Chaitra Navratri 2024: सनातन धर्म के लोगों के लिए नवरात्र का बहुत महत्व है। नवरात्र के 9 दिन मां दुर्गा की उपासना करने के साथ-साथ व्रत भी रखा जाता है। हर साल चैत्र मास के प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होती है और नवमी तिथि के दिन समापन होता है। पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र नवरात्र का आरंभ आज यानी 9 अप्रैल से हो गया है, जिसका समापन 17 अप्रैल को होगा।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, नवरात्र के 9 दिन मां दुर्गा सप्तशती का पाठ करना शुभ होता है। लेकिन दुर्गा सप्तशती का पाठ करने में काफी समय लगता है, क्योंकि इसमें काफी लंबे-लंबे अध्याय हैं। अगर आप भी अपने बीजी शेड्यूल की वजह से दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर पा रहे हैं, तो आज हम आपको एक ऐसे स्तोत्र के बारे में बताएंगे। उसके जाप से आपको दुर्गा सप्तशती के पाठ समान ही फल मिल सकता है। आइए जानते हैं कम समय में भी आप कैसे दुर्गा सप्तशती के पाठ का संपूर्ण फल पा सकते हैं।
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दुर्गा सप्तशती का पाठ करने में कितना समय लगता है?
दुर्गा सप्तशती में अर्गला कीलक, कवच के साथ-साथ 13 अध्याय हैं, जिन्हें पढ़ने में कम से कम 3 घंटे का समय लगता है। दुर्गा सप्तशती पाठ का सबसे बड़ा नियम ये है कि इसमें लिखित सभी अध्यायों का पाठ 1 से 9 दिन में पूरा करना होता है। इसके अलावा पाठ के बीच एक बार भी आप उठ नहीं सकते हैं, नहीं तो पूजा का फल नहीं मिलता है।
धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि अगर कोई व्यक्ति समय की कमी के कारण दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर पा रहा है, तो ऐसे में वो कवच और अर्गला कीलक का पाठ करने के बाद सिद्ध कुंजीका स्तोत्र का पाठ कर सकता है।
माना जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से सिद्ध कुंजीका का पाठ करता है, उसे दुर्गा सप्तशती के पाठ के समान ही फल प्राप्त होता है। खास बात ये है कि इस उपाय के बारे में स्वयं भगवान महादेव ने मां पार्वती को बताया था।
सिद्ध कुंजिका का पाठ करने के लाभ
वहीं जो लोग कवच और अर्गला कीलक का भी पाठ नहीं कर पा रहे हैं, ऐसे में वो सिर्फ सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, व्यक्ति को सिद्ध कुंजिका का पाठ करने से संपूर्ण दुर्गा सप्तशती के पाठ का फल मिलता है।
मान्यता है कि जो लोग नवरात्र के 9 दिन मां दुर्गा के सामने बैठकर सिद्ध कुंजिका का पाठ करते हैं, उससे मां बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं। इसके अलावा उसके जीवन में आ रही परेशानियां भी धीरे-धीरे कम होने लगती हैं।
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