Guru Nanak Jayanti 2025: गुरु नानक देव जी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन सन 1469 में हुआ था. उनका जन्मस्थान तलवंडी नामक गांव था, जो अब पाकिस्तान में ननकाना साहिब कहलाता है. गुरु नानक देव जी सिख धर्म के पहले गुरु थे. उन्होंने अपने जीवन और व्यवहार से लोगों को सच्चाई, मेहनत, समानता और सेवा का रास्ता दिखाया. वे कहते थे कि भगवान एक है और सभी मनुष्य उसके बच्चे हैं. इसलिए सबके साथ प्रेम और न्याय से व्यवहार करना चाहिए. उनके जीवन की कई घटनाएं हमें सही जीवन जीने की शिक्षा देती हैं. ऐसी ही एक कहानी है, भाई लालो और मलिक भागो की, जो ईमानदारी और बेईमानी का अंतर समझाती है. आइए आज उनके जन्मदिन के शुभ अवसर पर जानते हैं, यह अद्भुत कहानी विस्तार से.
एक बार गुरु नानक देव जी अपने साथी भाई मर्दाना के साथ यात्रा करते हुए सैयदपुर नामक नगर पहुंचे. वहाँ एक गरीब बढ़ई भाई लालो रहते थे. वे बहुत मेहनती, ईमानदार और सरल स्वभाव के व्यक्ति थे. दिनभर मेहनत करके लकड़ी का काम करते और उसी से अपनी रोज़ी कमाते. उनका खाना बहुत सादा था, पर उसमें सच्चाई और प्रेम था. गुरु नानक देव जी उनके घर ठहरे और बड़े प्रेम से उनका सादा भोजन खाया.’
जब नानक जी ने ठुकराया भोज का निमंत्रण
उसी नगर में एक अमीर ज़मींदार मलिक भागो रहता था. उसके पास बहुत धन था, पर वह बेईमान था. वह गरीबों का हक मारता और लोगों से ज़बरदस्ती कर वसूलता था. एक दिन उसने अपने पिता के श्राद्ध पर एक बड़ा भोज रखा. नगर के सभी अमीर लोग और साधु-संतों को बुलाया गया. जब उसे पता चला कि गुरु नानक शहर में हैं, तो उसने उन्हें भी बुलाया.
गुरु नानक ने पहले उसका निमंत्रण ठुकरा दिया और कहा कि वे पहले ही भाई लालो का भोजन स्वीकार कर चुके हैं. लेकिन जब मलिक भागो ने बहुत आग्रह किया, तो गुरु नानक भाई लालो के साथ उसके घर गए. वहां तरह-तरह के स्वादिष्ट पकवान परोसे गए. सब लोग सोच रहे थे कि गुरु नानक अमीर के बनाए व्यंजनों की तारीफ करेंगे.
रोटी से दूध, पकवानों से खून
लेकिन गुरु नानक ने सबके सामने एक आश्चर्यजनक काम किया. उन्होंने एक हाथ में भाई लालो की सादी रोटी ली और दूसरे हाथ में मलिक भागो के पकवान. फिर दोनों को एक साथ निचोड़ा. सबकी आँखें खुली रह गईं, भाई लालो की रोटी से दूध निकला और मलिक भागो के पकवानों से खून टपका.
गुरु नानक ने समझाया, ‘यह दूध ईमानदारी की कमाई का प्रतीक है. भाई लालो ने मेहनत और प्रेम से रोटी बनाई है, इसलिए उसमें बरकत है. लेकिन तुम्हारे पकवानों से खून इसलिए निकला क्योंकि तुम्हारा धन गरीबों के खून-पसीने से कमाया गया है. बेईमानी से कमाया धन कभी सुख नहीं देता.’ यह सुनकर मलिक भागो को अपनी गलती का एहसास हुआ. उसने गुरु नानक से माफी मांगी और ईमानदारी से जीवन जीने का वचन लिया.
निस्संदेह, इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि ईमानदारी से कमाई गई सादा रोटी भी अमृत के समान होती है, जबकि बेईमानी से कमाया हुआ धन पाप के समान होता है. गुरु नानक देव जी ने सिखाया कि सच्चा धर्म पूजा-पाठ में नहीं, बल्कि मेहनत, सच्चाई और दूसरों की सेवा में है.
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