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Religion

सूतक में रामकथा करने पर विवादों में घिरे मोरारी बापू, संत बोले ‘बेहद शर्मनाक’

Morari Bapu Ramkatha controversy: प्रख्यात कथावाचक मोरारी बापू की वाराणसी में शुरू हुई रामकथा और काशी विश्वनाथ मंदिर दर्शन को लेकर विवाद बढ़ गया है। दरअसल सूतक काल में कथा और मंदिर दर्शन को संतों ने शास्त्रविरुद्ध बताया है। अखिल भारतीय संत समिति ने कथा के बहिष्कार की अपील की है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: Jun 14, 2025 23:37
morari bapu
रामकथा करते मोरारी बापू

Morari Bapu Ramkatha controversy: प्रख्यात कथावाचक मोरारी बापू की श्रीराम कथा का आयोजन वाराणसी के सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में 14 जून से 22 जून तक होना तय हुआ था। आयोजकों ने मोदी सरकार के ऑपरेशन सिंदूर से प्रेरित होकर इस कथा का नाम ‘मानस सिंदूर’ रखा था। मोरारी बापू की पत्नी नर्मदा बेन का 11 जून 2025 को निधन हो गया था। इसके बाद से मोरारी बापू स्वयं सूतक काल थे।

ऐसे में उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन किए और रामकथा शुरू की, जिसपर विवाद छिड़ गया है। काशी के संतों और अखिल भारतीय संत समिति ने इसे शास्त्रविरुद्ध बताते हुए मोरारी बापू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा गर्म है। कई लोग संतों के रुख का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कुछ मोरारी बापू के समर्थन में हैं। लोगों का कहना है कि सूतक काल में धार्मिक कार्यों पर स्पष्ट नियम हैं, और इनका उल्लंघन धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है।

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समाज के लिए है शर्मनाक

अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि ‘सूतक काल में रामकथा का आयोजन घोर निंदनीय है। जब कोई व्यक्ति धर्म को छोड़कर अर्थ की कामना में लग जाता है, तो यह समाज के लिए शर्मनाक हो जाता है।’ उन्होंने मोरारी बापू के पिछले कार्यों का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके पहले भी उन्होंने चिता की आग के सामने विवाह जैसे कार्य करवाए, जो व्यास पीठ की गरिमा के खिलाफ है। जबकि उन्हें 32 प्रकार की अग्नि के बारे में जानकारी थी। स्वामी जितेंद्रानंद ने कहा है कि बापू को सूतक काल तक कथा बंद कर देनी चाहिए।

शास्त्र विरूद्ध है ये कार्य

स्वामी नरेंद्रानंद सरस्वती ने सूतक काल में रामकथा को ‘भयानक अनर्थ’ और ‘शास्त्रविरुद्ध’ करार दिया है। उन्होंने कहा कि सूतक काल के दौरान मंदिर में प्रवेश और देवताओं का स्पर्श पूरी तरह वर्जित होता है। मोरारी बापू ने काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन कर धार्मिक सुचिता को भंग किया है। उन्होंने बापू से प्रायश्चित की मांग की है और काशीवासियों से उनकी कथा का सामाजिक बहिष्कार करने की अपील की है। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे कार्यों का परिणाम आम जनता को भुगतना पड़ता है।

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प्रख्यात ज्योतिषाचार्य ने भी किया विरोध

प्रख्यात ज्योतिषाचार्य ऋषि महाराज ने कहा कि ‘हिंदू धर्म में सूतक काल के नियम सभी संप्रदायों पर लागू होते हैं। इस दौरान मंदिर जाना, भगवान का स्पर्श करना या धर्म ग्रंथों का उपयोग करना निषिद्ध है।’ उन्होंने जोर दिया कि शास्त्रीय नियमों का पालन हर व्यक्ति के लिए अनिवार्य है, चाहे वह कितना भी प्रसिद्ध क्यों न हो।

मोरारी बापू ने दी सफाई

विवाद पर मोरारी बापू ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि ‘हम वैष्णव परंपरा के साधु हैं। हम न क्रिया करते हैं, न उत्तर-क्रिया। भगवान का भजन और कथा करना सुकून देता है, सूतक नहीं।’ काशी विश्वनाथ दर्शन पर उन्होंने कहा कि ‘हम तो दर्शन करके आए हैं।’ बापू ने दावा किया कि वैष्णव परंपरा में सूतक काल के नियम लागू नहीं होते हैं। हालांकि, संतों ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि शास्त्रों के नियम सभी पर समान हैं।

 

First published on: Jun 14, 2025 11:26 PM

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