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Religion

Premanand Maharaj से जानें किस पाप को भगवान माफ नहीं करते? ये है कारण

अक्सर ऐसा होता है कि इंसान से जानबूझकर या अनजाने में कई गलतियां हो जाती हैं। एक बार एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से इसी विषय में एक गहरा और भावनात्मक प्रश्न कियाऐसा कौन-सा पाप है जिसे भगवान भी माफ नहीं करते? आइए जानते हैं इस पर प्रेमानंद महाराज ने क्या उत्तर दिया।

Author Edited By : News24 हिंदी Updated: May 12, 2025 15:30

Premanand Maharaj Viral Video: हम सभी जानते हैं कि भगवान अत्यंत दयालु होते हैं। यदि कोई व्यक्ति सच्चे दिल से प्रायश्चित करता है और भगवान की शरण में आता है तो वे उसके सभी पापों को क्षमा कर देते हैं। लेकिन प्रेमानंद महाराज के अनुसार, एक पाप ऐसा है जिसे भगवान भी कभी क्षमा नहीं करते? इस प्रश्न को सुनकर महाराज ने बहुत ही सहजता और शांति से उत्तर देते हुए क्या कहां आइए जानते है। इस विषय पर प्रेमानंद महाराज की राय।

प्रेमानंद महाराज कहते हैं

जो व्यक्ति भगवान के भक्त या संत का अपमान करता है उसे भगवान कभी क्षमा नहीं करते। जो लोग संतों की निंदा करते हैं उनका अपमान करते है उनके बारे में गलत बोलते हैं वे ऐसा पाप करते हैं जिसे भगवान भी क्षमा नहीं करते। क्योंकि भक्त की निंदा करना स्वयं भगवान के प्रेम और श्रद्धा को ठेस पहुंचाना होता है।

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दुर्वासा ऋषि और राजा अम्बरीष का प्रसंग

प्रेमानंद महाराज ने इस बात को समझाने के लिए दुर्वासा ऋषि और राजा अम्बरीष का प्रसिद्ध प्रसंग सुनाया।

राजा अम्बरीष भगवान विष्णु के महान भक्त थे। वे एकादशी का व्रत पूरी निष्ठा से करते थे। एक बार जब वह व्रत खोलने वाले थे तभी दुर्वासा ऋषि उनके पास आए। व्रत के नियम अनुसार, अम्बरीष ने केवल तुलसी जल ग्रहण किया। परंतु दुर्वासा ऋषि ने इसे अपना अपमान समझा और क्रोधित होकर एक भयानक राक्षस उत्पन्न कर दिया। भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उस राक्षस का नाश कर दिया और वह चक्र दुर्वासा ऋषि का पीछा करने लगा। ऋषि दुर्वासा ब्रह्मा और शिव जी के पास गए, लेकिन किसी ने मदद नहीं की। अंत में वे भगवान विष्णु के पास पहुंचे तो भगवान ने कहा मैं तो अपने भक्त के हृदय में निवास करता हूं। जिसने मेरे भक्त का अपमान किया है उसे मैं क्षमा नहीं कर सकता। तब दुर्वासा ऋषि अम्बरीष के पास आए, क्षमा मांगी और तभी उन्हें सुदर्शन चक्र से मुक्ति मिली।

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प्रेमानंद महाराज की सीख

भक्त और संतों का अपमान सबसे बड़ा पाप है। यह ऐसा पाप है जिसे भगवान भी नहीं माफ करते हैं यदि वही भक्त क्षमा कर दे तो ही मुक्ति संभव है।

इसलिए हमें हमेशा अपनी वाणी और विचारों को शुद्ध रखना चाहिए। किसी की निंदा न करें विशेषकर संतों और भक्तों की आलोचना तो बिल्कुल नहीं। सच्चे मन से भक्ति करें तभी भगवान की कृपा और क्षमा दोनों प्राप्त हो सकती हैं।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है

First published on: May 12, 2025 03:30 PM

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