Lathmar Holi Barsana: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि पर होली का पर्व मनाया जाता है। इस साल होली का त्योहार 25 मार्च, दिन सोमवार को मनाया जाएगा। होली के दिन घरों में तो अलग ही धूम देखने को मिलती ही है। कई मंदिरों में भी अलग ही रौनक देखने को मिलती है। देश में कई ऐसे प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है, जहां लोग होली खेलने के लिए आते हैं।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश के कई शहरों में अलग ही तरीके से होली खेली जाती है, जिसमें ब्रज की लठमार होली का भी नाम आता है। ब्रज की लठमार होली देश ही नहीं विदेश में भी प्रसिद्ध है। आज हम आपको ब्रज की फेमस लठमार होली से जुड़ी ही कुछ खास बातों के बारे में बताएंगे।
Hindistan’da bahara yakın Latmar Holi adlı bir festival düzenlenir ve bu festivalin bir bölümünde kadınların erkekleri sevgi ve şefkat işareti olarak sembolik olarak dövmeleri yer alır. Kim Hintli bir kadınla evlenmek isterdi? 😐😁 pic.twitter.com/Onj53stVE1
— ♏𝒆𝒉𝒎𝒆𝒕𝒙𝒌 (@mehmetxtrk) March 3, 2023
---विज्ञापन---
ये भी पढ़ें- फूलों से लेकर भस्म तक, देश के इन प्रसिद्ध मंदिर में खास तरीके से खेली जाती है होली
कब खेली जाती है लठमार होली?
आमतौर पर होली का त्योहार एक या दो दिन तक मनाया जाता है, लेकिन ब्रज में 40 दिनों तक होली खेली जाती है। ब्रज के बरसाना, वृंदावन, मथुरा और नंदगांव आदि क्षेत्रों में बहुत ही अलग तरह से होली खेली जाती है। यहां हर क्षेत्र की होली एक दूसरे से अलग है। यहां 40 दिनों तक आपको सभी भक्त राधा रानी और श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन देखने को मिलेंगे। आपको बता दें कि हर साल शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के दिन बरसाना में लठमार होली खेली जाती है, जो कि फाल्गुन मास में पड़ती है।
नंदगांव की लठमार होली कब है?
बता दें कि हर साल होली खेलने के लिए नंद गांव से पुरुष बरसाना आते हैं, जहां महिलाएं उन पर लाठियां बरसाती हैं। वहीं पुरुष खुद को बचाने की कोशिश करते हैं। सबसे पहले 18 मार्च को बरसाना में होली खेली जाती है, जिसके अगले दिन 19 मार्च को नंद गांव में लठमार की होली जाती है। हर साल लठमार होली खेलने के लिए ब्रज में बड़ी संख्या में लोग आते हैं।
Festival Latmar Holi održava se svake godine u gradu Nangao, na severu Indije. Mladići jure kroz uske ulice grada, dok ih na glavnom trgu čekaju žene koje drže duge štapove- lati ( lathi). Kad mladići stignu, žene ih tuku ritualno po glavi latijem. pic.twitter.com/zEvKAQMMd1
— Saša Stojšin (@Banacan) January 16, 2022
लठमार होली क्यों मनाई जाती है?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब श्रीकृष्ण राधा रानी के साथ होली खेलने के लिए बरसाना आया करते थे, तो वो राधा रानी और उनकी सखियों के साथ हंसी-ठिठोली किया करते थे। तब श्री राधा और उनकी सखियां श्रीकृष्ण के पीछे लाठी लेकर भागा करती थी। इसी के बाद से बरसाने में लठमार होली खेलने की परंपरा शुरू हो गई। इसलिए आज भी यहां पर लठमार होली खेली जाती है।
ये भी पढ़ें- होली मनाने वृंदावन आएं तो इस मंदिर में भी जाएं, मिलेगा श्रीकृष्ण का ‘प्रेम’, गोपियों की लीला