Kamda Ekadashi 2025: साल 2025 में कामदा एकादशी का व्रत 8 अप्रैल को रखा जाएगा। मान्यता है कि इस एकादशी का व्रत करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। इसके साथ ही सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है।
कामदा एकादशी चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर होती है। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन बेहद ही फलदायक होता है। माना जाता है कि इस दिन व्रत की कथा पढ़ने या सुनने से व्यक्ति की हर इच्छा पूर्ण हो जाती है। पुराणों के अनुसार स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को कामदा एकादशी की कथा सुनाई थी।
कामदा एकादशी कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक भोगनीपुर नाम का नगर था। जहां पुंडरीक नामक राजा राज्य करते थे। पुंडरीक का राज्य सभी प्रकार के ऐश्वर्य और वैभव से संपन्न था। इस नगर में अनेक अप्सराएं, किन्नर, गंधर्व आदि रहते थे। इसी नगर में एक ललिता नाम की अप्सरा भी अपने पति ललित के साथ रहती थी। ललित और ललिता गंधर्व दंपति थे। ललित और ललिता के बीच में प्रेम इतना गहरा था कि दोनों एक-दूसरे के बिना रह नहीं पाते थे।
राजा ने दिया श्राप
एक बार अप्सरा ललिता राजा पुंडरीक के दरबार में नृत्य कर रही थी। उस समय उसका पति ललित गाना गा रहा था। गाना गाते समय उसका ध्यान अपनी पत्नी पर चला गया और वो उसी में खो गया, जिससे गाने के सुर सही से नहीं लग पाए। इस पर राजा पुंडरीक क्रोधित हो गए। राजा पुंडरीक ने कहा कि ‘तू अपनी पत्नी के प्रेम में इतना डूबा था कि तेरे सुर बिगड़ गए।’ राजा ने इतना कहते हुए उस गंधर्व को राक्षस बनने का श्राप दे दिया।
गंधर्व बन गया राक्षस
राजा के श्राप के चलते गंधर्व ललित राक्षस बन गया। इस पर उसकी पत्नी ललिता बेहद ही दुखी हुई। अपने पति को वापस पाने के लिए वह ऋषि भृंगी के पास पहुंची और उनसे अपने पति को वापस गंधर्व बनाने के लिए प्रार्थना की। इस पर ऋषि ने अप्सरा को चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत रखने की सलाह दी।
अप्सरा ने किया कामदा एकादशी व्रत
अप्सरा ललिता ने ऋषि की बात मानते हुए कामदा एकादशी का व्रत रखा। इस व्रत को रखने से उसके पति को वापस अपना गंधर्व स्वरूप प्राप्त हो गया। मान्यता है कि जो भी इस व्रत को करता है उसकी सभी कामनाएं पूरी हो जाती हैं।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी अंक ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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