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Religion

क्या गरीबों को चप्पल दान देने से मिलेगा पुण्य? प्रेमानंद महाराज ने बताया सेवा का असली अर्थ

ऐसे बहुत से लोग हैं जो दान-पुण्य बहुत करते हैं। माना जाता है कि जरूरतमंद व्यक्ति को चीजें दान करने से अच्छे फल की प्राप्ति होती है। ऐसा ही एक सवाल एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से किया, जिसे सुनकर महाराज ने बहुत सहजता से उत्तर दिया।आइए जानते हैं इस विषय पर प्रेमानंद महाराज की राय।

Author Edited By : News24 हिंदी Updated: May 13, 2025 17:08

Premanand Maharaj Viral Video: प्रेमानंद महाराज भक्तों को न केवल भगवान की भक्ति के लिए प्रेरित करते हैं, बल्कि सेवा और करुणा के मार्ग पर चलने की शिक्षा भी देते हैं। महाराज का मानना है कि सच्चा प्रेम केवल भजन-कीर्तन में नहीं, बल्कि जरूरतमंदों की मदद करने में छिपा है। हाल ही में एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से प्रश्न किया मैं जरूरतमंद लोगों को चीजें दान देती हूं अगर मैं देखती हूं कि कोई नंगे पैर चल रहा है तो मैं कोशिश करती हूं कि उसके लिए जूते-चप्पल लाकर दान करूं। लेकिन क्या यह सच है कि जिस चीज का दान करें, वह चीज हमें अधिक मात्रा में प्राप्त होती है? इस सवाल को सुनकर प्रेमानंद महाराज ने अत्यंत सहजता और शांति से उत्तर देते क्या बोले आइए जानते है।

महाराज कहते है कि यह सिद्धांत गलत है कि जो भी दान करता है, उसे वही चीज वापस मिलती है। ऐसा नहीं है, और ऐसा भाव नहीं होना चाहिए। अगर आप किसी को पैसा, भोजन आदि चीजों का दान कर रहे हैं तो आपको उसका पुण्य अवश्य मिलेगा। आप गौ सेवा करें या संत सेवा जो भी सेवा या दान करें, उसका परिणाम मिलेगा। लेकिन भगवान यह नहीं देखते कि आपने क्या दिया, बल्कि यह देखते हैं कि आपने किस भावना से दिया। यदि आपकी भावना शुद्ध और सच्ची है, तो आपको उसका फल अवश्य मिलेगा। क्योंकि भगवान यह नहीं गिनते कि आपने कितना दिया, बल्कि यह देखते हैं कि आपने कितने प्रेम से और कितनी निस्वार्थ भावना से दिया है। दान हमेशा भावना से करें, न कि इस सोच के साथ कि वही चीज प्रभु आपको लौटाएंगे।

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महाराज ने विशेष रूप से कहा कि गरीब और बेसहारा लोगों को जूते-चप्पल का दान करना एक अत्यंत पुण्य का कार्य है। यह केवल एक सेवा नहीं, बल्कि मानवता का परम रूप है। नंगे पांव तपती जमीन पर चल रहे किसी व्यक्ति को चप्पल पहनना, वास्तव में प्रभु की आराधना के समान है।

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प्रेमानंद जी का यह संदेश है अगर किसी को प्रेम दिखाना है तो वह जरूरतमंद की सेवा में दिखाओ। ईश्वर सबसे पहले वहीं प्रसन्न होते हैं, खासकर तब जब दान-पुण्य की भावना सच्चे मन से आती हो।” ऐसे सरल और प्रभावशाली विचार आज के युग में भक्ति को कर्म से जोड़ते हैं।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है

First published on: May 13, 2025 05:01 PM

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