Ramadan Mubarak 2025: मुस्लिम समुदाय को पूरा साल रमजान के महीने का इंतजार रहता है। यह महीना सबसे पाक महीना माना जाता है, जिसको लेकर कहा जाता है कि इन महीने में अगर कोई एक अच्छा काम करोगे, तो उसके लिए उनको 70 नेकियों का सवाब मिलता है। इस महीने में मुसलमान दिल खोलकर गरीबों की मदद करते हैं। अपनी इनकम के मुताबिक फितरा-जकात (दान) निकाला जाता है। इन महीने में रोजेदार पूरा दिन भूखे रहते हैं, जिससे उनको उन लोगों की भूख-प्यास की तकलीफ का एहसास भी होता है, जिनको एक वक्त का खाना सही से नहीं मिल पाता है। जानिए रोजेदारों को अपना दिन कैसे बिताना चाहिए?
आज पहला रोजा
इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से रमजान का 9वां महीना होता है। इस महीने की शुरुआत पूरी तरह से चांद दिखने पर निर्भर होती है। कयास लगाए जा रहे थे कि 28 फरवरी को चांद नजर आ जाएगा, जिसके मुताबिक, 1 मार्च को पहला रोजा माना जा रहा था। मगर सऊदी अरब में चांद की तस्दीक नहीं हुई, जिसकी वजह से रोजा 1 मार्च को नहीं हो सका।
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रोजेदार कैसे बिताएं दिन
रोजेदार पूरा दिन भूखे-प्यासे रहते हैं, जिसकी शुरुआत सहरी से होती है और इफ्तार के साथ खत्म होती है। अभी मौसम में ठंडक है, जिसकी वजह से शिद्दत की प्यास का एहसास नहीं होगा, लेकिन पूरा दिन खाना-पानी नहीं लेने की वजह से सिर में दर्द और कमजोरी की समस्या अक्सर सामने आती है। ऐसे में शुरूआत के कई रोजों में कोशिश करें कि ज्यादा मेहनत वाले काम न किए जाएं।
दिन की शुरुआत सहरी से होता है, जिसमें हल्का कुछ खाएं, क्योंकि इतनी सुबह कुछ खाने की आदत न होने की वजह से आपको पेट दर्द की समस्या भी हो सकती है। जिसको देखते हुए सहरी में दही का इस्तेमाल करें। दूध के साथ में खजूर का सेवन भी काफी फायदेमंद रहता है। सहरी का वक्त खत्म होने के बाद नमाज पढ़ें। ज्यादातर लोग नमाज के बाद कुरान की तिलावत करते हैं।
नींद पूरी करना जरूरी
रमजान के महीने में खाने से लेकर उठने और सोने का पूरा शेड्यूल बदल जाता है। इसमें नींद पर भी खासा असर पड़ता है, क्योंकि रमजान में वो लोग भी तहज्जुद की नमाज (आधी रात के बाद पढ़ी जाने वाली नमाज) पढ़ते हैं, जो आम दिनों में नहीं पढ़ते हैं। इसके लिए उनको बहुत सुबह उठना पड़ता है। सहरी के बाद तिलावत करने के बाद अपनी नींद पूरी कर लें, जिससे थकान का एहसास कम होगा।
जोहर की नमाज के बाद तिलावत
रमजान के महीने को तिलावत का महीना कहा जाता है, जिसमें हर किसी की कोशिश रहती है कि वह ज्यादा से ज्यादा खुदा की इबादत करे। सहरी के बाद थोड़ा आराम करने के बाद अपने रोजमर्रा के काम निपटाएं, जिसके बाद थोड़ा फ्रेश फील करने के लिए नहा लें। इसके बाद जोहर का वक्त आता है, जिसकी नमाज अदा करने के बाद फिर से तिलावत की जा सकती है। कुरान में 30 पारे होते हैं, जिनको पढ़ने के बाद एक कुरान मुकम्मल होता है। इस महीने में लोग कई कुरान मुकम्मल करते हैं।
इसके बाद अगर थोड़ा चेंज चाहिए, तो अपने परिवार के साथ बैठ सकते हैं। बाहर जाने की सोच रहे हैं, तो बाहर धूप में एहतियात के साथ निकलें, सिर पर छाता लगाकर या कोई रुमाल बांध लें। जिससे धूप सीधी आपके ऊपर न पड़े। इससे गर्मी का एहसास ज्यादा होगा और प्लास की शिद्दत बढ़ सकती है।
इफ्तार की तैयारी
ज्यादातर लोग अस्र (असर) की नमाज के बाद इफ्तार की तैयारी करते हैं। रोजे में यूं तो हर किस्म के पकवान बनाए जाते हैं, लेकिन शुरुआत में थोड़ा हल्का खाना खाएं। इस दौरान फलों का सेवन कर सकते हैं। इस दौरान बहुत ज्यादा पानी एक साथ न पिएं, इससे आपकी तबीयत खराब हो सकती है। रोजा खोलने के लिए पानी के साथ खजूर का सेवन कर सकते हैं। जितना हो सके पानी रुक रुक कर पीना चाहिए। इसी के साथ आपका पहला रोजा मुकम्मल हो जाएगा।
नोट: रोजेदार का दिन भर का ये शेड्यूल घर पर रहने वाले लोगों के लिए है। बाकी जो लोग बाहर काम करने जाते हैं, उनकी दिनचर्या अलग हो सकती है।
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