Vishnu Puran: हिन्दू पुराणों में बताया गया है जिस तरह जिसने भी जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है, ठीक उसी तरह मृत्यु के बाद भी जन्म लेना निश्चित है। जब कोई मरता है तो उसका अगला जन्म इस बात पर निर्भर करता है कि मरते समय उसजे मन में क्या चल रहा था। विष्णु पुराण कथा में राजा जड भरत से जुड़ी एक ऐसी ही कथा का वर्णन किया गया है। इस कथा में यह बताया गया है कि मृत्यु के समय मनुष्य की दृष्टि या सोचने की शक्ति उसके अगले जन्म को प्रभावित करती है। चलिए जानतें हैं कि मनुष्य को सोच के हिसाब से अगला जन्म कैसे मिलता है।
विष्णु पुराण की कथा
विष्णु पुराण में वर्णित कथा के अनुसार जड भरत नाम के एक राजा हुआ करते थे। वह बड़े ही संत प्रवृति के थे। अपनी प्रजा को पुत्र के समान प्रेम करते थे। एक दिन की बात है राजा जड भरत नदी में नहा रहे थे तभी एक गर्भवती हिरणी शेर के डर से उस नदी मे कूद गई। नदी में पानी अधिक होने के कारण वह उसे पार नहीं कर पाई। थोड़ी देर तक छटपटाने के बाद हिरणी ने एक बच्चे को जन्म दिया और मृत्यु को प्राप्त हो गई। यह देखकर राजा का मन व्याकुल हो उठा और वह हिरणी के बच्चे को उठाकर महल ले आए।
महल पहुंचकर राजा को ज्ञात हुआ कि बच्चा भी एक हिरणी ही है। उसके बाद राजा भरत उस हिरणी को अपने बच्चे की तरह पालने लगे। धीरे-धीरे समय बीतता गया और राजा को हिरणी से अत्यधिक लगाव हो गया। हिरणी भी हर समय राजा के आस-पास ही रहती। उन्हे के साथ खेलती-खाती। राजा भरत भी यह देखकर प्रसन्न रहते। धीरे-धीरे राजा का हिरणी के प्रति प्रेम मोह में बदल गया।
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एक समय ऐसा भी आया जब राजा भरत बूढ़े हो गए और बिस्तर पकड़ लिया। अब वह हिरणी राजा के बिस्तर के आस-पास ही खेलती रहती। एक दिन राजा मृत्यु को प्राप्त हो गए। लेकिन मरते समय भी वह हिरणी के बारे में ही सोच रहे थे। विष्णु पुराण में बताया गया है कि राजा भरत ने अगला जन्म उसी हिरणी के गर्भ से एक हिरण के रूप में लिया।
गरुड़ पुराण में भी बताया गया है कि जब भी किसी की मृत्यु होती है तो वह जैसा व्यवहार करता है वैसा ही उसका अगला जन्म होता है। गरुड़ पुराण के अनुसार यदि कोई व्यक्ति स्त्री के बारे में सोचता है या स्त्री को देखते हुए प्राण त्यागता है तो उसका अगला जन्म स्त्री के रूप में ही होता है। वहीं यदि कोई प्राणी मरते समय खाने के बारे में सोचता है तो उसका अगला जन्म एक पेटू रूप में होता है, भले ही वह किसी भी योनि मे क्यों न जन्म लें ।
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