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Garuda Purana: गरुड़ पुराण ने ये 5 काम करना बताया है वर्जित, एक भी किया तो नरक जाना तय!

Garuda Purana: गरुड़ पुराण हिंदू धर्म के 18 पुराणों में से एक और बेहद महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इस पुराण को सही से जीवन जीने और मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त करने का एक मार्गदर्शक माना गया है। इस पुराण 5 ऐसे काम की चर्चा की गई है, जिन्हें करने से व्यक्ति नरक का भागी बनता है। आइए जानते हैं, वे काम कौन-कौन से हैं?

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Sep 21, 2024 20:31
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Garuda Purana: हिंदू धर्म के 18 पुराणों में गरुड़ पुराण को ‘महापुराण’ भी कहा गया है। सभी पुराणों में यह एकमात्र पुराण है, जो सामान्य दिनों में पढ़ना वर्जित माना गया है। यह केवल उस समय पढ़ा और सुना जाता है, जब किसी घर में किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है। उस घर में 13 दिनों तक पूरे विधि विधान से गरुड़ पुराण का पाठ किया जाता है। कहते हैं कि 13 दिन गरुड़ पुराण पढ़ने से आत्मा मोह से मुक्त हो जाती है और वह अपने लोक को चली जाती है।

गरुड़ पुराण में वर्णन मिलता है कि मृत्यु के बाद आत्मा स्वर्ग में जाएगी या नरक में यह उसके जीवनकाल में किए गए कर्मों पर निर्भर करता है। इस पुराण के मुताबिक, व्यक्ति को अपने कर्मों के अनुसार स्वर्ग या नरक में जगह मिलती है और इन लोकों में कर्मों के हिसाब से ही सुख या दंड प्राप्त होते हैं। इस पुराण 5 ऐसे काम की चर्चा की गई है, जिन्हें करने से व्यक्ति नरक का भागी बनता है और गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं। आइए जानते हैं, ये 5 काम कौन-से हैं?

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भूल से भी जीवन में न करें ये काम

मित्रघात: मित्र से किसी भी प्रकार का घात करने वाले यानी दोस्त को धोखा देने वाले, उसे ठगने वाले, उनसे झूठ बोलने वाले लोगों के लिए गरुड़ पुराण में नरक मिलने की बात की गई है। इस पुराण के अनुसार, मित्रघाती व्यक्ति अगले जन्म में गिद्ध बनकर मरे हुए दुर्गंधयुक्त सड़े पशुओं को खाते हैं।

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अनैतिक काम वासना: अनैतिक रूप से काम वासना में लिप्त रहने वाले स्‍त्री-पुरुष और पुण्य तिथि, व्रत, श्राद्ध और पितृपक्ष (केवल कर्ता) में शारीरिक संबंध बनाने वाले लोगों को मृत्यु के बाद नरक में स्थान मिलता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, ऐसे लोगों को नरक में रौरव नामक भीषण नरक भोगना पड़ता है।

अधर्म: गरुड़ पुराण कहता है कि जो व्यक्ति अधर्म के रास्ते पर चलते हैं और अधर्म के माध्यम ही अपना और अपने परिवार के लिए धन जमा करते हैं, उनका धन उनके जीवनकाल में ही समाप्त हो जाता है। वहीं, मृत्यु के बाद वे कई प्रकार के दंड भोगकर अंधतामिस्र नामक नरक में जा गिरते हैं।

परिवार में प्रताड़ना: जो व्यक्ति माता-पिता या फिर परिवार के सदस्यों के साथ गलत व्यवहार करता है या उन्हें प्रताड़ित करता है। गरुड़ पुराण के अनुसार ऐसे कर्म करने वालों की गर्भ में ही मृत्यु हो जाती है और उसे अनिश्चित काल तक धरती नसीब नहीं होती है।

ईश्वर विमुखता: गुरुड़ पुराण के अनुसार, ईश्वर विमुखता यानी भगवान को भूल कर केवल अपना और रिश्तेदारों का पेट भरने और सुख-मौज में लगे रहने वाले और साधु-संतों, जरूरतमंदों को दान देने वाले व्यक्ति नरक में भांति-भांति के दुख भोगता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Shyam Nandan

First published on: Sep 21, 2024 08:31 PM

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