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Ganesh Chaturthi: किस समय और क्या खाकर खोलें गणेश चतुर्थी का व्रत? जानें धार्मिक नियम

Ganesh Chaturthi 2025 Vrat: भगवान गणेश को बुद्धि, ज्ञान और सौभाग्य का दाता माना जाता है, जिनका जन्मोत्सव हर साल भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। जहां कुछ लोग इस दिन गणपति बप्पा की सुंदर मूर्तियों को अपने घर में स्थापित करते हैं, वहीं कई लोग व्रत रखते हैं। चलिए जानते हैं इस दिन व्रत रखने के महत्व, नियम और लाभ आदि के बारे में।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Nidhi Jain Updated: Aug 25, 2025 16:10
Ganesh Chaturthi
Credit- Social Media

Ganesh Chaturthi 2025 Vrat: हर साल गणेश चतुर्थी का पर्व देशभर में श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। खासकर महाराष्ट्र और गुजरात में इसकी भव्यता देखते लायक होती है। इस दिन भक्त गणपति बप्पा की सुंदर मूर्तियों को गाजे-बाजे और झांकियों के साथ पंडालों व अपने घरों में स्थापित करते हैं। ये पर्व हर साल भाद्रपद मास में आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन दोपहर के समय गणेश जी का जन्म हुआ था, इसलिए इस तिथि पर ‘गणेश जन्मोत्सव’ मनाया जाता है। भगवान गणेश को बुद्धि, ज्ञान और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, जिनकी पूजा सभी देवी-देवताओं से पहले की जाती है।

हालांकि कई श्रद्धालु इस दिन पूजा-पाठ के अलावा व्रत भी रखते हैं। आइए जानते हैं साल 2025 में किस दिन गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। साथ ही आपको व्रत के पारण के सही समय और नियम आदि के बारे में पता चलेगा।

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गणेश चतुर्थी 2025 में कब है?

द्रिक पंचांग के अनुसार, इस बार 27 अगस्त 2025, वार बुधवार को गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जाएगा। जबकि व्रत का पारण इस दिन संध्या आरती के बाद या अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जा सकता है। जो लोग गणेश चतुर्थी के दिन ही व्रत का पारण करेंगे, वो शाम 06:48 मिनट पर सूर्यास्त के बाद उपवास खोल सकते हैं।

इसके अलावा अगले दिन प्रात: काल में 05:57 मिनट पर सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करना शुभ रहेगा। लेकिन व्रत का पारण करने से पहले गणेश जी की पूजा जरूर करें और उन्हें उनकी प्रिय चीजों का भोग लगाएं।

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गणेश चतुर्थी व्रत में क्या खाएं और क्या नहीं?

निर्जला और फलाहार दोनों तरह से गणेश चतुर्थी का व्रत रखा जा सकता है। निर्जला व्रत के दौरान व्रती को जल और अन्न दोनों खाने की मनाही होती है। वहीं फलाहार व्रत में जल, ताजे फल, दूध, दही, साबूदाना, सिंघाड़े, शकरकंद, कुट्टू के आटे से बने व्यंजन, तिल, गुड़, पनीर, सेंधा नमक और आलू खा सकते हैं। जबकि नमक, अन्न, तामसिक चीजें, मांस, मदिरा, हल्दी, लाल मिर्च, गरम मसाले और कटहल खाना वर्जित है।

किस चीज को खाकर खोलें गणेश चतुर्थी का व्रत?

पूजा के दौरान भगवान गणेश को अर्पित भोग को खाकर ही गणेश चतुर्थी के व्रत का पारण किया जा सकता है। इस दिन गणपत्ति बप्पा को आप मोदक, मोतीचूर के लड्डू, जामुन, केले, तिल और गुड़ के लड्डू, पंचामृत, नारियल के लड्डू, सूजी का हलवा, पंचमेवा, गुड़, तिल, बेसन के लड्डू, गुड़ और चावल की खीर का भोग लगा सकते हैं।

गणेश चतुर्थी व्रत के नियम

  • यदि व्रत का संकल्प ले लिया है तो उसे बीच में न तोड़ें।
  • गणेश चतुर्थी व्रत की कथा जरूर सुनें या पढ़ें।
  • व्रत के दौरान गुस्सा न करें और नकारात्मक चीजों से खुद को दूर रखें।
  • शुद्ध कपड़े और बिना मुंह झूठा किए ही बप्पा की पूजा करें।
  • व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
  • गणेश जी को ताजी और शुद्ध चीजों का ही भोग लगाएं।
  • दिन के समय सोने से बचें।
  • दिनभर बाल और नाखून न काटें।
  • सिर ढक के ही पूजा करें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Aug 25, 2025 04:10 PM

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