मर्यादा पुरुषोत्तम; के आदर्श के रूप में अवतरित हुए थे. उनका जन्म दर्शाता है कि ईश्वर हर युग में धर्म की रक्षा के लिए अवतार लेते हैं. राम का जीवन यह संदेश देता है कि सत्य, करुणा और कर्तव्य–इनसे बढ़कर कोई शक्ति नहीं.
राम जन्म की यह कथा केवल पौराणिक कहानी नहीं, बल्कि जीवन को समझने का एक सुंदर माध्यम है. यह हमें बताती है कि कठिनाइयाँ चाहे कितनी भी बड़ी हों, धैर्य, विश्वास और सत्कर्म हमें सही परिणाम तक पहुंचाते हैं. राजा दशरथ की श्रद्धा और राम का अवतरण हमारे लिए प्रेरणा है कि दिव्यता हमेशा सत्य के साथ होती है.
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