Janmashtami 2024: जन्माष्टमी सनातन धर्म का एक सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मथुरा में आधी रात को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण के बालरूप को लड्डू गोपाल, लल्ला, बालकृष्ण, ठाकुरजी आदि नामों से जाना जाता है। इस दिन ठाकुरजी को पंचामृत स्नान करवाने का विशेष रिवाज है। आइए जानते हैं, इस दिन पंचामृत स्नान का क्या महत्व है, इस स्नान के लिए क्या-क्या सामग्रियां चाहिए और ठाकुरजी को पंचामृत स्नान कैसे करवाएं?
पंचामृत स्नान सामग्रियों के अर्थ
जन्माष्टमी पर ठाकुरजी यानी भगवान श्री कृष्ण की पूजा में पंचामृत का विशेष महत्व होता है। पंचामृत का अर्थ है पांच पवित्र पदार्थ, जिनसे भगवान को स्नान करवा कर उनकी कृपा प्राप्त की जाती है। ठाकुरजी को जिन पांच पवित्र चीजों से स्नान करवाया जाता है, उन सभी के महत्व और अर्थ भिन्न-भिन्न हैं।
दही: दही स्थिरता और संयम का प्रतीक है।
दूध: दूध शुद्धता और पोषण का प्रतीक है। बिना बछड़े वाली गाय के दूध का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
घी: घी ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक है।
शहद: शहद मीठे स्वभाव और दया का प्रतीक है।
जल: जल जीवन का स्रोत है और पवित्रता का प्रतीक है। पंचामृत स्नान के लिए गंगा जल उत्तम माना गया है।
पंचामृत स्नान पूजा का महत्व
जन्माष्टमी के रोज ठाकुरजी को प्रसन्न करने के लिए पंचामृत स्नान करवाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण को बहुत प्रिय पंचामृत स्नान है। मान्यता है श्रद्धा और भक्तिभाव से ठाकुरजी को पंचामृत स्नान करवाने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। हिन्दू धर्म में ठाकुरजी को पंचामृत कराने से अपनी भी आत्मिक और मानसिक शुद्धि होती है। साथ ही, पंचामृत पूजा से आध्यात्मिक लाभ होता है और मन शांत होता है।
ठाकुरजी को ऐसे करवाएं पंचामृत स्नान
जन्माष्टमी के पावन मौके पर ठाकुरजी यानी भगवान श्रीकृष्ण को पंचामृत स्नान करवाना बहुत ही शुभ माना गया है। इसके लिए भगवान श्रीकृष्ण की धातु की प्रतिमा को एक पात्र या स्नान थाली में रख कर पंचामृत स्नान कराया जाता है।
- ठाकुरजी को सबसे पहले सबसे दही से स्नान करवाए। इससे आपके जीवन में संयम और स्थिरता बढ़ेगी।
- इसके बाद ठाकुरजी पर धीमे-धीमे गाय का दूध डालना चाहिए। इससे आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा।
- फिर, ठाकुरजी को गाय के घी से स्नान करवाना चाहिए। मान्यता है कि इससे ज्ञान और बुद्धि का विकास होता है।
- इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण को मीठे और स्वच्छ शहद से नहलाना चाहिए। यह आपके स्वभाव में करुणा, दया और विनम्रता हो बढ़ाएगा।
- सबसे अंत में ठाकुरजी को जल से स्नान करवाना चाहिए। यदि गंगाजल न हो, तो स्वच्छ और शीतल जल का उपयोग भी कर सकते हैं। इससे जीवन में शुचिता और पवित्रता में वृद्धि होती है।
इन सभी पवित्र सामग्रियों से लड्डू गोपाल को स्नान करवाने बाद एक स्वच्छ सूती कपड़े से उनका बदन भलीभांति पोंछ देना चाहिए। फिर उनके परिधान पहनाकर, श्रृंगार कर, पूजा और भोग लगाकर उनकी आराधना करनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से कष्टों का निवारण हो जाता है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
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