Garuda Purana: गरुड़ पुराण के अनुसार, व्यक्ति अपने कर्मों के आधार पर स्वर्गलोग और नरकलोक का सुख भोगता है। जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उस व्यक्ति के शरीर को दाह-संस्कार करने के बाद अगले 13 दिन पिंडदान और मृत्युभोज कराया जाता है। मान्यता है कि 13 दिन तक मृत व्यक्ति की आत्मा घर के आस-पास ही विचरण करती है।
मरने के बाद आत्मा कहां जाती है
गरुड़ पुराण के अनुासर, जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसकी आत्मा एक लंबे समय तक के लिए यात्रा पर निकल जाती है। गरुड़ पुराण के अनुसार, यमदूत आत्मा को सबसे पहले तो यमलोक ले जाते हैं। उसके बाद यमराज के सामने उस व्यक्ति के कर्मों का हिसाब होता होता है।
मान्यता है कि यदि व्यक्ति के बुरे कर्म हैं तो यमराज आपकी आत्मा को सजा देते हैं। साथ ही नरकलोक में भेज देते हैं। वहीं जब व्यक्ति के अच्छे कर्म हैं तो आपकी आत्मा को स्वर्गलोक का सफर कराया जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, मरने के बाद आत्मा को यमराज तक पहुंचने में करीब 86 हजार योजन की दूरी तय करनी पड़ती है।
कैसे होता है व्यक्ति का दोबारा जन्म
गरुड़ पुराण के अनुासर, जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो मृत्यु के 3 दिन से लेकर 40 दिनों के अंदर ही दोबार जन्म हो जाता है। गरुण पुराण के अनुसार, व्यक्ति का दोबारा जन्म उसके कर्मों के आधार पर ही होता है। यदि व्यक्ति पाप किया हुआ रहता है तो उसकी आत्मा को नरक लोक में भेज दिया जाता है और व्यक्ति पुण्य कार्य करता है तो उसकी आत्मा को स्वर्ग लोक में भेज दिया जाता है।
बता दें कि जब व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसे कर्मों के हिसाब से सजा मिलता है। तब जाकर उस व्यक्ति का पूनर्जन्म होता है। व्यक्ति का अगला जन्म कर्मों के आधार पर ही निर्धारित होता है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी गरुड़ पुराण की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।